जब दो या दो से अधिक पद अपने प्रत्ययों या विभक्तियों को छोड़कर मिलते हैं तो समास कहलाते है। साधारण शब्दों में, जब अनेक शब्द मिलकर पद बनाते हैं तथा दो या उससे अधिक शब्दों के संयोग से जब कोई नया शब्द बनता है और उसका नया अर्थ निकलता है तो उसे समास कहते है। समास के द्वारा कम शब्दों में अधिक अर्थ व्यक्त करने की कोशिश की जाती है।समास के विग्रह करने से एक नया अर्थ निकलता है।
समास के भेद
पदों की प्रधानता को आधार मानकर समास को मुख्यत: छह भागों में विभाजित किया गया है।
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- द्वंद्व समास
- बहुब्रीहि समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
1.अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास में पहला पद प्रधान होता है, इसका पहला पद क्रिया विशेषण होता है तथा अन्य पद अव्यय का काम करते है। अव्ययीभाव समास में पहले पद की प्रधानता होती है। इसका अर्थ पहले पद पर ही आधारित होता है।
उदाहरण
1) यथा संभव– जैसा संभव हो (इसमें पहले पद यथा को महत्व दिया गया है, इसलिए यह अव्ययीभाव समास है।)
2) प्रति वर्ष– प्रत्येक वर्ष ( इसमें पहले शब्द प्रति को महत्व दिया गया है, इसलिए यह अव्ययीभाव समास है।)
2. तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास में दूसरा या अंतिम पद प्रधान होता है। इस समास के दूसरे या आखिरी पद को महत्व दिया जाता है और किसी एक विभक्ति का भी प्रयोग किया जाता है। इस समास के पदों के बीच किसी एक कारक की विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, जिससे इनकी पहचान करना आसान होता है।तत्पुरुष समास में प्रथम विभक्ति और अंतिम विभक्ति का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें को, से द्वारा, के लिए, में, से, का, पर आदि विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
1) राजपुत्र– राजा का पुत्र (इसमें दूसरा पद पुत्र को महत्व दिया गया है और ‘का’ विभक्ति का प्रयोग किया है, इसलिए यह तत्पुरुष समास है।)
2) आकाशपतित– आकाश से पतित(इसमें अंतिम पद पतित को महत्व दिया गया है और ‘से’ विभक्ति का प्रयोग किया गया है, इसलिए यह तत्पुरुष समास है।)
3.द्वंद्व समास
द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं और दोनों पद संज्ञा या उसका समूह होता। दोनों पद ‘और’ ‘अथवा’ एवं ‘या’ बोधकों के द्वारा जुड़े होते हैं। जब उन पदों को अलग करके लिखते है तो इन योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण
1) माता–पिता – माता और पिता (यहाँ पर माता–पिता ‘और’ बोधक से जुड़ें हुए हैं, इसलिए यह द्वंद्व समास है।)
2) सीता–राम – सीता और राम (यहाँ सीता–राम ‘और’ बोधक से जुड़ें हुए हैं, इसलिए यह द्वंद्व समास है।)
4. बहुब्रीहि समास
बहुब्रीही समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है।इसमें दोनों पद मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसका एक नया अर्थ निकलता है। जो इस पद को परिभाषित करता है।
उदाहरण
1) नीलकंठ– नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव ( यहाँ पर नीलकंठ का एक नया अर्थ निकाला गया है, इसलिए यह बहुब्रीही समास है)
2) गजानन– गज के समान मुख है जिसका अर्थात गणेश (यहाँ पर गजानन का एक नया अर्थ निकाला गया है, इसलिए यहाँ बहुब्रीहि
समास है।)
5. कर्मधारय समास
इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं। इसके पदों के बीच विशेषज्ञ- विशेषण, उपमान–उपमेय का भाव होता है। इसमें किसी एक पद की विशेषता बताई जाती है या फिर उसकी तुलना की जाती है।
उदाहरण
1) शशिमुख– शशि के समान मुख (यहाँ पर उपमान उपमेय का भाव है, इसलिए यह कर्मधारय समास है।)
2) पीतांबर – पीले है जो अंबर(वस्त्र) (यहाँ पर विशेषण का भाव है, इसलिए यह कर्मधारय समास है।)
6. द्विगु समास –:
द्विगु समास में पहला पद संख्या का बोध कराता है और दूसरा पद प्रधान होता है। संख्यावाची शब्द समूह या समाहार का बोध कराता है। इस समास के दूसरे पद को महत्व दिया जाता है।
उदाहरण
1) नवरत्न – नौ रत्नों का समूह ( यहाँ पर पहला पद संख्यावची है और बाद में समूह का बोध हो रहा है, इसलिए यह द्विगु समास है।)
2) चौराहा– चार राहों का समाहार (यहाँ पर पहला पद संख्यावाची और बाद में समाहार का बोध हो रहा है, इसलिए यह द्विगु समास है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न-:
1. दिए गए शब्द में कौन का समास है?
‘चरणकमल’
उत्तर: चरणकमल– कमल के समान चरण है जिसके (कर्मधारय समास) इसमें चरण की विशेषता बताई गई है, इसलिए यह कर्मधारय समास है।
2. तत्पुरुष समास का उदाहरण दीजिए।
उत्तर: देशभक्ति – देश के लिए भक्ति ( तत्पुरुष समास) इसमें विग्रह करने पर ‘के लिए’ कारक का प्रयोग किया गया है, इसलिए यह तत्पुरुष समास है।
3. ‘लंबोदर’ शब्द में कौन–सा समास है?
उत्तर: लंबोदर–लंबा है उदर जिसका अर्थात गणेश ( बहुब्रीही समास) इस समास में एक नया अर्थ निकलकर आया है, इसलिए यह बहुब्रीही समास है।
4. द्विगु समास की क्या पहचान होती है?
उत्तर: द्विगु समास में पहला पद सांख्यवाची शब्द होता है और अंत में किसी समूह या समाहार का बोध होता है।
5. दिए गए शब्द में समास की पहचान करें!
‘दिन–रात’
उत्तर: दिन–रात – दिन और रात (द्वंद्व समास) इस समास में ‘और’ योजक शब्द का प्रयोग किया गया है, इसलिए यह द्वंद्व समास है।
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