राष्ट्रीय पक्षी का अर्थ है एक ऐसा पक्षी जो हमारे देश का प्रतीक है। भारत में कई सारे सुंदर-सुंदर पक्षी पाए जाते हैं। भारत में तक़रीबन 1,200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बात सिर्फ राष्ट्र पक्षी की करें तो भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर को माना जाता है। 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर दिया गया क्योंकि यह शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है। मोर केवल एक सुंदर पक्षी ही नहीं बल्कि इसे हिंदू धर्म की कथाओं में भी ऊँचा दर्जा दिया गया है।
मोर दिखने में बहुत ही सुन्दर पक्षी है। सभी पक्षियों में सबसे बड़ा मोर पक्षी ही है। मोर भारत के हर जगह में पाए जाते हैं। मोर में लगभग सभी रंगों का समावेश होता हैं। मोर की पंखो का रंग हरा होता है और मोर की पंखों में चाँद जैसी कई आकृतियाँ बनी हुई है जिसमें कई रंग सुसज्जित हैं।ये हमेशा ऊँचे स्थानों पर ही बैठना पसंद करते हैं। हमें मोर पीपल, नीम और बरगद के पेड़ों पर देखने के लिए आसानी से मिल जायेंगे। मोर के मुँह और गले का रंग बैंगनी होता है।
मोर के पंख मखमल के कपड़े जैसे कोमल और बहुत सुन्दर होते हैं। मोर की आंखों का आकार छोटा होता है। मोर के पैरों का रंग पूरा सफ़ेद तो नहीं होता है, लेकिन सफ़ेद में थोडा मैला सा होता है। मोर हमारा राष्ट्रिय पक्षी है, हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।
मोर की सुन्दरता को देखकर ही कवि रविन्द्रनाथ ने कहा था– “हे मोर तू इस मृत्युलोक को स्वर्ग के समान बनाने के लिए आया है।”
मोर एक शर्मीला पक्षी है, जो लोगों से दूर रहना पसंद करता है। मोर की आवाज कर्करी होती है जो दो किलोमीटर दूर से भी सुनाई दे सकती है। मोर पेड़ की डालियों पर रहना बहुत पसंद करते हैं। भारत में लगभग सभी जगहों पर मोर पाए जाते हैं। इसमें मुख्य स्थान राजस्थान, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश है। इनके के पंख लम्बे और बड़े होते हैं। इसी कारण मोर ज्यादा ऊँचा उड़ नहीं पाते। मोर जमीन पर चलना पसंद करते हैं। मोर की पंखों में छोटी छोटी पंखुडियाँ होती हैं। पंख के अंतिम छोर पर चाँद जैसी बैंगनी रंग की आकृतियाँ होती है, जो दिखने में बहुत ही सुन्दर होती हैं। इनके पंख अन्दर से खोखले होते हैं। मोर बारिश होती है तब बहुत ही खुश होते हैं और ये अपनी ख़ुशी पंख फैलाकर और नाचकर व्यक्त करते हैं। जब मोर पंख फैलाते हैं तो इसकी आकृति आधे चाँद के सम्मान होती है जो हर किसी को पसंद आती है। मोर को प्राकृतिक आपदा का पहले से ही आभास हो जाता है और ये पहले ही हमें संकेत दे देते हैं। जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो ये जोर जोर से आवाज करने लगते हैं।
जब बरसात का मौसम होता है तो काले बादलों के नीचे मोर अपने पंख फैलाकर नाचना बहुत पसंद करते हैं। मोर सभी पक्षियों का राजा होने कारण भगवान ने भी इसके सिर पर एक मुकुट के रूप में कलगी लगाईं है। भारत के धार्मिक ग्रंथों में मोर को पवित्र पक्षी माना जाता है। मोर सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है।मोर का वजन ज्यादा होने और पंखों का आकर बड़ा होने के कारण ये ज्यादा उड़ नहीं पाते। इसलिए मोर ज्यादातर जमीन पर चलना पसंद करते हैं। इसकी गर्दन लम्बी होती है और इसका रंग नीला होता है। मोर ज्यादातर चमकीले नील और हरे रंग के होते हैं। मोर की पंखों पर चाँद के समान आकृति बनी होती है जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत होती है। मोर के पैर लम्बे होते हैं।
इनकी की चोंच भूरे रंग की होती है। पैरों का रंग पूरी तरह से सफ़ेद नहीं होता मैला सा होता है। मोर के सभी अंग दिखने में सुंदर होते हैं। लेकिन मोर के पैर दिखने में सुन्दर नहीं होते हैं। मोर के पैर बहुत मजबूत होते हैं और इन पर कांटा बना होता है जो मोर की लड़ाई करते समय बहुत मदद करता है।मोर जितना खूबसूरत होता है उतनी मोरनी खुबसूरत नहीं होती है। मोरनी दिखने में भी इतनी आकर्षक नहीं होती जितना मोर होता है। ये मोर से आकार में छोटी होती है। मोर और मोरनी में ज्यादा तो अंतर नहीं होता लेकिन इनको आसानी से पहचाना जा सकता है।
मोरनी के शरीर की लम्बाई लगभग 85 सेंटीमीटर तक हो सकती है। मोर के जैसी इसके सर पर भी एक छोटी सी कलगी होती है। मोरनी के शरीर का निचला भाग बादामी रंग और हल्का सफ़ेद होता है। मोर के पंखों की लम्बाई लगभग 1 मीटर तक होती है और मोर की उम्र 20 से 25 वर्ष तक होती है। मोर खाने में सभी प्रकार का भोजन लेता है। इसी कारण ये सर्वाहारी है। मोर फल और सब्जियों को खाने के साथ साथ यह चना, गेहूँ, बाजरा और मकई भी लेता है और मोर खेतों में हानिकारक कीड़ों, चूहों, दीमक, छिपकली और साँपों को भी अपना भोजन बनाता है। खेतों में हानिकारक कीड़ों को खाने के कारण ये किसानों का सच्चा मित्र होता है। मोर ज्यादातर जंगलों में ही रहते हैं। लेकिन कभी कभी ये अपने भोजन की तलाश करते हुए आबादी में भी आ जाते हैं।एक नर मोर दो से पाँच मादा मोर के साथ सम्बन्ध बनाता है। इनमें से प्रत्येक मादा मोर 6 से 7 अंडे देती है। मादा मोर अपने अंडे जमीन में गड्डा करके जमीन के अन्दर देती है। मादा मोर साल में दो बार अंडे देती है। अण्डों से बच्चों को निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। इनमें से कुछ बच्चे ही बड़े हो पाते हैं। क्योंकि कुछ जब छोटे होते हैं तो जंगली जानवरों का शिकार बन जाते हैं।
पूरे संसार में मोर की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिसमें भारत में पाई जाने वाली प्रजाति सबसे सुन्दर प्रजाति है। इस प्रजाति के मोर ज्यादातर भारत में ही पाए जाते हैं।मोर को विश्व का सबसे सुंदर पक्षी भी कहा जा सकता है। जैसी मोर की सुन्दरता होती है किसी और पक्षी की नहीं हो सकती है। मोर जितना सुंदर होता है उतना ही सुंदर नृत्य भी करता है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों माना गया है?
उत्तर- राष्ट्रीय पक्षी मोर को माना जाता है। 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर दिया गया क्योंकि यह शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है। मोर केवल एक सुंदर पक्षी ही नहीं बल्कि इसे हिंदू धर्म की कथाओं में भी ऊंचा दर्जा दिया गया है।मोर दिखने में बहुत ही सुन्दर पक्षी है। सभी पक्षियों में सबसे बड़ा मोर पक्षी ही है। मोर भारत के हर जगह में पाएं जाते हैं।
प्रश्न 2. मोर की कितनी प्रजातियां होती है?
उत्तर- पूरे संसार में मोर की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिसमें भारत में पाई जाने वाली प्रजाति सबसे सुन्दर प्रजाति है। इस प्रजाति के मोर ज्यादातर भारत में ही पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.मोर के संरक्षण का क्या कानून बना है?
उत्तर- मोर के पंखों की कीमत ज्यादा होने के कारण लोग इसका शिकार करने लगे और इसके पंखों को बाजार में बेचने लगे। धीरे-धीरे मोरों की संख्या में कमी आने लगी। तब भारत सरकार ने वन्य अधिनियम 1972 के तहत मोर के शिकार (Peacock Matter) पर रोक लगा दी। रोक लगाने के बाद भी यदि कोई मोर का शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ सजा दी जाती है। ये कानून मोरों की संख्या में वृद्धि करने के लिए बहुत ही जरूरी है। इस कानून के बाद भारत में मोरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
प्रश्न 4.मोर भोजन में क्या खाते हैं?
उत्तर- खाने के रूप में मोर सर्वाहारी है। मोर अपने खाने में फल और सब्जियों को खाता है। मोर इसके अलावा भी कीड़े-मकोड़े, छिपकली, चूहों और साँपों को खाता है। मादा मोर साँप का शिकार नहीं कर सकती है। मोर खेतों में हानिकारक कीड़ो को खाता है। इस कारण इसे किसानों का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। मोर की वजह से कई सारी फ़सलें हानिकारक कीड़ों से बच जाती है।
प्रश्न 5.भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर से पहले कौन था?
उत्तर- तमिलनाडु के ऊटी में भारत के राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने सम्बंधी आयोजित बैठक में मोर के साथ साथ सारस क्रैन, ब्राह्मिणी काइट, बस्टार्ड, और हंस के नामों पर भी चर्चा की गयी एवं अंतत: मोर को 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया ।