वर्ण

वह छोटी से छोटी इकाई जिसके टुकड़े न हो सके, उसे वर्ण कहते हैं। वर्ण मूल ध्वनि होती है। इनको अक्षर भी कहा जाता है। यह भाषा की सबसे लघुतम इकाई है।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है इस के टुकड़े नहीं किए जा सकते 

जैसे – अ, क, न, स आदि

वर्णमाला 

किसी भाषा के ध्वनि चिन्हों अर्थात वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी भाषा की वर्णमाला में 47 वर्ण माने गए हैं। लिखने के आधार पर 52 प्रकार के वर्ण माने गए हैं। 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन है।

वर्ण के भेद

वर्णों का उच्चारण किस प्रकार होता है और वर्ण उच्चारण में कितना समय लेता है इस आधार पर वर्णों के भेद किए गए हैं। जिससे वर्णों के बारे में जानकारी मिलती है।

वर्ण के मुख्यतः दो भेद माने गए हैं – 1. स्वर , 2.व्यंजन।

1 स्वर – वह वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्णों की सहायता नहीं पड़ती उन्हें वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला के अनुसार स्वर की संख्या 13  है।

स्वरों के तीन भेद होते हैं–:

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर – जो स्वर बोलना में समय नहीं लेते हैं अर्थात जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर  कहते हैं जैसे – अ ,इ ,उ ,।

दीर्घ स्वर – जिन स्वरों को बोलने में समय लगता है अर्थात जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व व स्वर से दुगना समय या अधिक समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं जैसे -आ , ई ,ऊ ,ऋ ,लृ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ।

प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है अर्थात इस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है। इसलिए इसके आगे तीन का अंक लिख दिया जाता है जैसे – ओउम्।

2 व्यंजन – वे स्वर जो अकेले नहीं बोले जा सकते अर्थात जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। स्वर के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं है।

व्यंजन के चार भेद है–:

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अंतःस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन
  4. उत्क्षिप्त व्यंजन

स्पर्श व्यंजन – ‘क’ से लेकर ‘म’ तक के वर्ण स्पर्श व्यंजन कहे जाते हैं। सभी स्पर्श व्यंजन पांच वर्गों के अंतर्गत विभाजित हैं। प्रत्येक वर्ग का नाम पहले वर्ण के आधार पर रखा जाता है।

क वर्ग – क , ख , ग , घ , ङ

च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ

ट वर्ग – ट , ठ ,ड़ ,ढ ण

त वर्ग – त ,थ , द , ध ,न

प वर्ग – प , फ ,ब ,भ ,म

अंतःस्थ व्यंजन – यह स्वर और व्यंजन के मध्य स्थित होता है इसकी संख्या चार मानी गई है। – य ,र ,ल ,व्

ऊष्म व्यंजन – इसके उच्चारण में मुंह से गर्म स्वास निकलती है इनके उच्चारण में मुंह में दबाव पड़ता है इनकी संख्या चार है – श , ष ,स ,ह।

उत्क्षिप्त व्यंजन – इन वर्णों के उच्चारण में जीभ ऊपर उठकर झटके के साथ नीचे गिरता है इनके उच्चारण में जीभ पहले मुंह में ऊपर और फिर एक दम से नीचे छूती है। यह दो माने गए हैं – ड़ ,ढ।

संयुक्त व्यंजन – संयुक्त व्यंजन वे होते है जो एक या उससे अधिक वर्ण  के मेल से बने होते है। ये अकेले प्रयोग में नहीं किया जाते है। ये वर्ण दो वर्णों के मेल से ही सही शब्द बनाकर एक सार्थक अर्थ देते हैं।

क् + ष = क्ष, – क्षत्रिय, क्षमा,

त् + र = त्र, – त्रस्त, त्राण, त्रुटि

ज् + ञ = ज्ञ, – ज्ञानी, यज्ञ, अज्ञान,

श् + र = श्र – श्रीमान, श्रीमती, परिश्रम

अनेक ऐसे वर्ण भी है जो अन्य भाषाओं से भी लिए गए हैं। जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में किया जाता है।

अरबी फारसी के वर्ण – फ़ ,ख़ ग़ ,ज़ ,

वर्णों के उच्चारण के समय जीभ की स्थिति बदलती रहती है। प्रत्येक वर्ण के उच्चारण में जीभ की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है। मुख में जिस स्थान से जीभ टकराकर वर्ण का उच्चारण करती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं।

उच्चारण का स्थान वर्ण का स्थान

कंठ्य                   अ , क वर्ग , ह और विसर्ग

तालु                   इ , च वर्ग , य और श

मूर्धा                   ऋ ,ट वर्ग , र और ष

दन्त                   लृ , त वर्ग , ल , स

ओष्ठ                   उ , प वर्ग

नासिका                   ड़ , ञ , ण , न , म

दन्त और ओष्ठ।           व

कंठ और तालु।            ए , ऐ

कण्ठ और ओष्ठ।          ओ , औ

इस प्रकार अलग अलग वर्ण के उच्चारण में मुंह में अलग अलग जगह पर जीभ छूती है। प्रत्येक वर्ण के उच्चारण में एक मुंह में एक स्थान से उच्चारण नहीं होता है। इसलिए अलग वर्ण के लिए अलग उच्चारण स्थान होता है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न –:

1.वर्ण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:

वह छोटी से छोटी इकाई जिसके टुकड़े न हो सके, उसे वर्ण कहते हैं। वर्ण मूल ध्वनि होती है। इनको अक्षर भी कहा जाता है। यह भाषा की सबसे लघुतम इकाई है।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है इस के टुकड़े नहीं किए जा सकते 

जैसे – अ, क, न, स आदि

2.वर्ण के कितने भेद है?

उत्तर: वर्णों का उच्चारण किस प्रकार होता है और वर्ण उच्चारण में कितना समय लेता है इस आधार पर वर्णों के भेद किए गए हैं। जिससे वर्णों के बारे में जानकारी मिलती है।

वर्ण के मुख्यतः दो भेद माने गए हैं – 

  1. स्वर , 2.व्यंजन।

3.वर्णमाला किसे कहते है?

उत्तर: किसी भाषा के ध्वनि चिन्हों अर्थात वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी भाषा की वर्णमाला में 47 वर्ण माने गए हैं। लिखने के आधार पर 52 प्रकार के वर्ण माने गए हैं। 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन है।

4.वर्ण के उच्चारण स्थान से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: वर्णों के उच्चारण के समय जीभ की स्थिति बदलती रहती है। प्रत्येक वर्ण के उच्चारण में जीभ की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है। मुख में जिस स्थान से जीभ टकराकर वर्ण का उच्चारण करती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं।

5.संयुक्त व्यंजन किसे कहते है?

उत्तर:संयुक्त व्यंजन वे होते है जो एक या उससे अधिक व्यंजनों के मेल से बने होते है। ये अकेले प्रयोग में नहीं किया जाते है।ये वर्ण दो वर्णों के मेल से ही सही शब्द बनाकर एक सार्थक अर्थ देते हैं।

जैसे–

ज् + ञ = ज्ञ, – ज्ञानी, यज्ञ, अज्ञान,

श् + र = श्र – श्रीमान, श्रीमती, परिश्रम