क्रिया विशेषण

जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, संज्ञा, और सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है, उसे विशेषण कहते हैं। 

जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। 

इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, अभी, वहां, थोड़ा, अवश्य, उधर, ऊपर, नीचे, ऊँचा, केवल, यहीं, फिलहाल, कल, पीछे, आज आदि|

उदाहरण–:

शेर तेज भागता है।

इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।

मैं वहाँ  नहीं आऊँगा।

इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।      

वह अभी गया है।

इस वाक्य में गया क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता “अभी” शब्द  के द्वारा बताई गई है। इसलिए अभी सहायक क्रिया है।               

क्रिया विशेषण के भेद (kriya visheshan ke bhed)

क्रिया विशेषण के चार भेद है-

  1. कालवाचक क्रियाविशेषण
  2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
  3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
  4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

1. कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

उदाहरण–:

  मैं कल देव के घर जाऊंगा।

 इस वाक्य में जाना क्रिया है और कल विशेषण से जाने का समय पता चल रहा है, इसलिए कल शब्द काल वाचक विशेषण है।

वह अब पानी पी रहा है।

इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।

वह बार-बार बैठ रहा है।

इस वाक्य में बैठना क्रिया है। बैठना क्रिया का समय बार बार शब्द के द्वारा बताया जा रहा है। इसलिए बार-बार शब्द काल वाचक क्रिया विशेषण है।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:, इसलिए, क्योंकि, नहीं, मत, कदापि, तो, हो, मात्र, भर आदि।

उदाहरण–:

अमित ध्यान से चलता है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

विधि हमेशा सच बोलती है।

 इस वाक्य में बोलना क्रिया है, और बोलने की विशेषता सच शब्द के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह सच शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

 वह नहीं नाचेगा।

इस वाक्य में नाचना क्रिया है। नाचना क्रिया का तरीका नहीं शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए नहीं शब्द रीति वाचक विशेषण है।

स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।

उदाहरण-

 राधा आगे चल रही है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है। चलना क्रिया को विशेषता या स्थान आगे शब्द से बताया गया है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 कबीर बाहर जा रहा है।

इस वाक्य में जाना एक क्रिया है। जाना की विशेषता या स्थान बाहर के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 गेंद ऊपर उछल रही है।

इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।

परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- बहुत, अधिक, अधिकाधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, पर्याप्त; आदि ,जितना कुछ ।

उदाहरण–:

नितिन अधिक खाना खाता है।

  इस वाक्य में क्रिया खाना है। खाना क्रिया की मात्रा अधिक शब्द से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।  

उसने थोड़ा थोड़ा लिखा।

  इस वाक्य में लिखना क्रिया है। लिखना क्रिया की मात्रा का बोध थोड़ा थोड़ा के माध्यम से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।

 तुम बहुत दौड़े।

इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।

अधिकतर पूछें गए प्रश्न

1. क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

उत्तर:जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, आदि|

2. क्रिया विशेषण के कितने भेद है?

उत्तर:क्रिया विशेषण के चार भेद हैं।

1.कालवाचक क्रियाविशेषण

2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण

3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण

4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

3.घर में एक बच्चा रो रहा है? इस वाक्य में कौन सा क्रिया विशेषण है?

उत्तर: इस वाक्य में परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है क्योंकि रोना क्रिया है और एक बच्चे के द्वारा इसकी संख्या का बोध करवाया गया है।

4.रीति वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:रीतिवाचक क्रिया विशेषण-जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:,

5.काल वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:कालवाचक क्रिया विशेषण–:जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

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सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल

पद परिचय

वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को पद कहा जाता है| इन्हीं पदों का व्याकारणिक परिचय देना पद परिचय कहलाता है। वाक्य में आए पदों का परिचय  विभिन्न आधारों पर दिया जाता है।दिया जाता है।

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प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते है

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. अव्यय
  5. क्रिया विशेषण
  6. क्रिया
  7. संबंधबोधक
  8. समुच्चयबोधक

1. संज्ञा शब्द का पद परिचय

वाक्य में संज्ञा शब्द का पद परिचय देते समय उस शब्द में संज्ञा, संज्ञा के भेद, को बताना होता है तथा उसके साथ साथ लिंग, वचन,कारक और क्रिया के साथ उसका संबंध बताना होता है।

उदाहरण–: लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

लंका–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग,एकवचन, कर्ता कारक

राम–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

बाणों–: संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक 

रावण–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

इस प्रकार संज्ञा शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

2. सर्वनाम शब्द का पद परिचय

जब वाक्य सर्वनाम शब्द का पद परिचय देना हो तो सबसे पहले कौन-सा सर्वनाम, सर्वनाम का प्रकार पुरुष, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताते है।

उदाहरण–: जिसे आप लोगों ने खाने पर बुलाया है,उसे अपने घर जाने दीजिए।

जिसे–: अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

आप लोगों ने–:पुरुष वाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

उसे–:अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

अपने–: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक। 

इस प्रकार सर्वनाम शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

3. विशेषण शब्द का पद परिचय–:

विशेषण शब्द का पद परिचय देते समय विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग,वचन और विशेष्य के साथ उसके संबंध को बताना होता है।

उदाहरण- ये तीन मूर्तियां बहुत क़ीमती हैं।

उपर्युक्त वाक्य में ‘तीन’ ,’बहुत’ और ‘क़ीमती’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘मूर्तियां’ हैं।

बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

क़ीमती : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन

इस प्रकार विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

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4. अव्यय शब्द का पद परिचय–:

अव्यय का पद परिचय बताने के लिए वाक्य में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को बताना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन जाते हैं। 

वाक्य में ‘प्रतिदिन’ अव्यय है। 

प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय

जाना : क्रिया का विशेषण

इस प्रकार अव्यय शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

5. क्रिया विशेषण शब्द  का पद परिचय–:

क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण-  लड़की उछल कूद कर रही हैं।

इस वाक्य में ‘उछल कूद’ क्रियाविशेषण है। 

उछल कूद  : रीतिवाचक क्रियाविशेषण क्योंकि ‘कर रही है’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

इस प्रकार क्रिया विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है

6. क्रिया शब्द का पद परिचय–:

क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – मोहन ने सोहन को मारा।

मारा : क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता मोहन तथा कर्म सोहन है।

इस प्रकार क्रिया शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

7.संबंधबोधक शब्द का पद परिचय–:

संबंधबोधक का पद परिचय में संबंधबोधक का भेद और संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण- पेड़ के नीचे चिड़िया बैठी है।

के नीचे : संबंधबोधक, पेड़ और चिड़िया इसके संबंधी शब्द हैं।

इस प्रकार संबंधबोधक शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

8.समुच्चयबोधक शब्द का पदपरिचय–:

समुच्चयबोधक के पद परिचय में समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – दिल्ली अथवा कोटा में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

अथवा : विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय है तथा ‘कोटा’ और दिल्ली के मध्य विभाजक संबंध

इस प्रकार समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय किया जाता है।

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अधिकतर पूछें गए प्रश्न–:

1. शब्द परिचय कितने प्रकार का होता है?

उत्तर: शब्द परिचय 8 प्रकार का होता है। जिसमें एक वाक्य के शब्दों का आठ प्रकार से परिचय किया जाता है।

2. दिए गए वाक्य का शब्द परिचय दीजिए:

 रामचरितमानस की रचना तुलसीदास द्वारा की गई। 

उत्तर: रामचरितमानस: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग, कर्म कारक। 

तुलसीदास द्वारा: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग , करण कारक। 

की गई : संयुक्त क्रिया , एकवचन , स्त्रीलिंग , कर्मवाच्य, अन्य पुरुष। 

3. किस प्रकार के पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है?

उत्तर: संबंधबोधक पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है।

4. क्रिया विशेषण शब्द और क्रिया शब्द के पद परिचय में क्या अंतर है?

उत्तर:क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है जबकि क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

5. दिए गए वाक्य का पद परिचय कीजिए:

    वीरों की सदा जीत होती है।

उत्तर:वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।

सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।

जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

विशेषण

विशेषण एक विकारी शब्द है।  विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को कहते है। यह शब्द संज्ञा या सर्वनाम की गुण, दोष, परिणाम और संख्या के आधार पर विशेषता बताता है। यह संज्ञा और सर्वनाम के महत्व को बढ़ा देता है।

उदाहरण-“राधा सुंदर है।” ( इसमें राधा की विशेषता सुंदर विशेषण के द्वारा बताई गई है।)

– “मोहन अच्छा गाता है।”

इस वाक्य में अच्छा विशेषण शब्द से मोहन के गाने की विशेषता बताई गई है, इसलिए इस वाक्य में ‘अच्छा’ विशेषण है।

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विशेषण में वाक्य के दो भाग होते हैं।

पहला संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले को विशेषण कहते है तथा दूसरा वाक्य में जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते है।

जैसे–: “सफेद हाथी’ ( इसमें सफेद विशेषण है और हाथी विशेष्य है क्योंकि हाथी की विशेषता बताई गई है।)

– “राकेश एक लंबा लड़का है।”

इस वाक्य में राकेश को विशेषता बताई गई है, इसलिए राकेश विशेष्य है और लंबा उसकी विशेषता है

विशेषण के चार भेद होते है

विशेषण के  भेद

1.गुणवाचक विशेषण

2.संख्यावाचक विशेषण

3.परिमाणवाचक विशेषण

4.सार्वनामिक विशेषण

1.गुणवाचक विशेषण

जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रंग, रूप, अवस्था, स्थिति, गंध, स्वाद, दिशा, स्वभाव आदि के बारे में पता चलें उसे गुणवाचक सर्वनाम कहते है।

जैसे- “वह भला इंसान है।’ 

इसमें “इंसान” की स्वभाव का बोध होता है, इसलिए यह गुणवाचक विशेषण है।

-“राधा ने सभी से बडी नम्रता से बात की।’

 इसमें राधा के गुण के बारे में ज्ञान होता है, इसलिए यह गुणवाचक विशेषण है।

2.संख्यावाचक विशेषण

जिन शब्दों के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम के संख्या संबंधी विशेषता का बोध होता है। उसे संख्यावाचक विशेषण कहते है।

उदाहरण: “कक्षा में तीस बच्चे है।”

इसमें बच्चो के संख्या (तीस) का बोध हो रहा है, इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। 

‘मैदान में कुछ खिलाड़ी खेल रहे है।’

यहाँ पर खिलाड़ियों की संख्या (कुछ) का बोध हो रहा है, इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है।

संख्यावाचक विशेषण के दो भेद है

1)निश्चित संख्यावाचक विशेषण

2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

1)निश्चित संख्यावाचक विशेषण

निश्चित संख्या वाचक विशेषण में संख्याओं का निश्चित ज्ञान होता है। संख्याओं का सटीक ज्ञान होता है। इसमें वाक्य में संख्या दी गई होती है।

जैसे-“मोहन दस दिन से स्कूल नहीं आ रहा है।”

यहाँ मोहन के स्कूल न आने के सटीक दिनों (दस) की जानकारी मिल रही है। इसलिए यह निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

-“मेरे पास तीन हजार पैसे है।”

इस वाक्य में पैसे की संख्या तीन हजार से निश्चित हो गई है, इसलिए इस वाक्य में निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण में संख्याओं का निश्चित ज्ञान नही होता है। इसमें कुछ, थोड़ा आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसमें वाक्य में कोई निश्चित संख्या नही दी होती है।

जैसे-“मोहन कुछ दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है।”

इस वाक्य में मोहन के स्कूल आने के दिन निश्चित नहीं है, इसलिए इस वाक्य में अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

-“मेरे पास हजार दो हजार पैसे है।”

इसमें पैसे की निश्चित संख्या नही दी गई है। इसलिए यह अनिश्चितसंख्या वाचक विशेषण है।

3.परिमाणवाचक विशेषण

वे शब्द जो विशेष्य की मात्रा का बोध करवाते है। उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है। मात्रा का बोध नाप, माप, और तौल के रूप में होता है। इसका विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा होती है। इसमें माप, तौल की इकाई दी जाती है।

उदाहरण-“पीने के लिए थोड़ा पानी दीजिए।”

 इसमें पानी के मात्रा( थोड़ा) का बोध कराया गया है, इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है। इसमें विशेष्य पानी है।

-“एक लीटर तेल दीजिए।” 

इसमें तेल की मात्रा का बोध करवाया गया है, इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है। इसमें विशेष्य तेल है।

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परिमाणवाचक विशेषण के भेद

1)निश्चित परिमाणवाचक विशेषण

2)अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

1)निश्चित परिमाणवाचक विशेषण

जो शब्द की पदार्थ और वस्तु की निश्चित मात्रा का बोध कराता है, उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते है।

जैसे: दो मीटर कपङा

        पाँच लीटर तेल

     एक क्विंटल चावल आदि।

उदाहरण- “उसने एक गिलास पानी पिया।’

इस वाक्य में एक गिलास से पानी की मात्रा निश्चित की गई है, इसलिए इस वाक्य में निश्चित परिमाणवाचक विशेषण है।

2)अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

जो शब्द किसी पदार्थ या वस्तु की  निश्चित मात्रा का बोध नहीं कराता है, उसे अनिश्चितवाचक परिमाणवाचक विशेषण कहते है।

जैसे- सारा कपङा, कुछ लीटर तेल, थोड़े चावल

उदाहरण: “उसने थोड़ा सा पानी पिया।”

इस वाक्य में थोड़े पानी की बात की है, जिससे उसकी निश्चित मात्रा का बोध नहीं होता है, इसलिए इस वाक्य में अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण है।

4. संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण

वे विशेषण शब्द जो संज्ञा शब्द की ओर संकेत के माध्यम से विशेषता प्रकट करते है, संकेतवाचक विशेषण कहलाता है। चूँकि ये सर्वनाम शब्द होते हैं जो विशेषण की तरह प्रयुक्त होते हैं अतः इन्हें सार्वनामिक विशेषण भी कहते है।

उदाहरण: यह लड़की बुद्धिमान है। 

इसमें यह के द्वारा संकेत कर लड़की की विशेषता बताई है। इसलिए यह संकेतवाचक विशेषण है।

– मैं उस पेड़ के पास खड़ा था।

इस वाक्य में पेड़ की तरफ संकेत कर के बात कही गई है, इसलिए इस वाक्य में संकेतवाचक विशेषण है।

अधिकतर पूछें गए प्रश्न

1)विशेषण कितने प्रकार है?

उत्तर: विशेषण चार प्रकार के होते हैं। यह सभी गुण, संख्या, परिमाण और संकेत के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते है।

1.गुणवाचक विशेषण

2.संख्यावाचक विशेषण

3.परिमाणवाचक विशेषण

4.सार्वनामिक / सांकेतिक विशेषण

2) दिए गए वाक्य में कौन सा विशेषण है।

      “मोहन वहाँ खड़ा है।”

उत्तर: मोहन वहाँ खड़ा है में संकेतवाचक विशेषण है, क्योंकि इसमें वहाँ शब्द के द्वारा मोहन के खड़े होने की तरफ संकेत किया गया है और उसकी विशेषता बताई गई है।

3) संख्यावाचक और परिमाणवाचक विशेषण में क्या अंतर है?

उत्तर: संख्यावाचक विशेषण में वस्तु या व्यक्ति के संख्या की गणना की जाती है यह गणना निश्चित और अनिश्चित दोनो हो सकती है तथा परिमाणवाचक विशेषण में पदार्थ का नाप-तौल किया जाता है। इसमें भी नाप-तोल निश्चित और अनिश्चित दोनों हो सकता है।

4)“खीर मीठी है।” वाक्य में कौन सा विशेषण है?

उत्तर: खीर मीठी है में गुणवाचक विशेषण है। क्योंकि इसमें खीर के गुण (मीठी) का बोध हो रहा है।

5) संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद है?

उत्तर: संख्यावाचक विशेषण के दो भेद है।

      1)निश्चित संख्यावाचक विशेषण

     2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

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