अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद को अंग्रेजी भाषा में पैराग्राफ कहा जाता है।

अनुच्छेद के द्वारा एक विचार को शब्दों में व्यक्त किया जाता है। यह अनुच्छेद एक विषय से जुड़ा हुआ होता है। इसमें किसी विषय से संबंधित सीमित शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त किया जाता है। 

अनुच्छेद में केवल विषय से संबंधित बातें ही लिखी जाती है। अनावश्यक बातों को अनुच्छेद में नही लिखा जाता है। इसमें अपने भावों को व्यक्त किया जाता है।

अनुच्छेद लिखने के लिए कुछ बातों का ध्यान में रखना जरूरी होता है। जिससे अनुच्छेद को एक सुसंगठित रूप मिल सके। इसलिए अनुच्छेद-लेखन की कुछ विशेषताएँ होती हैं 

1)अनुच्छेद लेखन अपने आप में पूरा होता है। यह किसी प्रकार के निबंध का सार या निष्कर्ष नहीं होता है। अनुच्छेद को लिखने के लिए इसे कोई सार नही देना पड़ता है। 

2)अनुच्छेद को निश्चित रूपरेखा में नही लिखा जाता जाता है। इसमें सिर्फ दिए गए विषय को केंद्र मानकर उसके बारे में लिखा जाता है और उसी का विस्तार किया जाता है।

3)अनुच्छेद में किसी बाहरी प्रसंग का प्रयोग नहीं किया जाता है। सभी प्रकार से केवल विषय से संबंधित जानकारी और अपने विचारों को उसमे लिखा जाता है।

4)अनुच्छेद लिखने समय उसकी स्पष्टता का ध्यान रखना चाहिए। इसका का आकार सीमित होता है। इसमें अलंकारिता और अनावश्यक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। भाषा में सहजता का प्रवाह होता है।

अनुच्छेद अलग अलग प्रकार के लिखे जाते हैं। जिसके द्वारा अलग अलग विधाओं और विषयों का वर्णन किया जाता है। इसलिए अनुचेदो को मख्य रूप लेखन के चार प्रकार है। 

              1)वर्णनात्मक

              2)कथात्मक

             3) व्याख्यात्मक

             4)प्रेरक

1)वर्णनात्मक:  यह अनुच्छेद किसी एक विशेष विषय को केंद्र में रखकर लिखे जाते हैं। यह किसी निर्जीव और सजीव पदार्थ का वर्णन करते हैं। इस प्रकार का लेखन मूल रूप से विषय का वर्णन करता है। यह वर्णन किसी यात्रा, कोई अद्भुत दृश्य, कोई घटना, किसी पौराणिक कथा का हो सकता है। 

कथात्मक: इस प्रकार का लेखन मूल रूप से एक कहानी की तरह व्यक्त किए जाते है। यह अनुच्छेद कहानी भी हो सकते है। इसका लेखन क्रमबद्ध होता है। किसी स्थिति का वर्णन करने के लिए भी कथात्मक अनुच्छेद का प्रयोग किया जाता है। इसमें वर्णन करते समय इसकी सभी घटनाओं को क्रम से व्यक्त किया जाता है। जी घटना पहले घटित होती है उसका वर्णन पहले ही किया जाता है। एक सुसंगठित ढंग से इसमें विषय का वर्णन किया जाता है। इसमें विषय केंद्रित होता है।

व्याख्यात्मक: व्याख्यात्मक अनुच्छेदों में कोई घटना क्यों हुई, कैसे हुई इसका वर्णन किया जाता है। इसमें घटनाओं और प्रक्रियाओं के बीच संबंधों को व्याख्या की जाती है। इस प्रकार का लेखन किसी चीज़ की परिभाषा है। इसमें किसी घटना के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया जाता है।

प्रेरक: इस प्रकार के लेखन ऐसे विषय पर किए जाते हैं जिसमें कोई मजबूत तर्क दिया जाता है। जिस तर्क पर पाठक वर्ग भी अपनी सहमति देता है। इसका उद्देश्य दर्शकों को लेखक के दृष्टिकोण को स्वीकार करना है। ये ज्यादातर शिक्षकों द्वारा एक मजबूत तर्क प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस प्रकार के लिखे गए अनुच्छेद तर्कपूर्ण होते है। जिनका संबंध वास्तविकता से भी होता है।इस प्रकार के अनुच्छेद को बारे में आप एक सटीक राय या तर्क दे सकते हैं।

इस तरह विभिन्न प्रकार के अनुच्छेद के द्वारा किसी भी विषय पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के अनुच्छेद लिखकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं।

अनुच्छेद किसी भी एक प्रमुख शैली में नहीं लिखे जाते है। इनके लिखने के लिए अलग शैली का भी प्रयोग किया जा सकता है। यह भावात्मक शैली, समास शैली, व्यंग्य शैली, तरंग शैली, चित्र शैली, विचारात्मक शैली, विव्रणात्मक शैली, व्यास-शैली, तर्कपूर्ण शैली, वर्णनात्मक शैली, सामान्य बोलचाल की शैली का प्रयोग कर सकता है। जिस भी शैली में आप अपने विचारों को व्यक्ति करने में सरलता अनुभव करते हैं, आप उस शैली का प्रयोग अपने अनुच्छेद में कर सकते हैं।

अनुच्छेद अनेक प्रकार के विषयों पर लिखे जाते हैं। अनुच्छेद लिखने का विषय कोई भी हो सकता है। कोई भी सटीक विषय अनुच्छेद का नहीं होता है। यह अनुच्छेद होली का त्यौहार, एक अद्भुत दृश्य, मेरी पहली यात्रा, मेरी प्यारी डायरी, मेरा पहला नवरोज आदि किसी भी विषय पर अनुच्छेद लिखे जा सकते हैं।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न–:

1)अनुच्छेद किसे कहते हैं?

  उत्तर:अनुच्छेद को अंग्रेजी भाषा में पैराग्राफ कहा जाता है। अनुच्छेद के द्वारा एक विचार को शब्दों में व्यक्त किया जाता है। यह अनुच्छेद एक विषय से जुड़ा हुआ होता है। इसमें किसी विषय से संबंधित सीमित शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त किया जाता है। 

2)अनुच्छेद के कितने प्रकार होते हैं?

  उत्तर:अनुच्छेद अलग अलग प्रकार के लिखे जाते हैं। जिसके द्वारा अलग अलग विधाओं और विषयों का वर्णन किया जाता है। इसलिए अनुचेदो को मख्य रूप लेखन के चार प्रकार है। 

              1)वर्णनात्मक

              2)कथात्मक

             3) व्याख्यात्मक

             4)प्रेरक

3)अनुच्छेद को कोई दो विशेषताएं बताएं?

  उत्तर:अनुच्छेद में किसी बाहरी प्रसंग का प्रयोग नहीं किया जाता है। सभी प्रकार से केवल विषय से संबंधित जानकारी और अपने विचारों को उसमे लिखा जाता है।

अनुच्छेद लिखने समय उसकी स्पष्टता का ध्यान रखना चाहिए। इसका का आकार सीमित होता है। इसमें अलंकारिता और अनावश्यक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। भाषा में सहजता का प्रवाह होता है।

4)प्रेरक अनुच्छेद किसे कहते है?

उत्तर:इस प्रकार के लेखन ऐसे विषय पर किए जाते हैं जिसमें कोई मजबूत तर्क दिया जाता है। जिस तर्क पर पाठक वर्ग भी अपनी सहमति देता है। इसका उद्देश्य दर्शकों को लेखक के दृष्टिकोण को स्वीकार करना है। ये ज्यादातर शिक्षकों द्वारा एक मजबूत तर्क प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस प्रकार के लिखे गए अनुच्छेद तर्कपूर्ण होते है। जिनका संबंध वास्तविकता से भी होता है।

5)वर्णनात्मक अनुच्छेद किसे कहते है?

 उत्तर:यह अनुच्छेद किसी एक विशेष विषय को केंद्र में रखकर लिखे जाते हैं। यह किसी निर्जीव और सजीव पदार्थ का वर्णन करते हैं। इस प्रकार का लेखन मूल रूप से विषय का वर्णन करता है। यह वर्णन किसी यात्रा, कोई अद्भुत दृश्य, कोई घटना, किसी पौराणिक कथा का हो सकता है। 

6)अनुच्छेद लेखन का प्रारूप क्या है?

अनुच्छेद लेखन का प्रारूप निम्न प्रकार है:

प्रस्तावना: अनुच्छेद की शुरुआत में, विषय का परिचय दें। यहां विषय के महत्व को संक्षेप में बताना चाहिए।

विषय का विस्तार: अगले कदम में, विषय के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाएँ। विषय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और तथ्य यहां प्रस्तुत करें।

उदाहरण या केस स्टडी: अपने विषय को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण या केस स्टडी का उपयोग करें। यह अनुच्छेद को और रोचक और समझने योग्य बनाएगा।

महत्वपूर्ण बिंदु: अनुच्छेद में विषय के महत्वपूर्ण बिंदुओं को उल्लेख करें। यह वाचक को विषय की सारांश देने में मदद करेगा।

निष्कर्ष: अंत में, अपने विचारों और विषय पर किए गए विश्लेषण का संक्षेप में सारांश दें। इसे संक्षेप में और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करें।

इस प्रारूप का पालन करके, आप एक संगठित और आकर्षक अनुच्छेद लेखन का निर्माण कर सकते ह

निबंध लेखन

निबंध शब्द का अर्थ ‘बन्धन में बँधी हुई वस्तु’ से लिया जाता है। यह मूलत: संस्कृत का शब्द है, जो कि हिन्दी में लिया गया है। निबन्ध एक ऐसी रचना है, जिसमें किसी विशेष विषय पर व्यक्ति अपने विचारों की लिखित अभिव्यक्त करता है। जो कुछ भी वह उस विषय के बारे में सोचता है उसके लिख देता है।

निबन्ध कई प्रकार के होते हैं- 

वर्णनात्मक,  विचारात्मक, भावात्मक आदि|

1. वर्णनात्मक निबंध 

वर्णनात्मक निबंध में किसी वस्तु, घटना, प्रदेश आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें जो कुछ भी खुद देखा जाता है इसका विवरण किया जाता है। उदाहरण के लिए, होली, दीपावली आदि के बारे में बताया जाए।इस प्रकार के निबंधों में घटनाओं का एक क्रम होता है। इनमें साधारण बातें अधिक होती हैं। इनकी भाषा भी सरल होती है।

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2. विचारात्मक निबंध 

विचारात्मक निबंध लिखने के लिए अधिक सोचने की जरूरत होती है। इसमें कोई भी विषय बड़ी सोच समझ कर चुना जाता है। इनमें बुद्धि-तत्त्व प्रधान होता है तथा ये प्राय: किसी व्यक्तिगत, सामाजिक या राजनीतिक समस्या पर लिखे जाते हैं। दहेज-प्रथा, बाल विवाह, प्रजातंत्र, पर्यावरण आदि किसी भी विषय पर विचारात्मक निबंध लिखा जा सकता है। इसमें विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार किया जाता है तथा इसमें समस्याओं को सुलझाने या उनको हल करने का उपाय भी बताया जाता है।

3. भावात्मक निबंध

इस प्रकार के निबंधों मेंआप विषय के प्रति अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इनमें कल्पना की प्रधानता रहती है। उदाहरण के लिए ‘बुढ़ापा’, ‘यदि मैं अध्यापक होता’ आदि विषयों पर निबंध लिखे जाते है। यह निबंध लिखते समय आप अपनी कल्पना में जो कुछ भी सोच रहे होते है उसको लिख देते है। जिससे आपकी भावनाएं खुलकर व्यक्त होती है।

निबंध के तीन प्रमुख अंग होते हैं :

भूमिका

विषय-वस्तु

उपसंहार

1. भूमिका – 

जो भी विषय आप लिख रहे हो उसके बारे में जानकारी देना उसके बारे में बताना भूमिका में लिखा जाता है। इसमें निबंध के विषय को स्पष्ट किया जाता है। भूमिका रोचक होगी, तभी पाठक निबंध पढ़ने के लिए उत्सुक होंगे। इसकी भूमिका में विषय से संबंधित घटना या उसके परिवेश का भी परिचय भी दिया जाता है।

2. विषय-वस्तु –

 विषय-वस्तु निबंध का मुख्य भाग है। इसमें विषय का परिचय दिया जाता है, उसका रूप स्पष्ट किया जाता है। विषय का एक ही केंंद्रीय भाव होता है, उसका विस्तार करने की आवश्यकता होती है। विषय  के विभिन्न पक्ष होते हैं। पक्ष-विपक्ष में तर्क देकर विषय-वस्तु को गहराई से समझाया जाता है। 

3. उपसंहार

 इसमें समस्त निबन्ध का सार होता है। इसमें पूरे विषय से संबंधित निचोड़ दिया जाता है।यह स्वाभाविक, संक्षिप्त एवं संगत होना चाहिए।

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निबंध की विशेषताएँ

निबंध को लिखने का एक तरीका होता है। उसमे कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। जिससे निबंध की रचना सुसंगत तरीके से होती है।

(1) संक्षिप्तता – 

संक्षिप्तता को निबंध का आवश्यक धर्म माना गया है। एक निबंधकार की सफलता तब प्रदर्शित होती है जब वह अपने विषय का उद्घाटन ‘निबंध’ में संक्षिप्तता एवं लघुता के साथ करता है। अनावश्यक विस्तार एवं व्यापक विवेचन निबंध को बोझिल बनाता है। निबंध का आकार सीमित होता है, किन्तु यहाँ लघु आकार अथवा संक्षिप्तता से तात्पर्य है कि निबंधकार अपने-आप में स्वतंत्र होकर, चिंतन तथा मन की अनिवार्यताओं का ग्रहण कर विवेच्य पक्षों एवं बिन्दुओं को गंभीरतापूर्वक यथासंभव संक्षेप में प्रस्तुत करता है। 

(2) वैयक्तिकता – 

स्वभावत: ‘निबंध’ में निबंधकार का व्यक्तित्व प्रतिबिंबित होता है। निबंधकार की रुचियों, मन: स्थितियों, विचारधारा तथा दृष्टिकोण का प्रभाव अभिन्न रूप से निबंध में रहता है।

(3) रोचकता व आकर्षण – 

निबंध की लोकप्रियता हेतु उसमें रोचकता तथा आकर्षण का समन्वय अत्यावश्यक है। साथ ही भाषा एवं शैली के उत्कृष्ट प्रयोग – बिन्दु यथा- सहज एवं स्वाभाविक अलंकरण, लोकोक्तियों तथा मुहावरों का प्रयोग, शब्द-शक्तियों का चमत्कृति एवं कलात्मकता के साथ सम्मिश्रण तथा उत्कृष्ट शब्दावली द्वारा निबंधकार की नैसर्गिक प्रतिभा उजागर होती है। साथ ही इससे निबंध में रोचकता व आकर्षण का परिदर्शन भी होता है। 

(4) मौलिकता –

 विचार तथा शैली में विशिष्ट प्रयोग साहित्य में ‘मौलिकता’ की ओर इंगित करते हैं। निबंधकार प्राचीन एवं शास्त्रीय-परम्परा से विचार करता हुआ भी वण्र्य-विषयवस्तु का सहज-विश्लेषण मौलिकता के साथ करता है। सर्वथा विविधता एवं नवीनता का ग्रहण किए हुए निबंधकार कलात्मक अभिव्यंजनापूर्ण अपनी प्रस्तुति सहृदय-पाठक के समक्ष देता है। 

(5) प्रभावोत्पादकता – 

सामान्यत: ‘निबंध’ में हृदय और मस्तिष्क दोनों को प्रभावित करने का सामथ्र्य होना चाहिए। वस्तुत: विनोद-मात्र का साधन न होकर, उसमें गम्भीर-चिन्तन एवं नवीन दृष्टि का समन्वय भी होना चाहिए। पाश्चात्य विचारक ‘प्रीस्टले’ के अनुसार अच्छा निबंध वही है, जो साधारण बातचीत जैसा प्रकट हो। परन्तु यहाँ यह कहना उपयुक्त होगा कि निबंध में कथ्य एवं वण्र्य विषय का प्रस्तुतीकरण सहज, सरल, किंचित् विनोदपूर्ण तथा गाम्भीर्य के साथ किया जाना चाहिए। 

(6) सरसता – 

निबंध लेखन में सरसता होती है। उनमें किसी भी कठिन भाषा या कलिष्ठ शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। निबंधों में सरसता से उसका स्वरूप प्रभावशाली हो जाता है।

(7) स्वच्छन्दता – 

निबंधों में स्वच्छंदता होती है। उसमें किसी प्रकार का कोई भी संकुचन नहीं होता है। निबंध लिखने वाला अपने विचारों को स्वतंत्र रखता है। वह स्वतंत्र विचारों से निबंध को खुला रूप प्रदान करता है।

(8) सुसंगठितता –

‘निबंध’ का अर्थ ही है- ‘अच्छी तरह बंधा हुआ।’ निबंधों में सभी तत्वों को सुसंगठित रूप से गढ़ा जाता है। इसमें भाषा शैली, संक्षिपता, सभी को मौलिक रूप से संगठित किया जाता है।

इस प्रकार निबंध को लिखने में अनेक तत्वों का ध्यान रखा जाता है। जिससे निबंध में एक सुसंगठित रूप प्रदान होता है।

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अधिकतर पूछे गए प्रश्न–:

1)निबंध लेखन से आप क्या समझते है

उत्तर:निबंध शब्द का अर्थ ‘बन्धन में बँधी हुई वस्तु’ से लिया जाता है। यह मूलत: संस्कृत का शब्द है, जो कि हिन्दी में लिया गया है। 

निबन्ध एक ऐसी रचना है, जिसमें किसी विशेष विषय पर व्यक्ति अपने विचारों की लिखित अभिव्यक्त करता है। जो कुछ भी वह उस विषय के बारे में सोचता है उसके लिख देता है।

2)निबंध के कितने प्रकार है?

उत्तर: निबंध किसी विशेष विषय से संबंधित होते है। इनको लिखने के कुछ नियम होते है। निबंध मुख्य तीन प्रकार के होते है।वर्णनात्मक,  विचारात्मक, भावात्मक आदि।

3)वर्णनात्मक निबंध से आप क्या समझते है?

उत्तर: वर्णनात्मक निबंध में किसी वस्तु, घटना, प्रदेश आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें जो कुछ भी खुद देखा जाता है इसका विवरण किया जाता है। उदाहरण के लिए, होली, दीपावली आदि के बारे में बताया जाए।

इस प्रकार के निबंधों में घटनाओं का एक क्रम होता है। इनमें साधारण बातें अधिक होती हैं। इनकी भाषा भी सरल होती है।

4) निबंधों के प्रमुख अंग कौन से है?

उत्तर:निबंध के तीन प्रमुख अंग होते हैं :

भूमिका, विषय-वस्तु,  उपसंहार। निबंधों के इन अंगों के कारण ही उसमें एक सही रूपरेखा आती है। इनमें निबंध के सभी भागों को अच्छे तरह से प्रदर्शित किया जाता है।

5)भावनात्मक निबंध किसे कहते है?

उत्तर:इस प्रकार के निबंधों मेंआप विषय के प्रति अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इनमें कल्पना की प्रधानता रहती है। उदाहरण के लिए ‘बुढ़ापा’, ‘यदि मैं अध्यापक होता’ आदि विषयों पर निबंध लिखे जाते है। यह निबंध लिखते समय आप अपनी कल्पना में जो कुछ भी सोच रहे होते है उसको लिख देते है। जिससे आपकी भावनाएं खुलकर व्यक्त होती है।