सच्चा धर्म

धर्म शब्द संस्कृत भाषा के ‘धृ’ से बना है जिसका अर्थ है किसी वस्तु को धारण करना अथवा उस वस्तु के अस्तित्व को बनाये रखना। धर्म का सामान्य अर्थ कर्तव्य है। इसीलिए व्यक्ति के जीवन से संबंधित अनेक आचरणों की एक संहिता है जो उसके कर्तव्यों और व्यवहारों को नियंत्रित और निर्देशित करती है। 

डेविस के अनुसार धर्म महाराज समाज का एहसास सर्वव्यापी स्थाई और सास्वत तत्व है जिसे बिना समझे समाज के रूप को बिल्कुल ही नहीं समझा जा सकता है।

टायलर के अनुसार धर्म का अर्थ किसी आध्यात्मिक शक्ति में विश्वास करना है।

धर्मा मानवोपरी शक्तियों के प्रति अभिवृत्तियां हैं, धर्म पवित्र वस्तुओं से संबंधित विश्वासों और आचरणों की समग्रता है जो इन पर विश्वास करने वाले को एक नैतिक समुदाय के रूप में संयुक्त करती है। धर्म के समाजशास्त्रीय क्षेत्र के अंतर्गत एक समूह में अलौकिक से संबंधित उद्देश्य पूर्ण विश्वास तथा इन विश्वासों से संबंधित बाहरी व्यवहार, भौतिक वस्तुएं और प्रतीत आते हैं।धर्म एक ऐसा संयोजक बल है जो मानव संगठन के प्रत्येक पहलू को एकीकृत कर सकता है और सच्चे धर्म के बिना कोई मानव संतोषजनक जीवन नहीं जी सकता है, सच्चा धर्म खुद के शांतिपूर्ण स्थापित करने में सहायक होता है, हिंदू धर्म कर्तव्यों का सार है।दूसरों के साथ ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे वह दर्दनाक हो, जैन धर्म के अनुसार हमें सुख और शांति के लिए सभी जीवो का सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों के उत्पत्ति मानव समाज की आवश्यकता के अनुसार हुई है, ताकि सभी लोग एक-दूसरे के साथ संगठित हो सके तथा अपने रीति-रिवाजों के बेड़ियों को तोड़कर उनसे छुटकारा पा सके, धर्म का मुख्य उद्देश्य सत्य को सामने लाना था।

मानवता ही सच्चा धर्म है, प्रत्येक मानव चाहे वह किसी भी धर्म का हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी स्थान पर रहने वाला हो, सभी का एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए मानव एकता, सच्चा धर्म मानव को एक दूसरे के प्रति सहयोग का भावना रखना ही होता है, हमें एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति को एक समान मानना चाहिए, यही सच्चा धर्म होता है।

सच्चा धर्म मानवता है, धर्म में किसी भी प्रकार की बैर भावना नहीं होती, धर्म हमें किसी भी प्रकार का बैर नहीं सिखाता है, धर्म एकता की शिक्षा देता है क्योंकि सभी मनुष्य ईश्वर की संतान है , सभी धर्मों के लोगों में किसी भी प्रकार की असमानताएं नहीं होती है, सच्चा धर्म मित्रता की शिक्षा देता है, शत्रुता की नहीं। हम सभी मानव जाति को एक सच्चे धर्म का पालन करना चाहिए और अपने जीवन में मित्रता की शिक्षा को अपनाना चाहिए, तथा किसी से भी शत्रुता नहीं करनी चाहिए। हमारे भारत देश की महानता उसके विशाल जनसंख्या अर्थात भू- क्षेत्र के कारण नहीं है ,बल्कि उसके भव्य और अनुकरणीय उदार परंपराओं के कारण है। हमारे भारत देश में मानवीय एकता का आदर्श उपस्थित है, हमारे भारत भूमि में अनेक प्रकार के भाषाएं, वेशभूषा तथा विचार, चिंतन और राष्ट्रीयता के सूत्र हैजिनमें मानव के एकता का आदर्श उपस्थित है।

हर धर्म में बहुत तरह की प्रक्रिया की जाती हैं, पूजा पाठ, कर्मकांड, आरती प्रार्थना, नमाज, यज्ञ, हवन आदि। धार्मिक क्रियाओं में पवित्र पदार्थों का उपयोग किया जाता है, सभी धर्मों में अनुष्ठान और कर्मकांड पाए जाते हैं। सभी धर्म में अलौकिक शक्ति को प्रसन्न करने और उसके क्रोध से बचने के लिए प्रार्थना पूजा और आराधना किया जाता है।

धर्म मे तर्क का अभाव पाया जाता है, यह भावना और विश्वास पर आधारित होता है। धर्म से संबंधित सभी वस्तुओं, पुस्तकों और क्रिया आदि को पवित्र माना जाता है। धर्म का संबंध हमारी भावनाओं एवं श्रमिकों से अलौकिक शक्ति में विश्वास, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, आदर आदि की भावनाएं और संवेग से संबंधित होता है।संसार में अनेक धर्म प्रचलित हैं, प्रत्येक देश का अपना धर्म है, सभी धर्म ने मानव को भाईचारे और इंसानियत के प्रति जागरूक किया है, सभी धर्मों का उद्देश्य मानव से प्यार करना, सभी के प्रति अच्छा आचरण करना, सहनशील बनना, जीवन के प्रति उदार बनना, सभी प्राणियों के प्रति दया भाव रखना, आदि भाव को धर्म सिखाता है।

हमारे सबसे पुराने धर्मों में से हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है, हिंदू धर्म के बाद इस्लाम और ईसाई धर्म का जन्म हुआ। हमारे भारत देश में जितने धर्म है उतने विश्व में कहीं भी नहीं है, जिन लोगों ने हिंदू धर्म के जटिलताओं को स्वीकार नहीं किया उन्होंने अपना धर्म अलग से ही बना लिया, तथा लोगों में अपने अपने धर्म के प्रति रुचि पैदा करने की कोशिश की जाने लगी, इन सभी धर्मों में जैन और बौद्ध धर्म प्रमुख हैं।

बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म का विकास हिंदू धर्म के अंतर्गत हुआ, पारसी धर्म मैदान में कन्फ्यूशियस धर्म चीन में प्रचलित है, तथा इस्लाम धर्म भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान तथा अरब देशों के अतिरिक्त संसार के लगभग सभी देशों में प्रचलित है।

सच्चा धर्म हम सभी को जीवन में एक दूसरे का सहयोग करने का सीख देता है, हमें सदैव एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए और मानव के प्रति द्वेष भावना को नहीं रखना चाहिए, तथा जीवन मेंक्रोध का त्याग करना चाहिए, सच्चा धर्म हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, सच्चा धर्म हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाता है और सच्चा धर्म ही मानवता की सर्वश्रेष्ठ धर्म है। हमें प्रत्येक धर्म मानवता का पाठ पढ़ाता है उदारता के महत्व के बारे में बताता है, हम सभी मानव जाति को सदैव सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए और अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना रखना चाहिए तथा दूसरों को भी सहयोग की भावना के लिए जागरूक करना चाहिए।

 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. सच्चा धर्म क्या होता हैं? 

उत्तर- सच्चा धर्म मानवता है, धर्म में किसी भी प्रकार की बैर भावना नहीं होती, धर्म हमें किसी भी प्रकार का बैर नहीं सिखाता है, धर्म एकता की शिक्षा देता है क्योंकि सभी मनुष्य ईश्वर की संतान है । 

प्रश्न 2. धर्म का शाब्दिक अर्थ क्या हैं? 

उत्तर- धर्म शब्द संस्कृत भाषा के ‘धृ’ से बना है जिसका अर्थ है किसी वस्तु को धारण करना अथवा उस वस्तु के अस्तित्व को बनाये रखना। धर्म का सामान्य अर्थ कर्तव्य है। इसीलिए व्यक्ति के जीवन से संबंधित अनेक आचरणों की एक संहिता है जो उसके कर्तव्यों और व्यवहारों को नियंत्रित और निर्देशित करती है। 

प्रश्न 3. सबसे पुराना धर्म कौन सा हैं? 

उत्तर- हमारे सबसे पुराने धर्मों में से हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है, हिंदू धर्म के बाद इस्लाम और ईसाई धर्म का जन्म हुआ। हमारे भारत देश में जितने धर्म है उतने विश्व में कहीं भी नहीं है, जिन लोगों ने हिंदू धर्म के जटिलताओं को स्वीकार नहीं किया उन्होंने अपना धर्म अलग से ही बना लिया, तथा लोगों में अपने अपने धर्म के प्रति रुचि पैदा करने की कोशिश की जाने लगी, इन सभी धर्मों में जैन और बौद्ध धर्म प्रमुख हैं।

प्रश्न 4. सच्चा धर्म क्या सीख देता हैं? 

उत्तर- सच्चा धर्म हम सभी को जीवन में एक दूसरे का सहयोग करने का सीख देता है, हमें सदैव एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए और मानव के प्रति द्वेष भावना को नहीं रखना चाहिए, तथा जीवन मेंक्रोध का त्याग करना चाहिए, सच्चा धर्म हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, सच्चा धर्म हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाता है और सच्चा धर्म ही मानवता की सर्वश्रेष्ठ धर्म है।

प्रश्न 5. मानवता सबसे बड़ा धर्म क्यों है? 

उत्तर- मानवता ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। हमें प्रत्येक धर्म मानवता का पाठ पढ़ाता है उदारता के महत्व के बारे में बताता है, हम सभी मानव जाति को सदैव सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए और अपने जीवन में एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना रखना चाहिए तथा दूसरों को भी सहयोग की भावना के लिए जागरूक करना चाहिए।