संबंधबोधक

जो शब्द किसी एक शब्द का संबंध किसी दूसरे शब्द से बताते है उसे संबंध बोधक कहते है।

संबंध बोधक में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से दर्शाया जाता है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

 जैसे: के ऊपर, के बाद, हेतु, लिए, कारण, मारे, चलते, संग, साथ, सहित, बिना, बगैर, अलावा, अतिरिक्त, के बाद, बदले, पलटे, आगे, पीछे, इधर, उधर पास-पास इत्यादि संबंधबोधक अव्यय हैं।

उदाहरण: ‘पेड़ पर बिल्ली बैठी है।’

 ‘मोहन गीता के साथ घूमने गया।’

इन वाक्यों में पर, के साथ आदि संबंध बोधक शब्दों का प्रयोग किया गया है। जो संज्ञा और सर्वनाम का वाक्य के दूसरे शब्दो से संबंध बताता है।

हिंदी में बहुत से संबंधबोधक अव्यय उर्दू और संस्कृत से आए हैं. जैसे:

उर्दू से आए हुए संबंधबोधक अव्यय –  भर, रूबरू, नजदीक, सबब, बदौलत, बाद, तरह, खिलाफ, खातिर, बाबत, जरिए, बदले, सिवा इत्यादि।

संस्कृत से आए हुए संबंधबोधक अव्यय – संभव,  समक्ष, सम्मुख, निकट, समीप, कारण, उपरांत, अपेक्षा, भांति, विपरीत, निमित्त, हेतु, द्वारा, विषय, बिना, अतिरिक्त इत्यादि।

उदाहरण-  ‘सैनिक अपने देश की खातिर अपने प्राण भी दे देते हैं।’

‘रात भर जागना अच्छा नहीं होता।’

‘जल के बिना जीवन संभव नहीं है।’

‘विद्यालय में बच्चे अनेक विषय पढ़ते है।’

वाक्यों में की खातिर,भर, संभव और विषय उर्दू और संस्कृत भाषा के संबंध बोधक शब्दों का प्रयोग किया गया है।

सम्बन्ध बोधक अव्यय के भेद –( Sambandh Bodhak Avyay ke Bhed)

प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते 

संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

1. संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय –

किसी वाक्य में संज्ञा शब्दों की विभक्तियों के पीछे इन अव्यय पदों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं। 

सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग किसी कारक चिन्ह के बाद किया जाता है

जैसे: घर के बिना, भोजन से पहले आदि।

 उदाहरण:  ‘ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं मिलती है।’

               ‘धन के बिना जीवन मुश्किल है।’

इन शब्दों में के बिना बोधक शब्द का प्रयोग किया गया है।

2. अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय –

 इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के विकृत रूप के साथ किया जाता है उन्हें अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं। 

जैसे: दोस्तों सहित, किनारे तक,पुत्रों समेत आदि।

उदाहरण: ‘नहर का पानी किनारे तक आ गया।’

             ‘अवनी मित्रों सहित शिमला घूमने गई है।’

इन शब्दों में किनारे तक, सहित आदि बोधक शब्दों का प्रयोग किया गया है।

हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंध बोधक शब्द दस प्रकार के होते हैं-

  1. कालवाचक संबंधबोधक अव्यय
  2. स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  3. दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय।
  4. साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  5. हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  6. समतावाचक संबंधबोधक अव्यय।
  7. पृथकवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  8. विरोधवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  9. संगवाचक संबंधबोधक अव्यय। 
  10. तुलनवाचक संबंधबोधक अव्यय।

1. कालवाचक संबंधबोधक अव्यय

जिन शब्दों के द्वारा वाक्यों में समय का पता चलता है उसे काल वाचक अव्यय कहते है।

जैसे: के बाद, से पहले, 

उदाहरण: वह मोहन से पहले घर पहुंच गया था।

2. स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय

जिन वाक्यों में किसी की स्थिति या स्थान का पता चलता है, उसे स्थानावाचक बोधक कहते है।

जैसे: के बीच में, के पास में

उदाहरण: अमित के पास एक कुत्ता खड़ा है।

3. दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय

जिस शब्दों के द्वारा किसी की स्थिति का ज्ञान या उसकी दिशा का पता चलता है, उसे दिशा वाचक बोधक कहते है।

जैसे: की तरफ, के सामने, के पास, 

उदाहरण: सूर्य पूर्व की ओर से उगता है।

4. साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय

इन शब्दों के द्वारा किसी साधन या जरिए का बोध होता है।

जैसे: के जरिए, के माध्यम, के द्वारा, के साथ

उदाहरण: अरुणा रेलगाड़ी के माध्यम से दिल्ली पहुंची

5. हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय

इन शब्दों के द्वारा वाक्य में किसी कारण का बोध होता है।

जैसे: के लिए, के वास्ते, के खातिर

उदाहरण: राज में मां के लिए शराब पीना छोड़ दिया।

6. समतावाचक संबंधबोधक अव्यय

जिन शब्दों के द्वारा वाक्य में समानता का बोध होता है, उसे समता वाचक बोधक कहते है।

जैसे:  के बराबर, के तरह, के जैसा

7. पृथकवाचक संबंधबोधक अव्यय

जिन शब्दों के द्वारा किसी से अलग या भिन्न होने का पता चलता है, उसे पृथकवाचक बोधक कहते है।

जैसे: से अलग, से हटकर, से दूर)

उदहारण: तुम अपनी बहन से अलग हो।

8. विरोधवाचक संबंधबोधक अव्यय

इन शब्दों के द्वारा वाक्य में विरोध का ज्ञान होता है।

जैसे: के विरोध, के विपरीत

उदाहरण: तुम अपने पिता की बातों से विपरीत काम क्यों करते हो।

9. संगवाचक संबंधबोधक अव्यय

इन शब्दों के द्वारा वाक्यों में साथ नजर आता है।

जैसे: के साथ, के संग

उदाहरण: मैं अपने पिता के साथ गई थी

10. तुलनवाचक संबंधबोधक अव्यय

इन शब्दों के द्वारा वाक्यों। में तुलना की जाती है।

जैसे: के अपेक्षा, के सामने

उदाहरण: ताज महल के सामने कोई भी इमारत सुंदर नहीं है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न:

1. संबंध बोधक किसे कहते है?

उत्तर: जो शब्द किसी एक शब्द का संबंध किसी दूसरे शब्द से बताते है उसे संबंध बोधक कहते है।

संबंध बोधक में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से दर्शाया जाता है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

 जैसे: के ऊपर, के बाद, हेतु, लिए, कारण, मारे, चलते, संग, साथ, सहित, बिना, बगैर, अलावा, अतिरिक्त, के बाद आदि।

2. संबंध बोधक के कितने भेद है?

उत्तर: प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते 

संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

3. हिंदी में कितने प्रकार के संबंध बोधक प्रयोग किए जाते है?

उत्तर: हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंध बोधक शब्द दस प्रकार के होते हैं।

  1. कालवाचक संबंधबोधक अव्यय
  2. स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  3. दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय।
  4. साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  5. हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  6. समतावाचक संबंधबोधक अव्यय।
  7. पृथकवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  8. विरोधवाचक संबंधबोधक अव्यय।
  9. संगवाचक संबंधबोधक अव्यय। 
  10. तुलनवाचक संबंधबोधक अव्यय।

4. अरुणा की अपेक्षा करुणा सुंदर है।

दिए गए वाक्य में कौन सा बोधक शब्द है?

उत्तर: दिए गए वाक्य में अरुणा की अपेक्षा करुणा शब्दों के माध्यम से अरुणा की तुलना करुणा से की गई है। इसलिए इस वाक्य में तुलनाबोधक शब्द है।

5. समता वाचक बोधक में कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है?

उत्तर: समता वाचक बोधक शब्द वाक्य में समानता को दर्शाते है। इसलिए इसके लिए की तरह, के जैसा आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

इन्हे भी पढ़िये

सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल

पद परिचय

वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को पद कहा जाता है| इन्हीं पदों का व्याकारणिक परिचय देना पद परिचय कहलाता है। वाक्य में आए पदों का परिचय  विभिन्न आधारों पर दिया जाता है।दिया जाता है।

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प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते है

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. अव्यय
  5. क्रिया विशेषण
  6. क्रिया
  7. संबंधबोधक
  8. समुच्चयबोधक

1. संज्ञा शब्द का पद परिचय

वाक्य में संज्ञा शब्द का पद परिचय देते समय उस शब्द में संज्ञा, संज्ञा के भेद, को बताना होता है तथा उसके साथ साथ लिंग, वचन,कारक और क्रिया के साथ उसका संबंध बताना होता है।

उदाहरण–: लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

लंका–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग,एकवचन, कर्ता कारक

राम–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

बाणों–: संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक 

रावण–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

इस प्रकार संज्ञा शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

2. सर्वनाम शब्द का पद परिचय

जब वाक्य सर्वनाम शब्द का पद परिचय देना हो तो सबसे पहले कौन-सा सर्वनाम, सर्वनाम का प्रकार पुरुष, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताते है।

उदाहरण–: जिसे आप लोगों ने खाने पर बुलाया है,उसे अपने घर जाने दीजिए।

जिसे–: अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

आप लोगों ने–:पुरुष वाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

उसे–:अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

अपने–: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक। 

इस प्रकार सर्वनाम शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

3. विशेषण शब्द का पद परिचय–:

विशेषण शब्द का पद परिचय देते समय विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग,वचन और विशेष्य के साथ उसके संबंध को बताना होता है।

उदाहरण- ये तीन मूर्तियां बहुत क़ीमती हैं।

उपर्युक्त वाक्य में ‘तीन’ ,’बहुत’ और ‘क़ीमती’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘मूर्तियां’ हैं।

बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

क़ीमती : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन

इस प्रकार विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

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4. अव्यय शब्द का पद परिचय–:

अव्यय का पद परिचय बताने के लिए वाक्य में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को बताना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन जाते हैं। 

वाक्य में ‘प्रतिदिन’ अव्यय है। 

प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय

जाना : क्रिया का विशेषण

इस प्रकार अव्यय शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

5. क्रिया विशेषण शब्द  का पद परिचय–:

क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण-  लड़की उछल कूद कर रही हैं।

इस वाक्य में ‘उछल कूद’ क्रियाविशेषण है। 

उछल कूद  : रीतिवाचक क्रियाविशेषण क्योंकि ‘कर रही है’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

इस प्रकार क्रिया विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है

6. क्रिया शब्द का पद परिचय–:

क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – मोहन ने सोहन को मारा।

मारा : क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता मोहन तथा कर्म सोहन है।

इस प्रकार क्रिया शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

7.संबंधबोधक शब्द का पद परिचय–:

संबंधबोधक का पद परिचय में संबंधबोधक का भेद और संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण- पेड़ के नीचे चिड़िया बैठी है।

के नीचे : संबंधबोधक, पेड़ और चिड़िया इसके संबंधी शब्द हैं।

इस प्रकार संबंधबोधक शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

8.समुच्चयबोधक शब्द का पदपरिचय–:

समुच्चयबोधक के पद परिचय में समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – दिल्ली अथवा कोटा में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

अथवा : विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय है तथा ‘कोटा’ और दिल्ली के मध्य विभाजक संबंध

इस प्रकार समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय किया जाता है।

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अधिकतर पूछें गए प्रश्न–:

1. शब्द परिचय कितने प्रकार का होता है?

उत्तर: शब्द परिचय 8 प्रकार का होता है। जिसमें एक वाक्य के शब्दों का आठ प्रकार से परिचय किया जाता है।

2. दिए गए वाक्य का शब्द परिचय दीजिए:

 रामचरितमानस की रचना तुलसीदास द्वारा की गई। 

उत्तर: रामचरितमानस: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग, कर्म कारक। 

तुलसीदास द्वारा: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग , करण कारक। 

की गई : संयुक्त क्रिया , एकवचन , स्त्रीलिंग , कर्मवाच्य, अन्य पुरुष। 

3. किस प्रकार के पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है?

उत्तर: संबंधबोधक पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है।

4. क्रिया विशेषण शब्द और क्रिया शब्द के पद परिचय में क्या अंतर है?

उत्तर:क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है जबकि क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

5. दिए गए वाक्य का पद परिचय कीजिए:

    वीरों की सदा जीत होती है।

उत्तर:वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।

सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।

जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।