क्रिया विशेषण

जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, संज्ञा, और सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है, उसे विशेषण कहते हैं। 

जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। 

इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, अभी, वहां, थोड़ा, अवश्य, उधर, ऊपर, नीचे, ऊँचा, केवल, यहीं, फिलहाल, कल, पीछे, आज आदि|

उदाहरण–:

शेर तेज भागता है।

इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।

मैं वहाँ  नहीं आऊँगा।

इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।      

वह अभी गया है।

इस वाक्य में गया क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता “अभी” शब्द  के द्वारा बताई गई है। इसलिए अभी सहायक क्रिया है।               

क्रिया विशेषण के भेद (kriya visheshan ke bhed)

क्रिया विशेषण के चार भेद है-

  1. कालवाचक क्रियाविशेषण
  2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
  3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
  4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

1. कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

उदाहरण–:

  मैं कल देव के घर जाऊंगा।

 इस वाक्य में जाना क्रिया है और कल विशेषण से जाने का समय पता चल रहा है, इसलिए कल शब्द काल वाचक विशेषण है।

वह अब पानी पी रहा है।

इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।

वह बार-बार बैठ रहा है।

इस वाक्य में बैठना क्रिया है। बैठना क्रिया का समय बार बार शब्द के द्वारा बताया जा रहा है। इसलिए बार-बार शब्द काल वाचक क्रिया विशेषण है।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:, इसलिए, क्योंकि, नहीं, मत, कदापि, तो, हो, मात्र, भर आदि।

उदाहरण–:

अमित ध्यान से चलता है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

विधि हमेशा सच बोलती है।

 इस वाक्य में बोलना क्रिया है, और बोलने की विशेषता सच शब्द के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह सच शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

 वह नहीं नाचेगा।

इस वाक्य में नाचना क्रिया है। नाचना क्रिया का तरीका नहीं शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए नहीं शब्द रीति वाचक विशेषण है।

स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।

उदाहरण-

 राधा आगे चल रही है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है। चलना क्रिया को विशेषता या स्थान आगे शब्द से बताया गया है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 कबीर बाहर जा रहा है।

इस वाक्य में जाना एक क्रिया है। जाना की विशेषता या स्थान बाहर के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 गेंद ऊपर उछल रही है।

इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।

परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- बहुत, अधिक, अधिकाधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, पर्याप्त; आदि ,जितना कुछ ।

उदाहरण–:

नितिन अधिक खाना खाता है।

  इस वाक्य में क्रिया खाना है। खाना क्रिया की मात्रा अधिक शब्द से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।  

उसने थोड़ा थोड़ा लिखा।

  इस वाक्य में लिखना क्रिया है। लिखना क्रिया की मात्रा का बोध थोड़ा थोड़ा के माध्यम से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।

 तुम बहुत दौड़े।

इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।

अधिकतर पूछें गए प्रश्न

1. क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

उत्तर:जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, आदि|

2. क्रिया विशेषण के कितने भेद है?

उत्तर:क्रिया विशेषण के चार भेद हैं।

1.कालवाचक क्रियाविशेषण

2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण

3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण

4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

3.घर में एक बच्चा रो रहा है? इस वाक्य में कौन सा क्रिया विशेषण है?

उत्तर: इस वाक्य में परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है क्योंकि रोना क्रिया है और एक बच्चे के द्वारा इसकी संख्या का बोध करवाया गया है।

4.रीति वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:रीतिवाचक क्रिया विशेषण-जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:,

5.काल वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:कालवाचक क्रिया विशेषण–:जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

इन्हे भी पढ़िये

सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल

अविकारी शब्द

जो शब्द जैसे होते है तथा जिनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं|

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अविकारी शब्द के भेद- (Avikari Shabd ke Bhed)

                                          Avikari Shabd Chart

1.क्रिया विशेषण

2.सम्बन्ध बोधक

3.समुच्चय बोधक

4.विस्मयादि बोधक

अविकारी शब्दों की पहचान कैसे करें

1. क्रियाविशेषण:

वे शब्द जो क्रिया की विशेषता को प्रकट करते हैं. उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं |

उदाहरण- जब ,जहां, जैसे, जितना, आज, कल, अब इत्यादि.

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं-

i. कालवाचक क्रिया विशेषण–:

जिससे क्रिया को करने या होने के समय (काल) का बोध हो वह कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है 

जैसे – परसों मंगलवार हैं, आपको अभी जाना चाहिए,

यहां पर जाने के समय का पता चल रहा है, इसलिए यह कलावाचक क्रिया विशेषण है।

ii. स्थान वाचक क्रिया विशेषण–:

क्रिया के होने या करने के स्थान का बोध हो, वह स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है.

जैसे– यहाँ, वहाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, बाहर, भीतर, आसपास आदि.

तुम बाहर जाओ। यहां पर जाने के स्थान का पता चल रहा है।

3.परिमाणवाचक क्रिया विशेषण–:

जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है.उसे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते है.

जैसे –

 वह दूध बहुत पीता है। यहां पर दूध के परिणाम(पीना) का बोध हो रहा है।

 वह थोड़ा ही चल सकी। यहां पर चलने की मात्रा का पता चल रहा है।

iv. रीतिवाचक क्रिया विशेषण–:

जिससे क्रिया के होने या करने के ढ़ग का पता चलता हो उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं.

जैसे –

 सहसा बम फट गया। यहां पर बम के फटने (ढंग) का पता चल रहा है।

  मैं यह काम निश्चिय पूर्वक करूंगा। यहां पर काम के निश्चय पूर्वक(ढंग)होने का पता चल रहा है।

2. सम्बन्धबोधक :

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का वाक्यों का दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध बताते हैं उन्हें सम्बन्धबोधक कहा जाता है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होते हैं और इसके साथ किसी न किसी प्रत्यय का प्रयोग भी किया जाता है।

जैसे- ‘के ऊपर’, ‘के बजाय’, ‘की अपेक्षा’, ‘के पास’, के आगे’, ‘की ओर’ इत्यादि

रोहित ‘के बजाय’ रैना को खिलाओ। यहां के बजाय का उपयोग किया है।

रोहन ‘के पीछे’ पुलिस पड़ी है। यहां पर के पीछे का प्रयोग किया गया है।

3. समुच्चयबोधक अविकारी शब्द:

जो अविकारी शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं.

जैसे– और, तथा, एवं, मगर, लेकिन, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अतः, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे आदि.

समुच्चयबोधक अलग अलग प्रकार के होते हैं.

क) सजातीय या समानाधिकरण समुच्चयबोधक

यह वह शब्द होते है जो स्थिति या जाती वाले दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ने या विभाजित करने का काम करते हैं.

जैसे-

और – मोहित और कल्पना अच्छे मित्र हैं। यहां पर दो शब्दों को और के माध्यम से जोड़ा गया है।

तथा – श्वेता, अरुणा, तथा रोमेश घूमने गए। यहां पर दो शब्दों को तथा के माध्यम से जोड़ा गया है।

ख) विजातीय या व्यधिकरण समुच्चयबोधक –

यह वह शब्द होते हैं जो किसी मुख्य को गौण अंश से जोड़ने का काम करते हैं.

जैसे-

कि – उसने वह फिल्म इसलिए नहीं देखी कि वह खराब थी

यहां पर कि के द्वारा गौण अंश को जोड़ा गया है।

यदि/तो – यदि तुम मन लगाकर पढोगे तो अवश्य सफल होगे। 

यहां पर यदि और तो लगाकर वाक्य को पूरा किया गया है।

मानो – धूप पर पड़ी ओस ऐसी लग रही थी मानो मोती जगमगा रहे हों।

यहां पर मानो के द्वारा वाली पूरा किया गया है।

जो– मैं इतना उदार नहीं जो तुम्हें इस जघन्य अपराध के लिए क्षमा कर दूँ।

यहां पर जो लगाकर वाक्य के गौण अंश को जोड़ा गया है।

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4. विस्मयादिबोधक अव्यय

जिन अविकारी शब्दों से हर्ष, शोक, आश्चर्य घृणा, दुख, पीड़ा आदि का भाव प्रकट हो उन्हे विस्मयादि बोधक अव्यय कहा जाता है। इसके द्वारा मनुष्य के भावों और भावनाओं का ज्ञान होता है की वह किस अंदाज और किस तरह से किसी के बारे में बताता है।

जैसे – ओह!, हे!, वाह!, अरे!, अति सुंदर!, उफ!, हाय!, धिक्कार!, सावधान!, बहत अच्छा!, तौबा-तौबा!, अति सुन्दर आदि।

उफ! कितनी गर्मी है। यहां पर गर्मी से परेशान होकर उफ! का प्रयोग किया गया है।

वाह! कितना स्वादिष्ट भोजन है। यहां पर खाने की प्रसंशा करते हुए वाह का प्रयोग किया गया है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न               

1.अविकारी शब्द किस कहते है?

उत्तर:जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाते हैं.

2.अधिकारी शब्द के कितने भेद है?

उत्तर: अधिकारी शब्द के चार भेद है

1.क्रिया विशेषण

2.सम्बन्ध बोधक

3.समुच्चय बोधक

4.विस्मयादि बोधक

3.परिमाणवाचक अविकारि शब्द किसे कहते है?

उत्तर:जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है.उसे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते है।

4. क्रिया विशेषण  के कितने भेद है?

उत्तर: क्रिया विशेषण के चार भेद है।

5.और, अगर, मगर समुच्यबोधकअविकरी शब्दों का प्रयोग कब किया जाता है?

उत्तर: शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।

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सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल

शब्द विचार

शब्दों की जानकारी और उस शब्द का पूर्ण ज्ञान होना शब्द विचार कहलाता है। शब्द विचार हिन्दी व्याकरण का दूसरा भाग है। इसके अंतर्गत ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समूह जैसे-भेद-उपभेद, संधि-विच्छेद आदि को पढ़ा जाता है।

इसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है।

शब्द की परिभाषा

वर्णों या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका कोई अर्थ हो, वह समूह शब्द कहलाता है। जैसे: लड़का, लड़की आदि।

शब्द विचार का वर्गीकरण

शब्द विचार चार्ट
                                                                        शब्द विचार का चार्ट

–:अर्थ के आधार पर

–:बनावट या रचना के आधार पर

–:प्रयोग के आधार पर

–:उत्पत्ति के आधार पर

अर्थ के आधार पर शब्द के भेद

1. सार्थक शब्द:

वे शब्द जिनसे कोई अर्थ निकलता हो, सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: गुलाब, आदमी, विषय आदि।

2. निरर्थक शब्द :

वे शब्द जिनका कोई अर्थ ना निकल रहा हो या जो शब्द अर्थहीन हो, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देना-वेना, मुक्का-वुक्का आदि।

रचना (बनावट) के आधार पर शब्द के भेद

रचना के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं:

1. रूढ़ शब्द :

ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े कर दिए जाएँ तो निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे: जल, कल, जप आदि।

2. यौगिक शब्द

ऐसे शब्द जो किन्हीं दो सार्थक शब्दों के मेल से बनते हों वे शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों के खंड भी सार्थक होते हैं। जैसे: स्वदेश : स्व + देश, देवालय : देव + आलय, कुपुत्र : कु + पुत्र आदि।

3. योगरूढ़ शब्द

ऐसे शब्द जो किन्हीं दो शब्द के योग से बने हों एवं बनने पर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, वे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: दशानन : दस मुख वाला अर्थात रावण , पंकज : कीचड़ में उत्पन्न होने वाला अर्थात कमल आदि

बहुब्रिही समास ऐसे शब्दों के अंतर्गत आते हैं।

प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद

प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं :

1. विकारी शब्द :

ऐसे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तन होते हैं, वे शब्द विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे:

लिंग : बच्चा पढता है। –बच्ची पढ़ती है।

वचन : बच्चा सोता है। – बच्चे सोते हैं।

कारक : बच्चा सोता है। – बच्चे को सोने दो। बच्चा शब्द है यह लिंग, वचन वचन एवं कारक के अनुसार परिवर्तित हो रहा है। अतः यह विकारी शब्दों के अंतर्गत आएगा।

2. अविकारी शब्द :

ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन एवं कारक आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता एवं जो अपरिवर्तित रहते हैं। ऐसे शब्द अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे: तथा, धीरे, किन्तु, परन्तु, तेज़, अधिक आदि।

 शब्द लिंग, वचन कारक आदि बदलने पर भी अपरिवर्तित रहेंगे। अतः ये उदाहरण अविकारी शब्दों के अंतर्गत आएँगे।

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद होते हैं:

1. तत्सम शब्द :

तत् (उसके) + सम (समान) यानी ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा में हुई ओर वे हिन्दी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे, ऐसे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे: पुष्प, पुस्तक, पृथ्वी, क्षेत्र, कार्य, मृत्यु, कवि, माता, विद्या, नदी, फल, अग्नि, पुस्तक आदि।

2. तद्भव शब्द :

ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी लेकिन वो रूप बदलकर हिन्दी में आ गए हों, ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलायेंगे। जैसे:

दुग्ध – दूध

अग्नि – आग

कार्य –काम

कर्पूर–  कपूर

हस्त – हाथ

3. देशज शब्द

ऐसे शब्द जो भारत की विभिन्न स्थानीय बोलियों में से हिंदी में आ गए हैं, वे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। जैसे: पेट, डिबिया, लोटा, पगड़ी, थैला, इडली, डोसा, समोसा, चमचम, गुलाबजामुन, लड्डु, खटखटाना, खिचड़ी आदि।

ऊपर दिए गए सभी उदाहरण भारत की ही विभिन्न स्थानीय बोलियों में से क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं। ये अब हिन्दी में आ गए हैं। अतः यह शब्द देशज शब्द कहलाएँगे।

4. विदेशी शब्द

ऐसे शब्द जो भारत से बाहर की भाषाओं से हैं लेकिन ज्यों के त्यों हिन्दी में प्रयुक्त हो गए, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। मुख्यतः यह विदेशी जातियों से हमारे बढ़ते मिलन से हुआ है। ये विदेशी शब्द उर्दू, अरबी, फारसी,अंग्रेजी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, ग्रीक आदि भाषाओं से आए हैं।

विदेशी शब्दों के उदाहरण निम्न हैं :

अंग्रेजी–: कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल आदि।

फारसी–: अनार,चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, आदि।

अरबी–:औलाद,अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत, औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न–:

1.शब्द विचार को कितने आधार पर बाँटा गया है?

उत्तर:शब्द विचार को 5 आधार पर बाँटा गया है-

1.अर्थ के आधार पर

2.बनावटया रचना के आधार पर

3.प्रयोगके आधार पर

4.उत्पत्ति के आधार पर

5.अर्थ के आधार पर 

2. रूढ़ शब्द किसे कहते है?

उत्तर: ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े कर दिए जाएँ तो निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे: जल, कल, जप आदि।

3.किसी अन्य भाषा और देश के शब्द किस वर्ग में आते है?

उत्तर:ऐसे शब्द जो भारत से बाहर की भाषाओं से हैं लेकिन ज्यों के त्यों हिन्दी में प्रयुक्त हो गए, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं।

4.हिंदी व्याकरण का दूसरा भाग किसे कहते है?

उत्तर: हिंदी व्याकरण का दूसरा भाग शब्द विचार को कहा जाता है।

5. ‘दंत’ कैसा शब्द है?

उत्तर: दंत ‘तद्भव’ शब्द है।जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी लेकिन वो रूप बदलकर हिन्दी में आ गए हों, ऐसे शब्द तद्भव शब्द होते हैं।

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वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
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