अशुद्ध वाक्यों का संशोधन

हिंदी के किसी भी वाक्य में लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण, पुनरुक्ति और पदक्रम आदि से संबंधित गलतियों या अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध वाक्य बनाना अशुद्ध वाक्यों का संशोधन कहलाता है। इन सभी की अशुद्धियों के कारण एक वाक्य का पुरान अर्थ नही निकल पाता है। इसके अर्थ में अनर्थ हो जाता है।

हिंदी के वाक्यों में निम्नलिखित आधारों में अशुद्धियां मिलती है।

वाक्यों में संज्ञा व सर्वनाम संबंधी अशुद्धियां का संशोधन निम्न प्रकार से किया जाता है–:

जब किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का प्रयोग गलत किया जाता है तो वहां और उस संज्ञा और सर्वनाम की अशुद्धियों को ठीक किया जाता है।

अशुद्ध वाक्य-  हम उसका नहीं काम किया।

शुद्ध वाक्य- हमने उसका नहीं काम किया।

अशुद्ध वाक्य– दनेश को चोट लगा

शुद्ध वाक्य– दिनेश को चोट लगी।

अशुद्ध वाक्य- राहल मेरी दोस्त है।

शुद्ध वाक्य- राहुल मेरा दोस्त है ।

अशुद्ध वाक्य– बच्चा ने क्रिकेट खेली।

शुद्ध वाक्य- बच्चों ने क्रिकेट खेला।

2.- लिंग संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

वाक्यों में जब लिंग के आधार पर अशुद्धियां होती है। जहां पर गलत लिंग का प्रयोग किया जाता है, वहां लिंग संबंधी अशुद्धि होती है, जिसे शुद्ध किया जाता है।

अशुद्ध वाक्य- मोहन की पिता जी आएंगे।

शुद्ध वाक्य– मोहन के पिताजी आएंगे।

अशुद्ध वाक्य- उसने लस्सी पी लिया

शुद्ध वाक्य – उसने लस्सी पी ली।

अशुद्ध वाक्य – राजिया सुल्तान एक योद्धा था

शुद्ध वाक्य – राजिया सुल्तान एक योद्धा थी।

अशुद्ध वाक्य – दूध सेहत के लिए अच्छी होती है।

शुद्ध वाक्य–  दूध सेहत के लिए अच्छा होता है।

3.- वचन संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जिन वाक्यों में वचन के आधार पर गलतियां या अशुद्धियां पाई जाती है, वहां पर वचन संबंधी अशुद्धियां होती है। इसमें बहुवचन के स्थान पर एक वचन और एकवचन के स्थान पर बहुवचन बना दिया जाता है, जिससे वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

अशुद्ध वाक्य– हम परिवार में 8 सदस्य हैं।

शुद्ध वाक्य – हमारे परिवार में 8 सदस्य हैं।

अशुद्ध वाक्य – कक्षा में आज 30 बच्चा उपस्थित था

शुद्ध वाक्य – कक्षा में आज 30 बच्चे उपस्थित थे।

अशुद्ध वाक्य– खेल के मैदान में 5 बच्चा खेल रहा है।

शुद्ध वाक्य -खेल के मैदान में 5 बच्चे खेल रहे हैं।

अशुद्ध वाक्य– घर के सामने बहुत सारा लोग जमा हो गया था

शुद्ध वाक्य– घर के सामने बहुत सारे लोग जमा हो गए थे।

4.- कारक संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जब वाक्यों में गलत कारक का प्रयोग किया जाता है, जिससे वाक्य का अर्थ नहीं निकल पाता है, वहां पर कारक संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य – तुम खाना खाया है

शुद्ध वाक्य –  तुमने खाना खाया है

अशुद्ध वाक्य – मोहन सुरेश का पढ़ा रहा है।

शुद्ध वाक्य – मोहन सुरेश को पढ़ा रहा है।

अशुद्ध वाक्य – डॉक्टर को दवाई दी।

शुद्ध वाक्य– डॉक्टर ने दवाई दी।

अशुद्ध वाक्य– पेड़ में से फल तोड़ लो

शुद्ध वाक्य- पेड़ से फल तोड़ लो

5.पद क्रम संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जब वाक्य में कोई क्रम नहीं होता है और वाक्य का कोई अर्थ नहीं निकल पाता है पद अपने अपने स्थान पर नहीं होते है अर्थात जहां पर वाक्य अर्थपूर्ण नहीं होता है, वहां पर पद क्रम संबंधित अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य- हवा चल रही है गर्म आज।

शुद्ध वाक्य -आज गर्म हवा चल रही है।

अशुद्ध वाक्य– धो दिए मैंने मैने कपड़े सारे

शुद्ध वाक्य – मैंने सारे कपड़े धो दिए।

अशुद्ध वाक्य- श्याम की है परीक्षा आज।

शुद्ध वाक्य – आज श्याम की परीक्षा है

अशुद्ध वाक्य- स्कूल में डांस मैने किया आज।

शुद्ध वाक्य- आज मैंने स्कूल में डांस किया।

6.- क्रिया विशेषण संबंधी अशुद्धियां:-

जिन वाक्यों में विशेषण अपनी क्रिया के साथ नही लगता है अर्थात जब विशेषण करिए से पहले प्रयोग नहीं होता उसके स्थान पर कोई अलग शब्द लगा दिया जाता हैं,वहां पर क्रिया विशेषण संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य- यह घर तो बहुत ही सुंदर है।

शुद्ध वाक्य- यह घर बहुत सुंदर है।

अशुद्ध वाक्य- हमें जीवन भर तक आजीवन साथरहना है।

शुद्ध वाक्य– हमें आजीवन मेंरे साथ रहना है।

अशुद्ध वाक्य-आज सारा दिन भर तेज बारिश होती रही।

शुद्ध वाक्य-आज दिन भर तेज बारिश होती रही।

7.पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–: 

जब वाक्य में एक शब्द एक से अधिक बार आता है जिसके प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती है, वहां पर एक ही शब्द का  अधिक बार प्रयोग करने से पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य – सोमवार के दिन मुझे विद्यालय जाना है।

शुद्ध वाक्य – सोमवार को मुझे विद्यालय जाना है।

अशुद्ध वाक्य – महाराणा प्रताप बहुत वीर व्यक्ति थे।

शुद्ध वाक्य – महाराणा प्रताप बहुत वीर थे।

अशुद्ध वाक्य- अमित तो केवल एक मौका मात्र चाहिए।

शुद्ध वाक्य – अमित  को मात्र एक मौकाचाहिएं।

अशुद्ध वाक्य – तानिया को शाम के समय से बुखार है।

शुद्ध वाक्य- तानिया को शाम से बुखार है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न–:

1.अशुद्ध वाक्यों का संशोधन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: 

हिंदी के किसी भी वाक्य में लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण, पुनरुक्ति और पदक्रम आदि से संबंधित गलतियों या अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध वाक्य बनाना अशुद्ध वाक्यों का संशोधन कहलाता है। इन सभी की अशुद्धियों के कारण एक वाक्य का पुरान अर्थ नही निकल पाता है। इसके अर्थ में अनर्थ हो जाता है।

2.अशुद्ध वाक्यों में संशोधन कितने प्रकार से होता है?

उत्तर:हिंदी के वाक्यों में निम्नलिखित आधारों में   अशुद्धियां मिलती है।

1.- संज्ञा व सर्वनाम संबंधी अशुद्धियां

2.- लिंग संबंधी अशुद्धियां

3.- वचन संबंधी अशुद्धियां

4.- कारक संबंधी अशुद्धियां

5.- पद क्रम संबंधी अशुद्धियां

6.- क्रियाविशेषण संबंधी अशुद्धियां

7.- पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियां

3. वचन संबंधी अशुद्धियां कैसे होती है?

उत्तर:जिन वाक्यों में वचन के आधार पर गलतियां या अशुद्धियां पाई जाती है, वहां पर वचन संबंधी अशुद्धियां होती है। इसमें बहुवचन के स्थान पर एक वचन और एकवचन के स्थान पर बहुवचन बना दिया जाता है, जिससे वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

4.पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां कैसे होती है?

उत्तर:जब वाक्य में एक शब्द एक से अधिक बार आता है जिसके प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती है, वहां पर एक ही शब्द का  अधिक बार प्रयोग करने से पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां होती है।

5.गौरव ने मैच जीती।

दिए गए वाक्य में अशुद्धियों का संशोधन करें।

उत्तर: दिए गए वाक्य में अशुद्धियों का संशोधन निम्न प्रकार से होगा– 

गौरव ने मैच जीता।

  शब्द-भंडार

दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर शब्द का निर्माण करते हैं, और शब्द मिलकर एक भाषा का निर्माण करते हैं। शब्द को हम भाषा की प्राणवायु भी कह सकते हैं, क्योंकि बिना शब्दों के भाषा का कोई अस्तित्व नहीं है। 

हिंदी साहित्य या हिंदी भाषा में शब्दों का ऐसा समूह जिसमें पर्यायवाची, विलोम, एकार्थी, अनेकार्थी, समरूपी भिन्नार्थक और अनेक शब्दों के लिए एक शब्द जैसे शब्दों को एक जगह इकट्ठा करके रखना ही ‘शब्द भंडार’ कहलाता है।

किसी भी भाषा में, वाक्यों में शब्दों का प्रयोग किस प्रकार से किया जाएगा, इस आधार पर हम शब्दों को दो भागों में बाँटते हैं। 

शब्द भंडार के तीन मुख्य भेद किए गए हैं– 

1) अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद–

(i) साथर्क शब्द – ऐसे शब्द जिनके प्रयोग से किसी बात का अर्थ स्पष्ट हो वह सार्थक शब्द कहलाते हैं।

 जैसे – पलंग, संदूक, बोतल, किताब, ठंडा, ब्लैकबोर्ड, कुर्सी, मोबाइल, कंघी, मोमबत्ती, चाय, इत्यादि। 

(ii) निरर्थक शब्द – जब दो या दो से अधिक वर्ण मिल तो जाए लेकिन उनका कोई अर्थ ना बने तो उन शब्दों को निरर्थक शब्द का नाम दिया जाता है। 

जैसे – सोलोइय, युफ्सियत, ओसभ, कोकी आदि। 

सार्थक शब्दों के अर्थ होते हैं जबकि निरर्थक शब्दों का कोई भी अर्थ नहीं होता। 

2) प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद

(i) विकारी शब्द –  विकार शब्द का अर्थ होता है परिवर्तन या बदलाव। जब किसी शब्द के रूप में लिंग, वचन, और कार्य के आधार पर किसी प्रकार का परिवर्तन आ जाता है तो उन शब्दों को विकारी शब्द कहते हैं। 

जैसे लिंग के आधार पर परिवर्तन – 

लड़का काम कर रहा है – लड़की काम कर रही है। 

लड़की खाना खा रही है – लड़का खाना खा रहा है। 

उपयुक्त वाक्य में लिंग के आधार पर शब्दों में परिवर्तन किया गया है। जैसे ‘कर रहा’ का ‘कर रही’ हो गया, जब लिंग के आधार पर परिवर्तन किया जाता है तो शब्दों में कुछ ज्यादा अंतर नहीं आता। 

एकवचन और बहुवचन के आधार पर शब्दों में परिवर्तन –

लड़का खेलता है – लड़के खेलते हैं। 

लड़का शब्द सिर्फ एक लड़के के लिए प्रयोग किया गया है जबकि लड़के अनेक के लिए प्रयोग किया गया है।

औरत घर का काम करती है – औरतें घर का काम करती है।

‘औरत’ शब्द सिर्फ एक औरत के लिए है जबकि ‘औरतें’ शब्द बहुत सारी औरतों के लिए है, इस प्रकार से वचन के आधार पर भी शब्दों में परिवर्तन किया जाता है।

कारक के आधार पर शब्दों का परिवर्तन – 

वह आदमी नौकरी करता है – उस आदमी को नौकरी करने दो।

वह लड़की लिखती है – उस लड़की को लिखने दो। 

ऊपर वाक्य में कारक के बदल जाने से शब्दों का ही अर्थ बदल जाता है। 

विकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है- 

(i) संज्ञा 

(ii) सर्वनाम 

(iii) विशेषण 

(iv) क्रिया 

(ii) अविकारी शब्द – 

जब शब्दों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता तो उन्हें अविकारी शब्द कहा जाता है जैसे – परंतु, तथा, धीरे-धीरे, अधिक आदि। 

जिन शब्दों में लिंग, वचन, कार्य के आधार पर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाता वह अविकारी शब्द कहलाते हैं। 

जैसे – तुम धीरे-धीरे वहाँ जाओ।

         परंतु तुम हो कौन?

वाक्य में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। वाक्य का प्रयोग लड़के के लिए हो रहा है या लड़की के लिए हो रहा है इसका अर्थ बता पाना मुश्किल है। 

अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते है

(i) क्रिया-विशेषण 

(ii) सम्बन्ध बोधक

(iii) समुच्चय बोधक

(iv) विस्मयादि बोधक

3) उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद –

(i) तत्सम शब्द 

(ii ) तद्भव शब्द 

(iii ) देशज शब्द

(iv) विदेशी शब्द।

(i) तत्सम शब्द – हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है, जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ और प्रयोग संस्कृत भाषा के समान ही किया जाता है, इन शब्दों को ही तत्सम शब्द कहा जाता है। 

 संस्कृत भाषा के वह शब्द जो हिंदी भाषा में लिए गए हैं और वह अपने वास्तविक रूप में प्रयोग किए जाते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।

(ii ) तद्भव शब्द – वह शब्द जो संस्कृत भाषा से विकृत होकर हिंदी में आए हैं तद्भव शब्द कहलाते हैं। संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जो सिर्फ थोड़े से ही बदलाव के साथ हिंदी भाषा में रूपांतरित किए गए हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं। 

(iii ) देशज शब्द – भारत देश में भिन्न-भिन्न स्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की बोलियाँ बोली जाती है और हिंदी भाषा में कई ऐसे शब्द है, जो देश की विभिन्न बोलियों से लिए गए हैं, इन्हीं शब्दों को देशज  शब्द का नाम दिया जाता है। 

जो शब्द किसी देश की विभिन्न भाषाओं से मातृभाषा में लिए गए हो वह देशज शब्द कहलाते हैं। 

जैसे- चिड़िया, कटरा, कटोरा, खिरकी, जूता, खिचड़ी, पगड़ी, लोटा, डिबिया, तेंदुआ, कटरा, अण्टा, ठेठ, ठुमरी, खखरा, चसक, फुनगी, डोंगा आदि।

(iv) विदेशी शब्द – विदेशी भाषाओं से जो शब्द हिंदी भाषा में जोड़े गए हैं वह शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। जो शब्द विदेशियों के संपर्क में आने के बाद हिंदी भाषा में लिए गए हैं, वह शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। 

आज के समय में हिंदी भाषा में अनेक प्रकार के विदेशी शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है – 

अंग्रेजी भाषा से लिए गए शब्द  – हॉस्पिटल, डॉक्टर,  , पेन, पेंसिल, , कार, स्कूल, कंप्यूटर, ट्रक, टेलीफोन, टिकट, इत्यादि।

 अरबी भाषा से लिए गए शब्द – असर, किस्मत, खयाल, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, , मालिक, गरीब, मदद इत्यादि।

तुर्की भाषा से लिए गए शब्द – तोप, काबू, तलाश, , बेगम, बारूद, चाकू इत्यादि।

चीनी भाषा से लिए गए शब्द – चाय, पटाखा,आदि।

उपयुक्त शब्दों के अलावा भी कई ऐसे शब्द जो विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, इनका प्रयोग हिंदी भाषा में आज के समय में भी होता है। इसके अलावा वर्तमान समय में भी कई शब्द विदेशों से हिंदी भाषा में लिए जा रहे हैं जिनका उपयोग धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न –:

1)शब्द भंडार किसे कहते हैं?

उत्तर- हिंदी साहित्य या हिंदी भाषा में शब्दों का ऐसा समूह जिसमें पर्यायवाची, विलोम, एकार्थी, अनेकार्थी, समरूपी भिन्नार्थक और अनेक शब्दों के लिए एक शब्द जैसे शब्दों को एक जगह इकट्ठा करके रखना ही शब्द भंडार कहलाता है।

2)शब्द भंडार के कितने भेद है?

उत्तर: शब्द भंडार के तीन मुख्य भेद किए गए हैं- 

1. अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद

(i) साथर्क शब्द 

(ii) निरर्थक शब्द 

2. प्रयोग की दृष्टि से शब्द-भेद

i) विकारी शब्द 

(ii) अविकारी शब्द

3. उत्पत्ति की दृष्टि से।

3) ‘तद्भव शब्द’ किसे कहते है?

उत्तर: वह शब्द जो संस्कृत भाषा से विकृत होकर हिंदी में आए हैं तद्भव शब्द कहलाते हैं। संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जो सिर्फ थोड़े से ही बदलाव के साथ हिंदी भाषा में रूपांतरित किए गए हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं। 

4) ‘तत्सम शब्द’ किसे कहते हैं?

उत्तर: हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ और प्रयोग संस्कृत भाषा के समान ही किया जाता है, इन शब्दों को ही तत्सम शब्द कहा जाता है। 

5)हॉस्पिटल शब्द की भाषा का है?

उत्तर: हॉस्पिटल शब्द अंग्रजी भाषा का शब्द है, जो हिंदी में प्रयोग किया जाता है।

पद परिचय

वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को पद कहा जाता है| इन्हीं पदों का व्याकारणिक परिचय देना पद परिचय कहलाता है। वाक्य में आए पदों का परिचय  विभिन्न आधारों पर दिया जाता है।दिया जाता है।

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प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते है

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. अव्यय
  5. क्रिया विशेषण
  6. क्रिया
  7. संबंधबोधक
  8. समुच्चयबोधक

1. संज्ञा शब्द का पद परिचय

वाक्य में संज्ञा शब्द का पद परिचय देते समय उस शब्द में संज्ञा, संज्ञा के भेद, को बताना होता है तथा उसके साथ साथ लिंग, वचन,कारक और क्रिया के साथ उसका संबंध बताना होता है।

उदाहरण–: लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

लंका–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग,एकवचन, कर्ता कारक

राम–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

बाणों–: संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक 

रावण–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

इस प्रकार संज्ञा शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

2. सर्वनाम शब्द का पद परिचय

जब वाक्य सर्वनाम शब्द का पद परिचय देना हो तो सबसे पहले कौन-सा सर्वनाम, सर्वनाम का प्रकार पुरुष, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताते है।

उदाहरण–: जिसे आप लोगों ने खाने पर बुलाया है,उसे अपने घर जाने दीजिए।

जिसे–: अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

आप लोगों ने–:पुरुष वाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

उसे–:अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

अपने–: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक। 

इस प्रकार सर्वनाम शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

3. विशेषण शब्द का पद परिचय–:

विशेषण शब्द का पद परिचय देते समय विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग,वचन और विशेष्य के साथ उसके संबंध को बताना होता है।

उदाहरण- ये तीन मूर्तियां बहुत क़ीमती हैं।

उपर्युक्त वाक्य में ‘तीन’ ,’बहुत’ और ‘क़ीमती’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘मूर्तियां’ हैं।

बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

क़ीमती : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन

इस प्रकार विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

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4. अव्यय शब्द का पद परिचय–:

अव्यय का पद परिचय बताने के लिए वाक्य में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को बताना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन जाते हैं। 

वाक्य में ‘प्रतिदिन’ अव्यय है। 

प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय

जाना : क्रिया का विशेषण

इस प्रकार अव्यय शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

5. क्रिया विशेषण शब्द  का पद परिचय–:

क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण-  लड़की उछल कूद कर रही हैं।

इस वाक्य में ‘उछल कूद’ क्रियाविशेषण है। 

उछल कूद  : रीतिवाचक क्रियाविशेषण क्योंकि ‘कर रही है’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

इस प्रकार क्रिया विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है

6. क्रिया शब्द का पद परिचय–:

क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – मोहन ने सोहन को मारा।

मारा : क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता मोहन तथा कर्म सोहन है।

इस प्रकार क्रिया शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

7.संबंधबोधक शब्द का पद परिचय–:

संबंधबोधक का पद परिचय में संबंधबोधक का भेद और संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण- पेड़ के नीचे चिड़िया बैठी है।

के नीचे : संबंधबोधक, पेड़ और चिड़िया इसके संबंधी शब्द हैं।

इस प्रकार संबंधबोधक शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

8.समुच्चयबोधक शब्द का पदपरिचय–:

समुच्चयबोधक के पद परिचय में समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – दिल्ली अथवा कोटा में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

अथवा : विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय है तथा ‘कोटा’ और दिल्ली के मध्य विभाजक संबंध

इस प्रकार समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय किया जाता है।

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अधिकतर पूछें गए प्रश्न–:

1. शब्द परिचय कितने प्रकार का होता है?

उत्तर: शब्द परिचय 8 प्रकार का होता है। जिसमें एक वाक्य के शब्दों का आठ प्रकार से परिचय किया जाता है।

2. दिए गए वाक्य का शब्द परिचय दीजिए:

 रामचरितमानस की रचना तुलसीदास द्वारा की गई। 

उत्तर: रामचरितमानस: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग, कर्म कारक। 

तुलसीदास द्वारा: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग , करण कारक। 

की गई : संयुक्त क्रिया , एकवचन , स्त्रीलिंग , कर्मवाच्य, अन्य पुरुष। 

3. किस प्रकार के पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है?

उत्तर: संबंधबोधक पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है।

4. क्रिया विशेषण शब्द और क्रिया शब्द के पद परिचय में क्या अंतर है?

उत्तर:क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है जबकि क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

5. दिए गए वाक्य का पद परिचय कीजिए:

    वीरों की सदा जीत होती है।

उत्तर:वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।

सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।

जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

सर्वनाम

सर्वनाम का अर्थ है– सब का नाम। जिस प्रकार संज्ञा में केवल किसी विशेष का ही नाम प्रयोग होता है उसी प्रकार सर्वनाम में संज्ञा के स्थान प्रयुक्त सर्वनाम सभी के लिए प्रयोग होता है। किसी विशेष के लिए नहीं होता।

उदाहरण: “हम सभी स्कूल जा रहे हैं।”

इस वाक्य में “हम” सभी के लिए प्रयोग किया गया है, इसलिए इस वाक्य में हम सर्वनाम है। यह संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया गया है।

संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द को सर्वनाम कहते है। यह शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति आदि के स्थान के नाम पर प्रयोग किए जाते है। सर्वनाम संज्ञा के प्रयोग को बार-बार करने या दोहराने से रोकने के लिए भी किया जाता है। इसमें अनेक सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

जैसे–: यह, तुम, उसने, वहाँ, उन्होंने,आदि शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है,जिन्हें सर्वनाम कहते है।

उदाहरण: “उसने काम कर लिया है।”

इस वाक्य में “उसने” शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया गया है। इसलिए यह “उसने” शब्द सर्वनाम है।

सर्वनाम के 6 भेद होते हैं-(sarvanam ke bhed)

1)पुरूषवाचक – मैं, तू, वह, हम, मैंने

2) निजवाचक – आप

3) निश्चयवाचक – यह, वह

4) अनिश्चयवाचक – कोई, कुछ

5) संबंधवाचक – जो, सो

6) प्रश्नवाचक – कौन, क्या

1)पुरूषवाचक सर्वनाम

पुरुषवाचक सर्वनाम वक्ता और श्रोता तथा किसी अन्य के लिए प्रयुक्त होता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। इसमें मैं, वह, तुम आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।    

उदहारण–: “मैं जा रहा हूँ|”

इस वाक्य में “मैं” वक्ता के लिए प्रयोग किया गया है, इसलिए इसमें पुरुषवाचक सर्वनाम है।            

– “वह खेल रही है।”

इस वाक्य में “वह” किसी अन्य के लिए प्रयोग किया गया है, इसलिए इस वाक्य में पुरुषवाचक सर्वनाम है।    

–”तुमने गाना गया।”

इस वाक्य में “तुमने” श्रोता के लिए प्रयोग किया गया है, इसलिए इस वाक्य में “तुमने” पुरुषवाचक सर्वनाम है।

पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं

  • उत्तम पुरुष– जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता स्वयं के लिए करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं।

जैसे– मैं, हम, मुझे आदि सर्वनाम प्रयोग होते हैं।

  • मध्यम पुरुष– जब श्रोता ( सुनने वाला) संवाद करते समय जिन सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं।

जैसे– तू, तुम, तुम्हारा आदि सर्वनाम प्रयोग होते हैं।

  • अन्य पुरुष– जब सर्वनाम के शब्दों के प्रयोग से वक्ता और श्रोता के अतिरिक्त किसी अन्य का संबोधन प्रतीत हो तो उसे अन्य पुरुष कहते हैं।

जैसे– यह, वे, उनका, उन्हें आदि सर्वनाम का प्रयोग होता है।

2) निजवाचक सर्वनाम

जो सर्वनाम तीनों पुरूषों (उत्तम, मध्यम और अन्य) में निजत्व/अपनत्व का बोध कराता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। इस सर्वनाम में कोई भी कार्य खुद करने का बोध होता है।

जैसे- “मैं खुद लिख लूँगा|”

इस वाक्य में “मैं” उत्तम पुरुष है जो निजत्व का बोध करवाया है, इसलिए इस वाक्य में निज्वाचक सर्वनाम है।

–तुम अपने आप चले जाना। 

इस वाक्य में “तुम” मध्यम पुरुष है, इसलिए इस वाक्य में निजवाचक सर्वनाम है।

–”वह स्वयं गाडी चला सकती है।”

 उपर्युक्त वाक्यों में “स्वयं” उत्तम पुरुष है तथा “स्वयं” शब्द निजत्व का बोध करवाता है इसलिए इस वाक्य में निजवाचक सर्वनाम हैं। 

3)निश्चयवाचक सर्वनाम

जो सर्वनाम निकट या दूर की किसी वस्तु की ओर संकेत करे और जिसमे कुछ भी कार्य या क्रिया निश्चित हो उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। 

जैसे- “यह लड़की है।” 

इस वाक्य में “यह” शब्द निकट के व्यक्ति को और संकेत के लिए प्रयोग किया गया है। इसलिए यह निश्चयवाचक सर्वनाम है।

-“वह पुस्तक है।”

इस वाक्य में “वह’ दूर को वस्तु की ओर संकेत करने के लिए प्रयोग किया गया है। इसलिए इस वाक्य में निश्चयवाचक सर्वनाम है। 

-‘वे हिरन हैं।’

इस वाक्य में “वे” शब्द दूर के प्राणी की ओर संकेत करने के लिए प्रयोग किया गया है, इसलिए इस वाक्य में निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

4)अनिश्चयवाचक सर्वनाम 

किसी अनिश्चित व्यक्ति, वस्तु या घटना के लिए प्रयुक्त होने वाले सर्वनाम अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। इसमें कोई भी वस्तु, व्यक्ति या घटना निश्चित नहीं होती है, उसके बारे में सिर्फ अनुमान लगाया जाता है।

जैसे– “शायद वह कल आएँ।”

       “थोड़ा पानी देना।” 

       ‘कोई बात तो है।” 

इन सभी वाक्यों में शायद, थोड़ा, कोई आदि प्रयोग किए गए शब्द निश्चितता का बोध नहीं कराते है, इसलिए यह अनिश्चयवाचक सर्वनाम है।

5)संबंधवाचक सर्वनाम

यह सर्वनाम किसी दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध दिखाने के लिए प्रयुक्त होता है, संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।। संबंधवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में दो शब्दों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है।

 जैसे- जो, वो, सो, जैसे-वैसे, जिसकी-उसकी, जितना-उतना, आदि।”

उदाहरण- “जो करेगा सो भरेगा।जैसे वो कहेंगे वैसे हम करेंगे।”

इस वाक्य में एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा से संबंध बताया गया है, इसलिए इस वाक्य में संबंधवाचक सर्वनाम है।

6)प्रश्नवाचक सर्वनाम

जिस सर्वनाम से किसी प्रश्न का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसमें वाक्य प्रश्न पूछा जाता है।

जैसे- “तुम कौन हो?” “तुम्हें क्या चाहिए?” इन वाक्यों में “कौन” और “क्या” शब्द प्रश्रवाचक सर्वनाम हैं। “कौन” शब्द का प्रयोग प्राणियों के लिए और “क्या” शब्द का प्रयोग जड़-पदार्थों के लिए होता है।

 

अधिकतर पूछे गए प्रश्न–

1)सर्वनाम का प्रयोग कहाँ होता है?

उत्तर: संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्द को सर्वनाम कहते है। यह सर्वनाम सभी के लिए प्रयोग होता है। किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के लिए नहीं होता।

2.किस सर्वनाम में प्रश्न पूछने का बोध होता है?

उत्तर: प्रश्नवाचक सर्वनाम में प्रश्न पूछने का बोध होता है। इसमें कौन, क्या, कहाँ, कैसे आदि सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।

3. शायद वह मुंबई जाएगा–

 ऊपर दिए गए वाक्य में कौन सा सर्वनाम है?

उत्तर: ऊपर दिए गया वाक्य में अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं, क्योंकि इसमें मुंबई जाना निश्चित नहीं है और शायद अनिश्चितता के लिए प्रयोग किया गया है।

4.पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद है?

उत्तर: पुरुषवाचक सर्वनाम में तीन भेद होते है–

1)उत्तम पुरुष 2)मध्यम पुरुष 3)अन्य पुरुष।

पुरुषवाचक सर्वनाम में इनके आधार पर सर्वनाम की पहचान की जाती है।

5.निश्यवाचक सर्वनाम किसे कहते है?

उत्तर:जो सर्वनाम निकट या दूर की किसी वस्तु की ओर संकेत करे और जिसमे कुछ भी कार्य या क्रिया निश्चित हो उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।

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