पद परिचय

वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को पद कहा जाता है| इन्हीं पदों का व्याकारणिक परिचय देना पद परिचय कहलाता है। वाक्य में आए पदों का परिचय  विभिन्न आधारों पर दिया जाता है।दिया जाता है।

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प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते है

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. अव्यय
  5. क्रिया विशेषण
  6. क्रिया
  7. संबंधबोधक
  8. समुच्चयबोधक

1. संज्ञा शब्द का पद परिचय

वाक्य में संज्ञा शब्द का पद परिचय देते समय उस शब्द में संज्ञा, संज्ञा के भेद, को बताना होता है तथा उसके साथ साथ लिंग, वचन,कारक और क्रिया के साथ उसका संबंध बताना होता है।

उदाहरण–: लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

लंका–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग,एकवचन, कर्ता कारक

राम–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

बाणों–: संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक 

रावण–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

इस प्रकार संज्ञा शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

2. सर्वनाम शब्द का पद परिचय

जब वाक्य सर्वनाम शब्द का पद परिचय देना हो तो सबसे पहले कौन-सा सर्वनाम, सर्वनाम का प्रकार पुरुष, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताते है।

उदाहरण–: जिसे आप लोगों ने खाने पर बुलाया है,उसे अपने घर जाने दीजिए।

जिसे–: अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

आप लोगों ने–:पुरुष वाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

उसे–:अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

अपने–: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक। 

इस प्रकार सर्वनाम शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

3. विशेषण शब्द का पद परिचय–:

विशेषण शब्द का पद परिचय देते समय विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग,वचन और विशेष्य के साथ उसके संबंध को बताना होता है।

उदाहरण- ये तीन मूर्तियां बहुत क़ीमती हैं।

उपर्युक्त वाक्य में ‘तीन’ ,’बहुत’ और ‘क़ीमती’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘मूर्तियां’ हैं।

बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

क़ीमती : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन

इस प्रकार विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

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4. अव्यय शब्द का पद परिचय–:

अव्यय का पद परिचय बताने के लिए वाक्य में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को बताना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन जाते हैं। 

वाक्य में ‘प्रतिदिन’ अव्यय है। 

प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय

जाना : क्रिया का विशेषण

इस प्रकार अव्यय शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

5. क्रिया विशेषण शब्द  का पद परिचय–:

क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण-  लड़की उछल कूद कर रही हैं।

इस वाक्य में ‘उछल कूद’ क्रियाविशेषण है। 

उछल कूद  : रीतिवाचक क्रियाविशेषण क्योंकि ‘कर रही है’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

इस प्रकार क्रिया विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है

6. क्रिया शब्द का पद परिचय–:

क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – मोहन ने सोहन को मारा।

मारा : क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता मोहन तथा कर्म सोहन है।

इस प्रकार क्रिया शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

7.संबंधबोधक शब्द का पद परिचय–:

संबंधबोधक का पद परिचय में संबंधबोधक का भेद और संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण- पेड़ के नीचे चिड़िया बैठी है।

के नीचे : संबंधबोधक, पेड़ और चिड़िया इसके संबंधी शब्द हैं।

इस प्रकार संबंधबोधक शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

8.समुच्चयबोधक शब्द का पदपरिचय–:

समुच्चयबोधक के पद परिचय में समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – दिल्ली अथवा कोटा में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

अथवा : विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय है तथा ‘कोटा’ और दिल्ली के मध्य विभाजक संबंध

इस प्रकार समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय किया जाता है।

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अधिकतर पूछें गए प्रश्न–:

1. शब्द परिचय कितने प्रकार का होता है?

उत्तर: शब्द परिचय 8 प्रकार का होता है। जिसमें एक वाक्य के शब्दों का आठ प्रकार से परिचय किया जाता है।

2. दिए गए वाक्य का शब्द परिचय दीजिए:

 रामचरितमानस की रचना तुलसीदास द्वारा की गई। 

उत्तर: रामचरितमानस: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग, कर्म कारक। 

तुलसीदास द्वारा: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग , करण कारक। 

की गई : संयुक्त क्रिया , एकवचन , स्त्रीलिंग , कर्मवाच्य, अन्य पुरुष। 

3. किस प्रकार के पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है?

उत्तर: संबंधबोधक पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है।

4. क्रिया विशेषण शब्द और क्रिया शब्द के पद परिचय में क्या अंतर है?

उत्तर:क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है जबकि क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

5. दिए गए वाक्य का पद परिचय कीजिए:

    वीरों की सदा जीत होती है।

उत्तर:वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।

सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।

जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

क्रिया

क्रिया का अर्थ होता है कार्य करना। भाषा के वाक्य को पूरा करने के लिए क्रिया का होना जरूरी है। किसी भी वाक्य को पूरा करने के लिए क्रिया का होना जरूरी है। क्रिया किसी भी कार्य को होने या करने के बारे में दर्शाती है। क्रिया को करने वाला कर्ता कहलाता है। क्रिया एक विकारी शब्द है जिसके रंग, रूप, लिंग और पुरुष कर्ता के अनुसार बदलते है।

जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते है। संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते है। हिंदी में इन धातुओं के साथ ना लगता है।

उदाहरण–: खाना, पीना, सोना, रहना आदि|

1.रोहन ने खाना खाया।

इस वाक्य में खाना खाने का काम रोहन के द्वारा हो रहा है। इसलिए इस वाक्य में रोहन कर्ता और खाया क्रिया है।

2.मोहन नाचता है। 

इस वाक्य में नाचने का काम मोहन के द्वारा किया जा रहा है। इसमें मोहन कर्ता और नाचना क्रिया है।

3.उसने अपना स्कूल देखा

इस वाक्य में देखने का कार्य ‘उसने’ द्वारा हो रहा है। इसलिए इसमें उसने कर्ता और देखना क्रिया है।

क्रिया के भेद (kriya ke kitne bhed hote hain )

क्रिया के भेद दो आधारों पर किए गए हैं-

1) कर्म के आधार पर।

2) प्रयोग के आधार पर।

1) कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है

  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया

1.अकर्मक क्रिया

वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म / कार्य की आवश्यकता नहीं होती है उसे अकर्मक क्रिया कहते है। इसमें क्रिया का प्रभाव सीधे कर्ता पर पड़ता है। 

जैसे-(क) राकेश खेलता है।

      (ख) अमन दौड़ता है।

उपर्युक्त वाक्यों में “खेलता है”, “दौड़ता है” क्रिया पदों के साथ कर्म नहीं है। क्रिया का फल अथवा प्रभाव कर्ता पर पड़ता है। 

2. सकर्मक क्रिया

वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की आवश्यकता होती है, सकर्मक क्रिया कहलाती है। सकर्मक क्रिया कर्म के बिना अपना भाव पूर्ण रूप से प्रकट नहीं कर पाती।

जैसे-(क) मामा जी बाजार जाते हैं।

      (ख) सोनिया खाना खाती है।

उपर्युक्त वाक्यों में जाते हैं, खाती है क्रियाओं का फल क्रमशः सोनिया, मामा जी, पर न पड़कर बाजार, खाना पर पड़ रहा है। बाजार, खाना कर्म हैं। ये सभी सकर्मक क्रियाएँ हैं।

क्रिया से क्या और किसको लगाकर प्रश्न पूछा जाता है और फिर जो उसका उत्तर मिलता है उसे कर्म कहते हैं। जैसे सोनिया क्या खाती है। खाना इसके जवाब के रूप में मिलता है। इसलिए यह सकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया के भेद

सकर्मक क्रिया के निम्नलिखित दो भेद हैं:

(क) एककर्मक क्रिया

(ख) द्विकर्मक क्रिया

एककर्मक क्रिया

जिन क्रियाओं का एक ही कर्म होता है, एककर्मक क्रिया कहलाती है। 

जैसे- वह अखबार पढ़ता है।

यहाँ ‘अखबार’ एक ही कर्म है। इसलिए यह एककर्मक क्रिया है।

द्विकर्मक क्रिया

जिन सकर्मक क्रियाओं के दो कर्म हों, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे- पिता ने पुत्र को पुस्तक पढ़ाई।

यहाँ “पुत्र” और “पुस्तक” दो कर्म हैं। इसलिए यह द्विकर्मक क्रिया है।

 

2)प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार भेद है

1)संयुक्त क्रिया

2)सहायक क्रिया

3)प्रेरणार्थक क्रिया

4)पूर्वकालिक क्रिया

1. संयुक्त क्रिया

वाक्य में जब क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनी हो तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है।

जैसे- मेने पत्र लिख दिया है।

इस वाक्य में क्रिया लिख दिया दो धातुओं से मिलकर बनी है इसलिए इस वाक्य में संयुक्त क्रिया है।

2. सहायक क्रिया

 सहायक क्रियाएं मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट करने में और उसे पूरा करने में सहायक होती है। वाक्य में एक या एक से अधिक क्रिया सहायक होती है। इसके प्रयोग से क्रिया में काल को बदला जा सकता है।

 जैसे- तुम खेल रहे थे।

 इस वाक्य में खेल मुख्य क्रिया है और रहे थे सहायक क्रिया के रूप में कार्य कर रही है  जो वाक्य के अर्थ को पूरा कर रही है, और इसके कारण काल में बदल गया है।

-वह नाचता है।

इस वाक्य में नाचना मुख्य क्रिया है और है सहायक क्रिया है जो वाक्य के अर्थ को पूरा करती है।

3.प्रेरणार्थक क्रिया

वाक्य में जिन शब्द के माध्यम से पता चलता है कि करता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने को प्रेरित कर रहा है या किसी अन्य से कार्य करवा रहा है तो उसे प्रेणार्थक क्रिया कहते है। 

जैसे- मोहन नौकर से काम करवाया।

इस वाक्य में मोहन ने नौकर से काम करवाया है खुद काम नहीं किया है। इसलिए काम प्रेरणार्थक क्रिया है।

-राधा ने सीता को पढ़ने के लिए कहा।

इस वाक्य में राधा सीता को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है, इसलिए पढ़ना एक प्रेरणार्थक क्रिया है।

4. पूर्वकालिक क्रिया 

वाक्य में जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी समय दूसरी समय दूसरी क्रिया में बदल जाता है तो पहले वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हो।

जैसे-  मोहन पढ़कर खेलने चला गया।

इस वाक्य में पढ़कर क्रिया पूर्वकालिक क्रिया है। क्योंकि इस क्रिया को छोड़कर कर्ता दूसरी क्रिया खेलने में परिवर्तित हो गया है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1. क्रिया के भेद कितने आधार पर किया गए है?

उत्तर: क्रिया के भेद दो आधारों पर किए गए है।

1) कर्म के आधार पर 

2) प्रयोग के आधार पर

2. बच्चे खेल रहे थे। इस वाक्य में कौन की क्रिया है

उत्तर: दिए गए वाक्य में खेलना मुख्य क्रिया है और रहे थे सहायक क्रिया है जो वाक्य के अर्थ को पूरा करती है। इसलिए वाक्य में सहायक क्रिया है।

3. प्रयोग के आधार पर क्रिया के कितने भेद है?

उत्तर: प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार भेद है–: 

1)संयुक्त क्रिया

2)सहायक क्रिया

3)प्रेरणार्थक क्रिया

4)पूर्वकालिक क्रिया

4. अमित ने अन्नू से खाना बनवाया। दिए गए वाक्य में कौन सी क्रिया है

उत्तर: दिए गया वाक्य में अमित ने खाना स्वयं नहीं बना कर अन्नू से बनवाया है इसलिए इस वाक्य में प्रेरणार्थक क्रिया है।

5. कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद है?

उत्तर: कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है

1)अकर्मक क्रिया

2) सकर्मक क्रिया।

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सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
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विराम चिन्हशब्द विचार
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