शब्द-भंडार

दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर शब्द का निर्माण करते हैं, और शब्द मिलकर एक भाषा का निर्माण करते हैं। शब्द को हम भाषा की प्राणवायु भी कह सकते हैं, क्योंकि बिना शब्दों के भाषा का कोई अस्तित्व नहीं है। 

हिंदी साहित्य या हिंदी भाषा में शब्दों का ऐसा समूह जिसमें पर्यायवाची, विलोम, एकार्थी, अनेकार्थी, समरूपी भिन्नार्थक और अनेक शब्दों के लिए एक शब्द जैसे शब्दों को एक जगह इकट्ठा करके रखना ही ‘शब्द भंडार’ कहलाता है।

किसी भी भाषा में, वाक्यों में शब्दों का प्रयोग किस प्रकार से किया जाएगा, इस आधार पर हम शब्दों को दो भागों में बाँटते हैं। 

शब्द भंडार के तीन मुख्य भेद किए गए हैं– 

1) अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद–

(i) साथर्क शब्द – ऐसे शब्द जिनके प्रयोग से किसी बात का अर्थ स्पष्ट हो वह सार्थक शब्द कहलाते हैं।

 जैसे – पलंग, संदूक, बोतल, किताब, ठंडा, ब्लैकबोर्ड, कुर्सी, मोबाइल, कंघी, मोमबत्ती, चाय, इत्यादि। 

(ii) निरर्थक शब्द – जब दो या दो से अधिक वर्ण मिल तो जाए लेकिन उनका कोई अर्थ ना बने तो उन शब्दों को निरर्थक शब्द का नाम दिया जाता है। 

जैसे – सोलोइय, युफ्सियत, ओसभ, कोकी आदि। 

सार्थक शब्दों के अर्थ होते हैं जबकि निरर्थक शब्दों का कोई भी अर्थ नहीं होता। 

2) प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद

(i) विकारी शब्द –  विकार शब्द का अर्थ होता है परिवर्तन या बदलाव। जब किसी शब्द के रूप में लिंग, वचन, और कार्य के आधार पर किसी प्रकार का परिवर्तन आ जाता है तो उन शब्दों को विकारी शब्द कहते हैं। 

जैसे लिंग के आधार पर परिवर्तन – 

लड़का काम कर रहा है – लड़की काम कर रही है। 

लड़की खाना खा रही है – लड़का खाना खा रहा है। 

उपयुक्त वाक्य में लिंग के आधार पर शब्दों में परिवर्तन किया गया है। जैसे ‘कर रहा’ का ‘कर रही’ हो गया, जब लिंग के आधार पर परिवर्तन किया जाता है तो शब्दों में कुछ ज्यादा अंतर नहीं आता। 

एकवचन और बहुवचन के आधार पर शब्दों में परिवर्तन –

लड़का खेलता है – लड़के खेलते हैं। 

लड़का शब्द सिर्फ एक लड़के के लिए प्रयोग किया गया है जबकि लड़के अनेक के लिए प्रयोग किया गया है।

औरत घर का काम करती है – औरतें घर का काम करती है।

‘औरत’ शब्द सिर्फ एक औरत के लिए है जबकि ‘औरतें’ शब्द बहुत सारी औरतों के लिए है, इस प्रकार से वचन के आधार पर भी शब्दों में परिवर्तन किया जाता है।

कारक के आधार पर शब्दों का परिवर्तन – 

वह आदमी नौकरी करता है – उस आदमी को नौकरी करने दो।

वह लड़की लिखती है – उस लड़की को लिखने दो। 

ऊपर वाक्य में कारक के बदल जाने से शब्दों का ही अर्थ बदल जाता है। 

विकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है- 

(i) संज्ञा 

(ii) सर्वनाम 

(iii) विशेषण 

(iv) क्रिया 

(ii) अविकारी शब्द – 

जब शब्दों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता तो उन्हें अविकारी शब्द कहा जाता है जैसे – परंतु, तथा, धीरे-धीरे, अधिक आदि। 

जिन शब्दों में लिंग, वचन, कार्य के आधार पर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाता वह अविकारी शब्द कहलाते हैं। 

जैसे – तुम धीरे-धीरे वहाँ जाओ।

         परंतु तुम हो कौन?

वाक्य में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। वाक्य का प्रयोग लड़के के लिए हो रहा है या लड़की के लिए हो रहा है इसका अर्थ बता पाना मुश्किल है। 

अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है

(i) क्रिया-विशेषण 

(ii) सम्बन्ध बोधक

(iii) समुच्चय बोधक

(iv) विस्मयादि बोधक

3) उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद –

(i) तत्सम शब्द 

(ii ) तद्भव शब्द 

(iii ) देशज शब्द

(iv) विदेशी शब्द।

(i) तत्सम शब्द – हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है, जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ और प्रयोग संस्कृत भाषा के समान ही किया जाता है, इन शब्दों को ही तत्सम शब्द कहा जाता है। 

 संस्कृत भाषा के वह शब्द जो हिंदी भाषा में लिए गए हैं और वह अपने वास्तविक रूप में प्रयोग किए जाते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।

(ii ) तद्भव शब्द – वह शब्द जो संस्कृत भाषा से विकृत होकर हिंदी में आए हैं तद्भव शब्द कहलाते हैं। संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जो सिर्फ थोड़े से ही बदलाव के साथ हिंदी भाषा में रूपांतरित किए गए हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं। 

(iii ) देशज शब्द – भारत देश में भिन्न-भिन्न स्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की बोलियाँ बोली जाती है और हिंदी भाषा में कई ऐसे शब्द है, जो देश की विभिन्न बोलियों से लिए गए हैं, इन्हीं शब्दों को देशज  शब्द का नाम दिया जाता है। 

जो शब्द किसी देश की विभिन्न भाषाओं से मातृभाषा में लिए गए हो वह देशज शब्द कहलाते हैं। 

जैसे- चिड़िया, कटरा, कटोरा, खिरकी, जूता, खिचड़ी, पगड़ी, लोटा, डिबिया, तेंदुआ, कटरा, अण्टा, ठेठ, ठुमरी, खखरा, चसक, फुनगी, डोंगा आदि।

(iv) विदेशी शब्द – विदेशी भाषाओं से जो शब्द हिंदी भाषा में जोड़े गए हैं वह शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। जो शब्द विदेशियों के संपर्क में आने के बाद हिंदी भाषा में लिए गए हैं, वह शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। 

आज के समय में हिंदी भाषा में अनेक प्रकार के विदेशी शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है – 

अंग्रेजी भाषा से लिए गए शब्द  – हॉस्पिटल, डॉक्टर,  , पेन, पेंसिल, , कार, स्कूल, कंप्यूटर, ट्रक, टेलीफोन, टिकट, इत्यादि।

 अरबी भाषा से लिए गए शब्द – असर, किस्मत, खयाल, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, , मालिक, गरीब, मदद इत्यादि।

तुर्की भाषा से लिए गए शब्द – तोप, काबू, तलाश, , बेगम, बारूद, चाकू इत्यादि।

चीनी भाषा से लिए गए शब्द – चाय, पटाखा,आदि।

उपयुक्त शब्दों के अलावा भी कई ऐसे शब्द जो विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, इनका प्रयोग हिंदी भाषा में आज के समय में भी होता है। इसके अलावा वर्तमान समय में भी कई शब्द विदेशों से हिंदी भाषा में लिए जा रहे हैं जिनका उपयोग धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न –:

1)शब्द भंडार किसे कहते हैं?

उत्तर- हिंदी साहित्य या हिंदी भाषा में शब्दों का ऐसा समूह जिसमें पर्यायवाची, विलोम, एकार्थी, अनेकार्थी, समरूपी भिन्नार्थक और अनेक शब्दों के लिए एक शब्द जैसे शब्दों को एक जगह इकट्ठा करके रखना ही शब्द भंडार कहलाता है।

2)शब्द भंडार के कितने भेद है?

उत्तर: शब्द भंडार के तीन मुख्य भेद किए गए हैं- 

1. अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद

(i) साथर्क शब्द 

(ii) निरर्थक शब्द 

2. प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद

i) विकारी शब्द 

(ii) अविकारी शब्द

3. उत्पत्ति की दृष्टि से।

3) ‘तद्भव शब्द’ किसे कहते है?

उत्तर: वह शब्द जो संस्कृत भाषा से विकृत होकर हिंदी में आए हैं तद्भव शब्द कहलाते हैं। संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जो सिर्फ थोड़े से ही बदलाव के साथ हिंदी भाषा में रूपांतरित किए गए हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं। 

4) ‘तत्सम शब्द’ किसे कहते हैं?

उत्तर: हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ और प्रयोग संस्कृत भाषा के समान ही किया जाता है, इन शब्दों को ही तत्सम शब्द कहा जाता है। 

5)हॉस्पिटल शब्द की भाषा का है?

उत्तर: हॉस्पिटल शब्द अंग्रजी भाषा का शब्द है, जो हिंदी में प्रयोग किया जाता है।

पर्यायवाची शब्द

एक शब्द का समान अर्थ देने वाले शब्द को पर्यायवाची शब्द कहते है। यह शब्द समान अर्थ होने के कारण दूसरे शब्द का भी स्थान ले लेते है।

पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द को अंग्रेजी में synonym कहते है।

एक शब्द का समान अर्थ देने के कारण पर्यायवाची शब्द को समानार्थी शब्द भी कहते है।

हिंदी में तत्सम शब्द जो संस्कृत से हिंदी में आए है, पर्यायवाची के रूप में अधिक पाए जाते हैं।

 पर्यायवाची शब्द इस प्रकार है–:

वृक्ष –: पेड़, पादप, विटप, तरु

अग्नि –: अनल, पावक, दहन, ज्वलन,

दवा–: दवाई, औषध, औषधि

अतिथि –: मेहमान ,पाहुन ,आगंतुक, अभ्यागत।

अश्व –: घोड़ा,आशुविमानक, तुरंग, घोटक, हय, तुरंगम, 

अधर्म –: पाप ,अनाचार, अन्याय, अपकर्म, जुल्म।

अचल- अडिग ,अटल ,स्थिर ,दृढ, अविचल।

अनुपम- अनोखा, अनूठा, अपूर्व, अद्भुत, अतुल।

अमृत- मधु, सुधा, पीयूष ,अमी, सोम ,सुरभोग।

अंबा- माता, जननी, मां, जन्मदात्री, प्रसूता।

अलंकार– आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर।

अहंकार– दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान।

अरण्य– जंगल, वन, कानन, अटवी, कान्तार, विपिन।

अंकुश– नियंत्रण, पाबंदी, रोक, अंकुसी, दबाव, गजांकुश, हाथी को नियंत्रित करने की कील, नियंत्रित

अंतरिक्ष– खगोल, नभमंडल, गगनमंडल, 

अंतर्धान– गायब, लुप्त, ओझल, अदृश्य।

अंबर– आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ।

अंतर्गत– शामिल, सम्मिलित, भीतर 

कर्ण- सूर्यपुत्र, राधेय, कौन्तेय, पार्थ, अंगराज, सूतपुत्र।

कनक- कंचन, सुवर्ण, हिरण्य, हेम, हाटक, सोना, 

कपोत- कबूतर, हारीत, पारावत, परेवा, रक्तलोचन।

कपड़ा- अंबर, पट, पोशाक, लिबास, परिधान,चीर, वसन, वस्त्र।

कमल- जलज, पंकज, अम्बुज, सरोज, शतदल, नीरज, इन्दीवर, सरसिज, अरविन्द, नलिन, उत्पल, सारंग,

कली- कलिका, मुकुल, कुडमल, डोंडी, गुंचा, कोरक।

कपूर- घनसार, हिमवालुका।

कर- हाथ, हस्त, बाहु, पाणि, भुज।

कर्तव्य- कर्म, कृत्य, विधेय।

कान्ति- प्रकाश, आलोक, उजाला, दीप्ति, छवि, सुषमा,आभा, प्रभा, छटा, द्युति।

कामदेव- मदन, काम, कंदर्प, मनोज, स्मर, मीनकेतु, मनसिज, मार, रतिपति, मन्मथ, अनंग,शंबरारि,कसुमेष, 

किरण- अंशु, रश्मि, कला, कर, गो, प्रभा, दीधिति,

किनारा- तट, कूल, तीर, कगार, पुलिन।

कुत्ता-  सोनहा, शुनक, गंडक, कुकर, ,कुक्कुर।

केला- कदली, भानुफल, गजवसा, कुंजरासरा, मोचा, र 

कौआ- काक, वायस, काण, काग, बलिपुष्ट, करकट,पिशुन।

कंठ- गला, शिरोधरा, ग्रीवा, गर्दन।

कुबेर- धनद, यक्षराज, धनाधिप, यक्षपति, किन्नरेश, राजराज, धनेश।

कृतज्ञ- ऋणी, आभारी, अनुग्रहित, उपकृत

गरुड़- खगेश, खगपति, नागांतक, सुपर्ण, वैनतेय।

गाय- भद्रा, गौरी, सुरभी, धेनु, गऊ, गौ,गैया, पयसि्वनी,दोग्धी।

गंगा- देवनदी, भागीरथी, सुरसरिता, जाह्नवी, मन्दाकिनी विष्णुपदी, सुरसरि, देवपगा, त्रिपथगा, सुरधुनी।

गन्ना- ईक्षु, ऊख, ईख, पौंड़ा।

गणेश- गणपति, गजवदन, मूषकवाहन, लम्बोदर . विनायक, गजानन, भवानीनन्दन।

गुप्त- गूढ़, रहस्यपूर्ण, परोक्ष, छिपा।

गेंद- कन्दुक, गिरिक, गेन्दुक।

गधा- खर, वैशाखनन्दन, गर्दभ, रासभ, लम्बकर्ण,

गीदड़- नचक, शिवां, सियार, जंबुक, श्रृंगाल।

गोद – पार्श्व, अंक, उत्संग, गोदी, क्रोड

घड़ा- घट, कलश, कुंभ, घटक, कुट।

 घी- हव्य, अमृतसार, क्षीरसार, आज्य।

घास- शष्प, शाद, शाद्वल, तृण, दूर्वा, दूब।

घृणा- अरुचि, नफरत, जुगुप्सा, अनिच्छा, विरति, घिन।

घर– आलय, आवास, गेह, गृह, सदन, निवास, भवन, वास, वास -स्थान, शाला, निकेतन, निलय

चाँदनी- चंद्रिका, कौमुदी, हिमकर, अमृतद्रव, उजियारी, ज्योत्स्न्ना, चन्द्रमरीचि, कलानिधि।

चंदन- श्रीखण्ड, गंधराज, गंधसार,मंगल्य, हरिगंध, मलय, दिव्यगंध, मलयज, दारूसार।

चर्म- खाल, चमड़ी, त्वचा, त्वक्।

चाँदी- जातरूप, रजत, रुपक, रूपा, कलधौत, रूप्य, 

चूहा- खंजक, इन्दुर, मूषक, आखु, गणेशवाहन, मूसा।

चोर- तस्कर, रजनीचर, मोषक, कुंभिल, साहसिक,

चोटी- श्रृंग, कूट, शिखा, शिखर, शीर्ष, चूड़ा।

चंद्रमा- सुधाकर, शशांक, रजनीपति 

चमक- ज्योति, प्रभा ,शोभा ,छवि, आभा।

चाँद- चन्द्र, चन्द्रमा, शशि, सोम, विधु, राकेश, शशांक, मयंक, रजनीश, महाताब, तारकेश्वर।

जल- नीर, सलिल, जीवन, तोय, उदक, पानी, पय,अंबु, अंभ, रस, आब, वारि ।

जिह्वा- जीभ, रसज्ञा, रसा, जबान, रसिका, रसना, वाचा।

जगत- विश्व, दुनिया, जगती, संसार, भव, जग, जहान्, लोक।

जहर- हलाहल, विष, गरल, कालकूट, गर

कर्ण अंगराज, सूर्यसुत, अर्कनन्दन, राधेय, सूतपुत्र, रविसुत, आदित्यनन्दन।

कली मुकुल, जालक, ताम्रपल्लव, कलिका, कुडमल, कोरक, नवपल्लव, अँखुवा, कोंपल, गुंचा।

कठिन– दुर्बोध, जटिल, दुरूह।

कंगाल– निर्धन, गरीब, अकिंचन, दरिद्र।

कमज़ोर –दुर्बल, निर्बल, अशक्त, क्षीण।

कुटिल– छली, कपटी, धोखेबाज़, 

छात्र– विद्यार्थी, शिक्षार्थी, शिष्य।

छाया– साया, प्रतिबिम्ब, परछाई, छाँव।

छल– प्रपंच, झाँसा, फ़रेब, कपट।

जननी– माँ, माता, माई. मइया. अम्बा, अम्मा।

जीव– प्राणी, देहधारी, जीवधारी।

जिज्ञासा– उत्सुकता, उत्कंठा, कुतूहल।

जंग– युद्ध, रण, समर, लड़ाई, संग्राम।

जग– दुनिया, संसार, विश्व, भुवन, मृत्युलोक।

जल– सलिल, उदक, तोय, अम्बु, पानी, नीर, वारि, पय, अमृत, जीवक, रस, अप।

जहाज़– जलयान, वायुयान, विमान, पोत, जलवाहन।

जानकी –जनकसुता, वैदेही, मैथिली, सीता, रामप्रिया, जनकदुलारी, जनकनन्दिनी।

झंडा– ध्वजा, केतु, पताका, निसान।

झरना– सोता, स्रोत, उत्स, निर्झर, जलप्रपात, प्रस्रवण, प्रपात।

झुकाव– रुझान, प्रवृत्ति, प्रवणता, उन्मुखता।

झकोर– हवा का झोंका, झटका, झोंक, बयार।

झुठ– मिथ्या, मृषा, अनृत, असत, असत्य।

ठंड– शीत, ठिठुरन, सर्दी, जाड़ा, ठंडक

ठेस– आघात, चोट, ठोकर, धक्का।

ठौर– ठिकाना, स्थल, जगह।

ठग– जालसाज, प्रवंचक, वंचक, प्रतारक।

तन– शरीर, काया, जिस्म, देह, वपु।

तपस्या– साधना, तप, योग, अनुष्ठान।

तरंग– हिलोर, लहर, ऊर्मि, मौज, वीचि।

तरु– वृक्ष, पेड़, विटप, पादप, द्रुम, दरख्त।

तलवार– असि, खडग, सिरोही, चन्द्रहास, कृपाण, शमशीर, करवाल, करौली, तेग।

तम– अंधकार, ध्वान्त, तिमिर, अँधेरा, तमसा।

तस्वीर– चित्र, फोटो, प्रतिबिम्ब, प्रतिकृति, आकृति।

तालाब– जलाशय, सरोवर, ताल, सर, तड़ाग, जलधर, सरसी, पद्माकर, पुष्कर

तारीफ़– बड़ाई, प्रशंसा, सराहना, प्रशस्ति, गुणगाना

तीर– नाराच, बाण, शिलीमुख, शर, सायक।

तोता– सुवा, शुक, दाडिमप्रिय, कीर, सुग्गा, रक्ततुंड।

दर्पण– शीशा, आइना, मुकुर, आरसी।

दास चाकर, नौकर, सेवक, परिचारक, परिचर, किंकर, गुलाम, अनुचर।

दुःख– क्लेश, खेद, पीड़ा, यातना, विषाद, यन्त्रणा, क्षोभ, कष्ट

दूध– पय, दुग्ध, स्तन्य, क्षीर, अमृत।

देवता– सुर, आदित्य, अमर, देव, वसु।

दोस्त सखा, मित्र, स्नेही, अन्तरंग, हितैषी, सहचर।

द्रोपदी– श्यामा, पाँचाली, कृष्णा, सैरन्ध्री, याज्ञसेनी, द्रुपदसुता, नित्ययौवना।

दासी– बाँदी, सेविका, किंकरी, परिचारिका।

धनुष– चाप, धनु, शरासन, पिनाक, कोदण्ड, कमान, विशिखासन।

धीरज– धीरता, धीरत्व, धैर्य, धारण, धृति।

धरती– धरा, धरणी, पृथ्वी, क्षिति, वसुधा, अवनी, मेदिनी।

धवल– श्वेत, सफ़ेद, उजला।

धुंध– कुहरा, नीहार, कुहासा।

ध्वस्त– नष्ट, भ्रष्ट, भग्न, खण्डित।

धूल– रज, खेहट, मिट्टी, गर्द, धूलिा

धंधा– दृढ़, अटल, स्थिर, निश्चित।

नदी– सरिता, दरिया, अपगा, तटिनी, सलिला, स्रोतस्विनी, कल्लोलिनी, प्रवाहिणी।

नमक– लवण, लोन, रामरस, नोन।

नया– ‘नवीन, नव्य, नूतन, आधुनिक, अभिनव, अर्वाचीन, नव, ताज़ा।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1. ‘पर्यायवाची शब्द’ किसे कहते है?

उत्तर: एक शब्द का समान अर्थ देने वाले शब्द को पर्यायवाची शब्द कहते है। यह शब्द समान अर्थ होने के कारण दूसरे शब्द का भी स्थान ले लेते है।

2. पर्यायवाची शब्द को दूसरे किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: एक शब्द का समान अर्थ देने के कारण पर्यायवाची शब्द को समानार्थी शब्द भी कहते है।

3. कमल के पर्यायवाची शब्द क्या है?

उत्तर: कमल के पर्यायवाची शब्द निम्न है–:

       सरोज, जलज, नीरज, पंकज

4. झंडा के पर्यायवाची शब्द बताओ?

उत्तर: ध्वजा, केतु, पताका, निसान।

5. अमृत के पर्यायवाची शब्द लिखो?

उत्तर: अमृत के पर्यायवाची शब्द निम्न है–:

      मधु, सुधा, पीयूष ,अमी, सोम ,सुरभोग।