अशुद्ध वाक्यों का संशोधन

हिंदी के किसी भी वाक्य में लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण, पुनरुक्ति और पदक्रम आदि से संबंधित गलतियों या अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध वाक्य बनाना अशुद्ध वाक्यों का संशोधन कहलाता है। इन सभी की अशुद्धियों के कारण एक वाक्य का पुरान अर्थ नही निकल पाता है। इसके अर्थ में अनर्थ हो जाता है।

हिंदी के वाक्यों में निम्नलिखित आधारों में अशुद्धियां मिलती है।

वाक्यों में संज्ञा व सर्वनाम संबंधी अशुद्धियां का संशोधन निम्न प्रकार से किया जाता है–:

जब किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का प्रयोग गलत किया जाता है तो वहां और उस संज्ञा और सर्वनाम की अशुद्धियों को ठीक किया जाता है।

अशुद्ध वाक्य-  हम उसका नहीं काम किया।

शुद्ध वाक्य- हमने उसका नहीं काम किया।

अशुद्ध वाक्य– दनेश को चोट लगा

शुद्ध वाक्य– दिनेश को चोट लगी।

अशुद्ध वाक्य- राहल मेरी दोस्त है।

शुद्ध वाक्य- राहुल मेरा दोस्त है ।

अशुद्ध वाक्य– बच्चा ने क्रिकेट खेली।

शुद्ध वाक्य- बच्चों ने क्रिकेट खेला।

2.- लिंग संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

वाक्यों में जब लिंग के आधार पर अशुद्धियां होती है। जहां पर गलत लिंग का प्रयोग किया जाता है, वहां लिंग संबंधी अशुद्धि होती है, जिसे शुद्ध किया जाता है।

अशुद्ध वाक्य- मोहन की पिता जी आएंगे।

शुद्ध वाक्य– मोहन के पिताजी आएंगे।

अशुद्ध वाक्य- उसने लस्सी पी लिया

शुद्ध वाक्य – उसने लस्सी पी ली।

अशुद्ध वाक्य – राजिया सुल्तान एक योद्धा था

शुद्ध वाक्य – राजिया सुल्तान एक योद्धा थी।

अशुद्ध वाक्य – दूध सेहत के लिए अच्छी होती है।

शुद्ध वाक्य–  दूध सेहत के लिए अच्छा होता है।

3.- वचन संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जिन वाक्यों में वचन के आधार पर गलतियां या अशुद्धियां पाई जाती है, वहां पर वचन संबंधी अशुद्धियां होती है। इसमें बहुवचन के स्थान पर एक वचन और एकवचन के स्थान पर बहुवचन बना दिया जाता है, जिससे वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

अशुद्ध वाक्य– हम परिवार में 8 सदस्य हैं।

शुद्ध वाक्य – हमारे परिवार में 8 सदस्य हैं।

अशुद्ध वाक्य – कक्षा में आज 30 बच्चा उपस्थित था

शुद्ध वाक्य – कक्षा में आज 30 बच्चे उपस्थित थे।

अशुद्ध वाक्य– खेल के मैदान में 5 बच्चा खेल रहा है।

शुद्ध वाक्य -खेल के मैदान में 5 बच्चे खेल रहे हैं।

अशुद्ध वाक्य– घर के सामने बहुत सारा लोग जमा हो गया था

शुद्ध वाक्य– घर के सामने बहुत सारे लोग जमा हो गए थे।

4.- कारक संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जब वाक्यों में गलत कारक का प्रयोग किया जाता है, जिससे वाक्य का अर्थ नहीं निकल पाता है, वहां पर कारक संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य – तुम खाना खाया है

शुद्ध वाक्य –  तुमने खाना खाया है

अशुद्ध वाक्य – मोहन सुरेश का पढ़ा रहा है।

शुद्ध वाक्य – मोहन सुरेश को पढ़ा रहा है।

अशुद्ध वाक्य – डॉक्टर को दवाई दी।

शुद्ध वाक्य– डॉक्टर ने दवाई दी।

अशुद्ध वाक्य– पेड़ में से फल तोड़ लो

शुद्ध वाक्य- पेड़ से फल तोड़ लो

5.पद क्रम संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–:

जब वाक्य में कोई क्रम नहीं होता है और वाक्य का कोई अर्थ नहीं निकल पाता है पद अपने अपने स्थान पर नहीं होते है अर्थात जहां पर वाक्य अर्थपूर्ण नहीं होता है, वहां पर पद क्रम संबंधित अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य- हवा चल रही है गर्म आज।

शुद्ध वाक्य -आज गर्म हवा चल रही है।

अशुद्ध वाक्य– धो दिए मैंने मैने कपड़े सारे

शुद्ध वाक्य – मैंने सारे कपड़े धो दिए।

अशुद्ध वाक्य- श्याम की है परीक्षा आज।

शुद्ध वाक्य – आज श्याम की परीक्षा है

अशुद्ध वाक्य- स्कूल में डांस मैने किया आज।

शुद्ध वाक्य- आज मैंने स्कूल में डांस किया।

6.- क्रिया विशेषण संबंधी अशुद्धियां:-

जिन वाक्यों में विशेषण अपनी क्रिया के साथ नही लगता है अर्थात जब विशेषण करिए से पहले प्रयोग नहीं होता उसके स्थान पर कोई अलग शब्द लगा दिया जाता हैं,वहां पर क्रिया विशेषण संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य- यह घर तो बहुत ही सुंदर है।

शुद्ध वाक्य- यह घर बहुत सुंदर है।

अशुद्ध वाक्य- हमें जीवन भर तक आजीवन साथरहना है।

शुद्ध वाक्य– हमें आजीवन मेंरे साथ रहना है।

अशुद्ध वाक्य-आज सारा दिन भर तेज बारिश होती रही।

शुद्ध वाक्य-आज दिन भर तेज बारिश होती रही।

7.पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियां का वाक्यों में संशोधन–: 

जब वाक्य में एक शब्द एक से अधिक बार आता है जिसके प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती है, वहां पर एक ही शब्द का  अधिक बार प्रयोग करने से पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां होती है।

अशुद्ध वाक्य – सोमवार के दिन मुझे विद्यालय जाना है।

शुद्ध वाक्य – सोमवार को मुझे विद्यालय जाना है।

अशुद्ध वाक्य – महाराणा प्रताप बहुत वीर व्यक्ति थे।

शुद्ध वाक्य – महाराणा प्रताप बहुत वीर थे।

अशुद्ध वाक्य- अमित तो केवल एक मौका मात्र चाहिए।

शुद्ध वाक्य – अमित  को मात्र एक मौकाचाहिएं।

अशुद्ध वाक्य – तानिया को शाम के समय से बुखार है।

शुद्ध वाक्य- तानिया को शाम से बुखार है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न–:

1.अशुद्ध वाक्यों का संशोधन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: 

हिंदी के किसी भी वाक्य में लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण, पुनरुक्ति और पदक्रम आदि से संबंधित गलतियों या अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध वाक्य बनाना अशुद्ध वाक्यों का संशोधन कहलाता है। इन सभी की अशुद्धियों के कारण एक वाक्य का पुरान अर्थ नही निकल पाता है। इसके अर्थ में अनर्थ हो जाता है।

2.अशुद्ध वाक्यों में संशोधन कितने प्रकार से होता है?

उत्तर:हिंदी के वाक्यों में निम्नलिखित आधारों में   अशुद्धियां मिलती है।

1.- संज्ञा व सर्वनाम संबंधी अशुद्धियां

2.- लिंग संबंधी अशुद्धियां

3.- वचन संबंधी अशुद्धियां

4.- कारक संबंधी अशुद्धियां

5.- पद क्रम संबंधी अशुद्धियां

6.- क्रियाविशेषण संबंधी अशुद्धियां

7.- पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियां

3. वचन संबंधी अशुद्धियां कैसे होती है?

उत्तर:जिन वाक्यों में वचन के आधार पर गलतियां या अशुद्धियां पाई जाती है, वहां पर वचन संबंधी अशुद्धियां होती है। इसमें बहुवचन के स्थान पर एक वचन और एकवचन के स्थान पर बहुवचन बना दिया जाता है, जिससे वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

4.पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां कैसे होती है?

उत्तर:जब वाक्य में एक शब्द एक से अधिक बार आता है जिसके प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती है, वहां पर एक ही शब्द का  अधिक बार प्रयोग करने से पुनरूक्ति संबंधी अशुद्धियां होती है।

5.गौरव ने मैच जीती।

दिए गए वाक्य में अशुद्धियों का संशोधन करें।

उत्तर: दिए गए वाक्य में अशुद्धियों का संशोधन निम्न प्रकार से होगा– 

गौरव ने मैच जीता।

लिंग

जिससे शब्द की जाति का बोध होता है तथा उनका अलग अलग वर्गीकरण किया जाता है, उसे लिंग कहते है। 

हिंदी में दो लिंग होते है– 

स्त्रीलिंग और पुल्लिंग।

1.स्त्रीलिंग- 

स्त्री और लिंग दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, इसलिए जो शब्द स्त्री जाति का बोध कराते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। 

जैसे- राधा, पुत्री, लड़की, शेरनी, चिड़िया।

दिए गए शब्दों से स्त्री जाति का बोध होता है,इन्हें पुरुष जाति के शब्दों से अलग रखा है।

2. पुल्लिंग- 

पुल्लिंग पुरुष और लिंग दो शब्दों से मिलकर बना है, इसलिए स्त्रीलिंग के विपरीत जो शब्द पुरुष जाति का बोध कराते हैं, उन्हें पुल्लिंग कहते है।

जैसे– कृष्ण, शेर, लड़का।

दिए गए शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है, इन्हें स्त्री जाति के शब्दों से अलग रखा जाता है।

कुछ शब्द जो स्त्रीलिंग होते हैं–

1. ईकारांत शब्द– चिट्ठी, पत्री, बोली, गोली।

(ईकारांत शब्दों में अंत में ई की मात्रा लगाई जाती है।)

2.नदियों के नाम– गंगा, यमुना।

3.राशियों, तिथियों और नक्षत्रों के नाम– मेष, तुला, अश्विन, रोहिणी।

4.धातुओं के नाम– चांदी, मिट्टी।

5.संस्कृत के स्त्रीलिंग और नपुंसक लिंग– आशा, माता

संस्कृत भाषा में तीन लिंग (नपुंसक लिंग) होते है। लेकिन हिंदी भाषा में दो ही लिंग होते है।

6. समुदाय वाचक संख्याएँ – सेना, टीम, सभा फोज

जिसमें अनेक मनुष्य मिलकर एक चीज का बोध करवाते हैं, उसे समुदाय वाचक संख्या कहते है।

7.अनाज दालें – अरहर, मकई।

8.कुछ प्राणिवाचक शब्द– गाय, कोयल, मैना, बिल्ली।

कुछ शब्द जो पुल्लिंग होते हैं–

1.पर्वतों के नाम– हिमालय, शिवालिक।

2. भावनावाचक संज्ञाएँ – जिनके अंत में आव, पन, पा, त्व हो – बहाव, बचपन, बुढ़ापा।

3. महीने और दिनों के नाम– मंगलवार, चैत्र।

4. ग्रहों के नाम– बुध, राहु।

5.संस्कृत में नपुंसक लिंग– दही, मधु।

6. पेड़, अनाज, संबंधी शब्द– पीपल, आम, गेहूँ।

7.द्रव्यवाचक शब्द– सोना, तांबा।

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम

1. अकारांत(अकारांत शब्द वे होते है जिन शब्दों के अंत में अ की ध्वनि आती है) और आकारांत शब्दों के अंत में ‘ई’ जोड़ देने से स्त्रीलिंग बन जाता है–

नाना– नानी

दादा–दादी

पुत्र–पुत्री

देव– देवी

कबूतर– कबूतरी

लड़का– लड़की

2.कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘आ’ हटाकर ‘इया’ जोड़ दिया जाता है–

डिब्बा– डिबिया

बेटा–बिटिया

बूढ़ा –बुढ़िया

चूहा– चुहिया

3.कुछ व्यापार सूचक शब्दों के पीछे ‘इन ’ प्रत्यय लगाया जाता है।

जुलाहा– जुलाहीन

धोबी– धोबिन

ग्वाला– ग्वालिन

ठेठेरा– ठठेरिन

4.कुछ प्राणिवाचक शब्दों के पीछे ‘नी’ या ‘इनी’ लगाया जाता है।

हंस–हंसिनी

शेर–शेरनी

हाथी– हथिनी

5.कुछ प्राणिवाचक शब्दों के पीछे ‘आनी’ प्रत्यय लगाया जाता है।

नौकर– नौकरानी

देवर–देवरानी

जेठ– जेठानी

सेठ– सेठानी

6.कुछ अकारांत शब्दों के पीछे ‘आ’ प्रत्यय लगाया जाता है।(अकारांत शब्द वे होते है जिन शब्दों में पीछे आ की ध्वनि आती है)

शिव–शिव

सुत – सुता

बाल–बाला

शुद्र– शुद्रा

प्रिय– प्रिया

7. कुछ शब्दों के अंत में ‘वती’ या ‘मती’ लगाया जाता है

गुणवान– गुणवती

बुद्धिमान– बुद्धिमती

रूपवान–रूपवती

भगवान– भगवती

धनवान– धनवती

श्रीमान– श्रीमती

8.कुछ उपनाम संबंधी शब्दों के अंत में आइन प्रत्यय लगाया जाता है

लाला– ललाइन 

ठाकुर–ठकुराइन

पंडित– पंडिताइन

दुबे– दुबाइन

बाबू– बबुआइन

9.कुछ शब्दों के अंत में अक आता है उन्हें  स्त्रीलिंग बनाने के लिए ‘अक’ प्रत्यय का ‘इका’ कर लिया जाता है।

अध्यापक– अध्यापिका

नायक–नायिका

बालक–बालिका

लेखक– लेखिका

प्रेषक– प्रेषिका

सेवक– सेविका

10.कुछ शब्दों के अंत में ‘त्रि’ लगाया जाता है-

कवि–कवयित्री

कर्ता– कत्री

11.कुछ इकारांत शब्दों के अंत में ‘ई ’ प्रत्यय को ‘इ’ लगाकर ‘णी’ लगाया जाता है।

परोपकार– परोपकारिणी

अधिकार–अधिकारिणी

कल्याण–कल्याणकारिणी

सहधर्म– सहधर्मिणी

12.कुछ पुल्लिंगो के स्त्रीलिंग सर्वथा भिन्न होते हैं

वर –वधू

माता–पिता

राजा–रानी

विद्वान– विदुषी

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1. हिंदी में लिंग कितने प्रकार के होते?

उत्तर: हिंदी में लिंग दो प्रकार के होते है। जिससे किसी शब्द की जाति का बोध कराया जाता है।

पुल्लिंग और स्त्रीलिंग

2. ‘मैम’ का पुल्लिंग क्या होगा?

उत्तर:’मैम’ का पुल्लिंग ‘सर’ होगा क्योंकि इन शब्दों के लिंग सर्वथा भिन्न होते है। इनमें कोई नियम नहीं लगता है।

3.महीनों और दिनों के नामों को कौन से लिंग में रखा गया है?

उत्तर: महीनों और दिनों के नामों को पुल्लिंग में रखा गया है। इनसे पुरुष जाति का बोध होता है।

4.चाचा’ का स्त्रीलिंग क्या होता है?

उत्तर: चाचा का स्त्रीलिंग चाची होता है क्योंकि अकारांत और आकारांत शब्दों के अंत में ‘ई’ जोड़ दिया जाता है।

5.संस्कृत में कितने प्रकार के लिंग होते है?

उत्तर: संस्कृत में तीन प्रकार के लिंग होते है।

स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, नपुंसक लिंग।

सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल