अव्यय

अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है, जिनमें लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम के कारण कोई भी बदलाव या परिवर्तन नहीं होता है। उनमें कोई भी विकार उत्पन्न नहीं होता है, इसलिए उनके अविकारी शब्द भी कहा जाता है।

जैसे: कब, कहाँ, क्यों, कैसे, किसने, उधर, ऊपर, इधर, अरे, तथा, और, लेकिन, क्योंकि, परंतु, केवल, अतएव, अर्थात आदि।

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अव्यय के प्रमुख पाँच भेद होते है–:

  1. क्रिया विशेषण
  2. निपात
  3. संबंध बोधक
  4. समुच्चय बोधक
  5. विस्मयादि बोधक

1.क्रिया विशेषण

जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। 

इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।

उदाहरण

1)शेर तेज भागता है।

इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।

2) मैं वहाँ नहीं आऊँगा।

इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं

1.कालवाचक क्रियाविशेषण

2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण

3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण

4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

1.कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

उदाहरण

वह अब पानी पी रहा है।

इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।

2.रीतिवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण

अमित ध्यान से चलता है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

3.स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण

गेंद ऊपर उछल रही है।

इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।

4)परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

तुम बहुत दौड़े।

इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।

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2) निपात

जब किसी भी बात पर अधिक बल दिया जाता है या उस बात पर अतिरिक्त जोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे निपात कहते है। यह ऐसे शब्द है जिनका खुद का कोई अर्थ नहीं होता है।

उदाहरण

कल मैं भी आपके साथ चलूँगा।

इस वाक्य में मैं शब्द पर बल देने के लिए भी शब्द का प्रयोग किया गया है, जोकि निपात शब्द है।

निपात नौ प्रकार के होते हैं

(1)स्वीकारात्मक निपात

(2) नकारात्मक निपात

(3) निषेधात्मक निपात

(4) आदरार्थक निपात

(5) तुलनात्मक निपात 

(6) विस्मयार्थक निपात

(7) बल बोधक निपात 

(8) अवधारणबोधक निपात

(9) आदरसूचक निपात

1) स्वीकारात्मक निपात

इन वाक्यों में किसी बात को स्वीकारने का अर्थ प्रकट होता है।ऐसे वाक्यों में पूछे गए प्रश्न का उत्तर स्वीकार्य रूप अर्थात हां में ही होता है। ऐसे वाक्यों में हाँ, जी, जी हाँ आदि शब्दों का प्रयोग उत्तर के रूप में होता है।

उदाहरण

प्रश्न- आप बाजार जा रहे हैं ?

              उत्तर- जी हाँ।

2) नकारात्मक निपात  

ऐसे वाक्यों में प्रश्न का जवाब नहीं के रूप में होता है। इसके लिए नहीं, जी नहीं आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण:  प्रश्न: तुम्हारे पास यह कलम है ?

              उत्तर- नहीं।

(3) निषेधात्मक निपात

इस प्रकार के वाक्यों में किसी को किसी कार्य के लिए मना या किसी को इनकार करने का बोध होता है।

उदाहरण : आज आप मत जाइए।

            मुझे अपना मुँह मत दिखाना।

(4) प्रश्नात्मक निपात

 इस प्रकार के वाक्यों में प्रश्न पूछा जाता है।

उदाहरण:   क्या तुम अंग्रेजी पढ़ना जानते है?

(5) तुलनात्मक

इन वाक्यों में किसी की तुलना की जाती है। यह तुलना किसी से भी की जा सकती है।

उदाहरण:इस लड़के सा पढ़ना कठिन है।

(6) विस्मयबोधक निपात-  

इन वाक्य में विस्मय बोधक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण:   काश ! वह न गया होता !

(7) बल बोधक निपात

इन वाक्यों में बल का प्रयोग किया जाता है। किसी बात पर जोर देकर कहा जाता है।

उदाहरण: 

            हमने उसका, नाम तक नहीं सुना।

           वह केवल सजाकर रखने की वस्तु है।

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(8) अवधारणबोधक निपात-

इन वाक्यों में किसी बात के बारे में निश्चित ज्ञान नहीं होता है। केवल उसके बारे में अनुमान लगाया जाता है। 

उदाहरण:  उसने करीब पाँच हजार रुपये दिये।

        लगभग पाँच लाख विद्यार्थी इस वर्ष परीक्षा दे   चुके हैं। 

(9) आदरसूचक निपात- 

इन वाक्यों में किसी के लिए आदर की भावना को व्यक्त किया जाता है। किसी के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। 

उदाहरण:  इन्दिरा जी गांव गई हुई है।

             गुरु जी आश्रम में है।

            वर्माजी घर आ गए है।

3)संबंध बोधक

जो शब्द किसी एक शब्द का संबंध किसी दूसरे शब्द से बताते है उसे संबंध बोधक कहते है।

संबंध बोधक में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से दर्शाया जाता है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है।

उदाहरण: पेड़ पर बिल्ली बैठी है।

             मोहन गीता के साथ घूमने गया।

सम्बन्ध बोधक अव्यय के भेद –

प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते 

संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

1.संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

 किसी वाक्य में संज्ञा शब्दों की विभक्तियों के पीछे इन अव्यय पदों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं। 

सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग किसी कारक चिन्ह के बाद किया जाता है।

 उदाहरण:  धन के बिना जीवन मुश्किल है।

इन शब्दों में के बिना बोधक शब्द का प्रयोग किया गया है।

2.अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय – 

इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के विकृत रूप के साथ किया जाता है उन्हें अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं।

उदाहरण: नहर का पानी किनारे तक आ गया।

             अवनी मित्रों सहित शिमला घूमने गई है।

इन शब्दों में किनारे तक, सहित आदि बोधक शब्दों का प्रयोग किया गया है।

हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंध बोधक शब्द दस प्रकार के होते हैं।

1.कालवाचक संबंधबोधक अव्यय

2.स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय।

3.दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय।

4.साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय।

5.हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय।

6.समतावाचक संबंधबोधक अव्यय।

7.पृथकवाचक संबंधबोधक अव्यय।

8.विरोधवाचक संबंधबोधक अव्यय।

9.संगवाचक संबंधबोधक अव्यय। 

10.तुलनवाचक संबंधबोधक अव्यय।

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4) समुच्चय बोधक 

जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।

           उदाहरण: 1अमित और देव सो रहे हैं।

इस वाक्य में अमित, देव को एक दूसरे से जोड़ा गया है। इन्हे जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया गया है।

समुच्चयबोधक के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  2. व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

समानाधिकरण समुच्चयबोधक–:

जो समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण सममुच्चबोधक अव्यय कहा जाता है। 

उदाहरण:-  विराट और रोहित भाई है।

इस वाक्य में विराट, रोहित दो स्वतंत्र शब्दों को और शब्द से जोड़ा गया है, जो समानाधिकरण समुच्चय बोधक शब्द है।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं-

क)संयोजक

ख)विकल्पसूचक

ग)विरोधसूचक

घ)परिमाणसूचक 

संयोजक:- जिन शब्दों से दो शब्दों या दो वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं तथा इसमें शब्दों के द्वारा वाक्यों और वाक्यांशो को इकट्ठा करते हैं।

उदाहरण:- राहुल और अंजली वहां खड़े है

ख)विकल्पसूचक: जिन शब्दों के द्वारा वाक्य में विकल्प, दो या दो अधिक का चयन दिया जाता है, उसे विकल्प सूचक कहते है।

उदाहरण:- मोहन यहां सो सकता है अन्यथा श्याम सो जाएगा         

)विरोध सूचक: यह शब्द दो वाक्यों या दो विरोध करने वाले कथनों को आपस में जोड़ते है। इन वाक्यों में आपस में विरोध दिखाई देता है।

उदाहरण:- वह अमीर है परंतु बेईमान है।   

(घ) परिमाणसूचक:- जिन शब्दों से वाक्य में किसी के परिमाण का पता चले तथा जो शब्द परिमाण दर्शाने वाले वाक्यों को जोड़ते हैं, उसे परिमाण सूचक कहते है।

उदाहरण:- उसने अपना कार्य पूरा किया ताकि उसको  

              डांट न पड़े।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक:- 

जो शब्द एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

उदाहरण:– मां ने कहा कि तुम अपना काम करो। 

व्याधिकरण समुच्चयबोधक भी चार प्रकार के होते हैं

क)कारण बोधक

ख)संकेतबोधक

ग)स्वरूपबोधक

घ)उद्देश्यबोधक

(क) कारण बोधक:– जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य के कार्य करने के कारण का बोध होता है, उसे कारण बोधक कहते है।

उदाहरण:- वह सुंदर है इसलिए मुझे पसंद है।

ख) संकेतबोधक:- जिन वाक्यों में किसी घटना या कार्य के बारे में संकेत मिलते हैं, उसे ‘संकेतवाचक’ कहते हैं। इसमें पहले वाक्य का दूसरे वाक्य की शुरुआत में संकेत मिलते है।

उदाहरण:- यदि तुम कामयाब होना चाहते हो तो तुम्हें मेहनत करनी पड़ेगी।

(ग) स्वरूपबोधक:- जिन वाक्यों में किसी उपवाक्य का अर्थ पूर्ण रूप से स्पष्ट होता है। उन्हें ‘स्वरूपबोधक’ कहते हैं। 

उदाहरण:- पंछी उन्मुक्त है अर्थात स्वतंत्र हैं।

(घ) उद्देश्यबोधक: जिन दो शब्दों को जोड़ने से उसका उद्देश्य स्पष्ट होता है, उसे उद्देश्यबोधक कहते हैं।

इन अव्यय शब्दों से उद्देश्य का पता चलता है।

उदाहरण:- खाना खा लो ताकि भूख न लगे।

5)विस्मयादिबोधक

जिन वाक्यों में किसी विशेष शब्द के द्वारा खुशी, दुख, घृणा, आश्चर्य आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं। विस्मयादिबोधक को एक चिन्ह (!) से भी प्रकट करते है। जिसे विस्मयादिबोधक चिन्ह कहते है।

 उदाहरण

               अरे! इतनी मोटी पुस्तक।

                 ओह! सुनकर दुख हुआ।

                 शाबाश! बहुत बढ़िया

विस्म्यादिवाचक वाक्यों में किसी तीव्र भावना को जताने के लिए जो शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं उन्हें विस्मय बोधक शब्द कहते हैं।

इन विस्मयादिबोधक को प्रकट करने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है।

अरे! (आश्चर्य व्यक्त करने के लिए)

    अरे! तुम कब आए।

अरे यार! ( दुख प्रकट करने के लिए) 

        अरे यार! मेरा काम तो पूरा ही नहीं हुआ।

ओह! ( शोक व्यक्त करने के लिए)

          ओह! उसके साथ बहुत बुरा हुआ।

           ओह! मेरे हाथ में दर्द है।

छिः! ( घृणा व्यक्त करने के लिए)

          छी! अमित के कपड़े कितने गंदे है।

शाबाश! ( खुशी व्यक्त करने के लिए)

           शाबाश! तुमने अच्छा काम किया है।

ये क्या! ( आश्चर्य व्यक्त करने के लिए)

          ये क्या! राम अभी तक गया नहीं।

हाय! ( दुख व्यक्त करने के लिए)

 हाय! मीरा को बहुत चोट आई है।

है।

हे भगवान! ( शुक्रिया, दुख व्यक्त करने के लिए)

             हे भगवान! तुमने बचा लिया

काश! ( इच्छा व्यक्त करने के लिए)

         काश! मैं भी घूमने जाती।

क्या ! (प्रश्न पूछने के लिए)

         क्या! तुमने खाना नही खाया।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1.अव्यय किसे कहते है?

उत्तर:अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है, जिनमें लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम के कारण कोई भी बदलाव या परिवर्तन नहीं होता है।

2.अव्यय के कितने भेद है।

उत्तर:अव्यय के प्रमुख पांच भेद होते है–:

1क्रिया विशेषण

2निपात

3संबंध बोधक

4समुच्चय बोधक

5विस्मयादि बोधक

3.निपात अव्यय किसे कहते है?

उत्तर:जब किसी भी बात पर अधिक बल दिया जाता है या उस बात पर अतिरिक्त जोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे निपात कहते है। यह ऐसे शब्द है जिनका खुद का कोई अर्थ नहीं होता है।

4.विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते है?

उत्तर:जिन वाक्यों में किसी विशेष शब्द के द्वारा खुशी, दुख, घृणा, आश्चर्य आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं। विस्मयादिबोधक को एक चिन्ह (!) से भी प्रकट करते है।

5.समुच्चय बोधक अव्यय किसे कहते हैं?

उत्तर:जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।

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 क्रिया विशेषण

जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, संज्ञा, और सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है, उसे विशेषण कहते हैं। 

जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। 

इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, अभी, वहां, थोड़ा, अवश्य, उधर, ऊपर, नीचे, ऊँचा, केवल, यहीं, फिलहाल, कल, पीछे, आज आदि|

उदाहरण–:

शेर तेज भागता है।

इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।

मैं वहाँ  नहीं आऊँगा।

इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।      

वह अभी गया है।

इस वाक्य में गया क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता “अभी” शब्द  के द्वारा बताई गई है। इसलिए अभी सहायक क्रिया है।               

क्रिया विशेषण के भेद (kriya visheshan ke bhed)

क्रिया विशेषण के चार भेद है-

  1. कालवाचक क्रियाविशेषण
  2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
  3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
  4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

1. कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

उदाहरण–:

  मैं कल देव के घर जाऊंगा।

 इस वाक्य में जाना क्रिया है और कल विशेषण से जाने का समय पता चल रहा है, इसलिए कल शब्द काल वाचक विशेषण है।

वह अब पानी पी रहा है।

इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।

वह बार-बार बैठ रहा है।

इस वाक्य में बैठना क्रिया है। बैठना क्रिया का समय बार बार शब्द के द्वारा बताया जा रहा है। इसलिए बार-बार शब्द काल वाचक क्रिया विशेषण है।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:, इसलिए, क्योंकि, नहीं, मत, कदापि, तो, हो, मात्र, भर आदि।

उदाहरण–:

अमित ध्यान से चलता है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

विधि हमेशा सच बोलती है।

 इस वाक्य में बोलना क्रिया है, और बोलने की विशेषता सच शब्द के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह सच शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

 वह नहीं नाचेगा।

इस वाक्य में नाचना क्रिया है। नाचना क्रिया का तरीका नहीं शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए नहीं शब्द रीति वाचक विशेषण है।

स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।

उदाहरण-

 राधा आगे चल रही है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है। चलना क्रिया को विशेषता या स्थान आगे शब्द से बताया गया है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 कबीर बाहर जा रहा है।

इस वाक्य में जाना एक क्रिया है। जाना की विशेषता या स्थान बाहर के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 गेंद ऊपर उछल रही है।

इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।

परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- बहुत, अधिक, अधिकाधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, पर्याप्त; आदि ,जितना कुछ ।

उदाहरण–:

नितिन अधिक खाना खाता है।

  इस वाक्य में क्रिया खाना है। खाना क्रिया की मात्रा अधिक शब्द से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।  

उसने थोड़ा थोड़ा लिखा।

  इस वाक्य में लिखना क्रिया है। लिखना क्रिया की मात्रा का बोध थोड़ा थोड़ा के माध्यम से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।

 तुम बहुत दौड़े।

इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।

अधिकतर पूछें गए प्रश्न

1. क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

उत्तर:जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, आदि|

2. क्रिया विशेषण के कितने भेद है?

उत्तर:क्रिया विशेषण के चार भेद हैं।

1.कालवाचक क्रियाविशेषण

2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण

3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण

4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

3.घर में एक बच्चा रो रहा है? इस वाक्य में कौन सा क्रिया विशेषण है?

उत्तर: इस वाक्य में परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है क्योंकि रोना क्रिया है और एक बच्चे के द्वारा इसकी संख्या का बोध करवाया गया है।

4.रीति वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:रीतिवाचक क्रिया विशेषण-जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:,

5.काल वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:कालवाचक क्रिया विशेषण–:जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

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पद परिचय

वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को पद कहा जाता है| इन्हीं पदों का व्याकारणिक परिचय देना पद परिचय कहलाता है। वाक्य में आए पदों का परिचय  विभिन्न आधारों पर दिया जाता है।दिया जाता है।

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प्रयोग के आधार पर पद परिचय आठ प्रकार के होते है

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. अव्यय
  5. क्रिया विशेषण
  6. क्रिया
  7. संबंधबोधक
  8. समुच्चयबोधक

1. संज्ञा शब्द का पद परिचय

वाक्य में संज्ञा शब्द का पद परिचय देते समय उस शब्द में संज्ञा, संज्ञा के भेद, को बताना होता है तथा उसके साथ साथ लिंग, वचन,कारक और क्रिया के साथ उसका संबंध बताना होता है।

उदाहरण–: लंका में राम ने बाणों से रावण को मारा।

लंका–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग,एकवचन, कर्ता कारक

राम–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

बाणों–: संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, करण कारक 

रावण–: संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

इस प्रकार संज्ञा शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

2. सर्वनाम शब्द का पद परिचय

जब वाक्य सर्वनाम शब्द का पद परिचय देना हो तो सबसे पहले कौन-सा सर्वनाम, सर्वनाम का प्रकार पुरुष, वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताते है।

उदाहरण–: जिसे आप लोगों ने खाने पर बुलाया है,उसे अपने घर जाने दीजिए।

जिसे–: अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

आप लोगों ने–:पुरुष वाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।

उसे–:अन्य पुरुष सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

अपने–: निजवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक। 

इस प्रकार सर्वनाम शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

3. विशेषण शब्द का पद परिचय–:

विशेषण शब्द का पद परिचय देते समय विशेषण के भेद, अवस्था, लिंग,वचन और विशेष्य के साथ उसके संबंध को बताना होता है।

उदाहरण- ये तीन मूर्तियां बहुत क़ीमती हैं।

उपर्युक्त वाक्य में ‘तीन’ ,’बहुत’ और ‘क़ीमती’ विशेषण हैं। इन दोनों विशेषणों का पद परिचय निम्नलिखित है-

तीन : संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इस विशेषण का विशेष्य ‘मूर्तियां’ हैं।

बहुत : संख्यावाचक,स्त्रीलिंग, बहुवचन।

क़ीमती : गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन

इस प्रकार विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

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4. अव्यय शब्द का पद परिचय–:

अव्यय का पद परिचय बताने के लिए वाक्य में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे संबंधित पद को बताना होता है।

उदाहरण- वे प्रतिदिन जाते हैं। 

वाक्य में ‘प्रतिदिन’ अव्यय है। 

प्रतिदिन : कालवाचक अव्यय

जाना : क्रिया का विशेषण

इस प्रकार अव्यय शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

5. क्रिया विशेषण शब्द  का पद परिचय–:

क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रियाविशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है।

उदाहरण-  लड़की उछल कूद कर रही हैं।

इस वाक्य में ‘उछल कूद’ क्रियाविशेषण है। 

उछल कूद  : रीतिवाचक क्रियाविशेषण क्योंकि ‘कर रही है’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।

इस प्रकार क्रिया विशेषण शब्द का शब्द परिचय किया जाता है

6. क्रिया शब्द का पद परिचय–:

क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – मोहन ने सोहन को मारा।

मारा : क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता मोहन तथा कर्म सोहन है।

इस प्रकार क्रिया शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

7.संबंधबोधक शब्द का पद परिचय–:

संबंधबोधक का पद परिचय में संबंधबोधक का भेद और संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण- पेड़ के नीचे चिड़िया बैठी है।

के नीचे : संबंधबोधक, पेड़ और चिड़िया इसके संबंधी शब्द हैं।

इस प्रकार संबंधबोधक शब्द का शब्द परिचय किया जाता है।

8.समुच्चयबोधक शब्द का पदपरिचय–:

समुच्चयबोधक के पद परिचय में समुच्चयबोधक का भेद और समुच्चयबोधक से संबंधित योजित शब्द को बताना होता है।

उदाहरण – दिल्ली अथवा कोटा में पढ़ना ठीक है।

इस वाक्य में ‘अथवा’ समुच्चयबोधक शब्द है।

अथवा : विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय है तथा ‘कोटा’ और दिल्ली के मध्य विभाजक संबंध

इस प्रकार समुच्चयबोधक शब्द का पद परिचय किया जाता है।

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अधिकतर पूछें गए प्रश्न–:

1. शब्द परिचय कितने प्रकार का होता है?

उत्तर: शब्द परिचय 8 प्रकार का होता है। जिसमें एक वाक्य के शब्दों का आठ प्रकार से परिचय किया जाता है।

2. दिए गए वाक्य का शब्द परिचय दीजिए:

 रामचरितमानस की रचना तुलसीदास द्वारा की गई। 

उत्तर: रामचरितमानस: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग, कर्म कारक। 

तुलसीदास द्वारा: व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग , करण कारक। 

की गई : संयुक्त क्रिया , एकवचन , स्त्रीलिंग , कर्मवाच्य, अन्य पुरुष। 

3. किस प्रकार के पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है?

उत्तर: संबंधबोधक पद परिचय में संज्ञा या सर्वनाम से संबंधित पद बताया जाता है।

4. क्रिया विशेषण शब्द और क्रिया शब्द के पद परिचय में क्या अंतर है?

उत्तर:क्रिया विशेषण का पद परिचय बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रकार और उस क्रिया पद के बारे में बताना होता हैं, जिस क्रियापद की विशेषता बताने के लिए क्रिया विशेषण का प्रयोग हुआ है जबकि क्रिया के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, काल, लिंग, वचन, पुरुष, और क्रिया से संबंधित शब्द को बताना होता है।

5. दिए गए वाक्य का पद परिचय कीजिए:

    वीरों की सदा जीत होती है।

उत्तर:वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।

सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।

जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।

अविकारी शब्द

जो शब्द जैसे होते है तथा जिनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं|

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अविकारी शब्द के भेद- (Avikari Shabd ke Bhed)

                                          Avikari Shabd Chart

1.क्रिया विशेषण

2.सम्बन्ध बोधक

3.समुच्चय बोधक

4.विस्मयादि बोधक

अविकारी शब्दों की पहचान कैसे करें

1. क्रियाविशेषण:

वे शब्द जो क्रिया की विशेषता को प्रकट करते हैं. उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं |

उदाहरण- जब ,जहां, जैसे, जितना, आज, कल, अब इत्यादि.

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं-

i. कालवाचक क्रिया विशेषण–:

जिससे क्रिया को करने या होने के समय (काल) का बोध हो वह कालवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है 

जैसे – परसों मंगलवार हैं, आपको अभी जाना चाहिए,

यहां पर जाने के समय का पता चल रहा है, इसलिए यह कलावाचक क्रिया विशेषण है।

ii. स्थान वाचक क्रिया विशेषण–:

क्रिया के होने या करने के स्थान का बोध हो, वह स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहलाता है.

जैसे– यहाँ, वहाँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, बाहर, भीतर, आसपास आदि.

तुम बाहर जाओ। यहां पर जाने के स्थान का पता चल रहा है।

3.परिमाणवाचक क्रिया विशेषण–:

जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है.उसे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते है.

जैसे –

 वह दूध बहुत पीता है। यहां पर दूध के परिणाम(पीना) का बोध हो रहा है।

 वह थोड़ा ही चल सकी। यहां पर चलने की मात्रा का पता चल रहा है।

iv. रीतिवाचक क्रिया विशेषण–:

जिससे क्रिया के होने या करने के ढ़ग का पता चलता हो उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं.

जैसे –

 सहसा बम फट गया। यहां पर बम के फटने (ढंग) का पता चल रहा है।

  मैं यह काम निश्चिय पूर्वक करूंगा। यहां पर काम के निश्चय पूर्वक(ढंग)होने का पता चल रहा है।

2. सम्बन्धबोधक :

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का वाक्यों का दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध बताते हैं उन्हें सम्बन्धबोधक कहा जाता है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होते हैं और इसके साथ किसी न किसी प्रत्यय का प्रयोग भी किया जाता है।

जैसे- ‘के ऊपर’, ‘के बजाय’, ‘की अपेक्षा’, ‘के पास’, के आगे’, ‘की ओर’ इत्यादि

रोहित ‘के बजाय’ रैना को खिलाओ। यहां के बजाय का उपयोग किया है।

रोहन ‘के पीछे’ पुलिस पड़ी है। यहां पर के पीछे का प्रयोग किया गया है।

3. समुच्चयबोधक अविकारी शब्द:

जो अविकारी शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं.

जैसे– और, तथा, एवं, मगर, लेकिन, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अतः, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे आदि.

समुच्चयबोधक अलग अलग प्रकार के होते हैं.

क) सजातीय या समानाधिकरण समुच्चयबोधक

यह वह शब्द होते है जो स्थिति या जाती वाले दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ने या विभाजित करने का काम करते हैं.

जैसे-

और – मोहित और कल्पना अच्छे मित्र हैं। यहां पर दो शब्दों को और के माध्यम से जोड़ा गया है।

तथा – श्वेता, अरुणा, तथा रोमेश घूमने गए। यहां पर दो शब्दों को तथा के माध्यम से जोड़ा गया है।

ख) विजातीय या व्यधिकरण समुच्चयबोधक –

यह वह शब्द होते हैं जो किसी मुख्य को गौण अंश से जोड़ने का काम करते हैं.

जैसे-

कि – उसने वह फिल्म इसलिए नहीं देखी कि वह खराब थी

यहां पर कि के द्वारा गौण अंश को जोड़ा गया है।

यदि/तो – यदि तुम मन लगाकर पढोगे तो अवश्य सफल होगे। 

यहां पर यदि और तो लगाकर वाक्य को पूरा किया गया है।

मानो – धूप पर पड़ी ओस ऐसी लग रही थी मानो मोती जगमगा रहे हों।

यहां पर मानो के द्वारा वाली पूरा किया गया है।

जो– मैं इतना उदार नहीं जो तुम्हें इस जघन्य अपराध के लिए क्षमा कर दूँ।

यहां पर जो लगाकर वाक्य के गौण अंश को जोड़ा गया है।

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4. विस्मयादिबोधक अव्यय

जिन अविकारी शब्दों से हर्ष, शोक, आश्चर्य घृणा, दुख, पीड़ा आदि का भाव प्रकट हो उन्हे विस्मयादि बोधक अव्यय कहा जाता है। इसके द्वारा मनुष्य के भावों और भावनाओं का ज्ञान होता है की वह किस अंदाज और किस तरह से किसी के बारे में बताता है।

जैसे – ओह!, हे!, वाह!, अरे!, अति सुंदर!, उफ!, हाय!, धिक्कार!, सावधान!, बहत अच्छा!, तौबा-तौबा!, अति सुन्दर आदि।

उफ! कितनी गर्मी है। यहां पर गर्मी से परेशान होकर उफ! का प्रयोग किया गया है।

वाह! कितना स्वादिष्ट भोजन है। यहां पर खाने की प्रसंशा करते हुए वाह का प्रयोग किया गया है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न               

1.अविकारी शब्द किस कहते है?

उत्तर:जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाते हैं.

2.अधिकारी शब्द के कितने भेद है?

उत्तर: अधिकारी शब्द के चार भेद है

1.क्रिया विशेषण

2.सम्बन्ध बोधक

3.समुच्चय बोधक

4.विस्मयादि बोधक

3.परिमाणवाचक अविकारि शब्द किसे कहते है?

उत्तर:जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण या मात्रा से सम्बन्धित विशेषता का पता चलता है.उसे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते है।

4. क्रिया विशेषण  के कितने भेद है?

उत्तर: क्रिया विशेषण के चार भेद है।

5.और, अगर, मगर समुच्यबोधकअविकरी शब्दों का प्रयोग कब किया जाता है?

उत्तर: शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।

इन्हे भी पढ़िये

सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
अव्ययकाल

क्रिया

क्रिया का अर्थ होता है कार्य करना। भाषा के वाक्य को पूरा करने के लिए क्रिया का होना जरूरी है। किसी भी वाक्य को पूरा करने के लिए क्रिया का होना जरूरी है। क्रिया किसी भी कार्य को होने या करने के बारे में दर्शाती है। क्रिया को करने वाला कर्ता कहलाता है। क्रिया एक विकारी शब्द है जिसके रंग, रूप, लिंग और पुरुष कर्ता के अनुसार बदलते है।

जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते है। संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते है। हिंदी में इन धातुओं के साथ ना लगता है।

उदाहरण–: खाना, पीना, सोना, रहना आदि|

1.रोहन ने खाना खाया।

इस वाक्य में खाना खाने का काम रोहन के द्वारा हो रहा है। इसलिए इस वाक्य में रोहन कर्ता और खाया क्रिया है।

2.मोहन नाचता है। 

इस वाक्य में नाचने का काम मोहन के द्वारा किया जा रहा है। इसमें मोहन कर्ता और नाचना क्रिया है।

3.उसने अपना स्कूल देखा

इस वाक्य में देखने का कार्य ‘उसने’ द्वारा हो रहा है। इसलिए इसमें उसने कर्ता और देखना क्रिया है।

क्रिया के भेद (kriya ke kitne bhed hote hain )

क्रिया के भेद दो आधारों पर किए गए हैं-

1) कर्म के आधार पर।

2) प्रयोग के आधार पर।

1) कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है

  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया

1.अकर्मक क्रिया

वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म / कार्य की आवश्यकता नहीं होती है उसे अकर्मक क्रिया कहते है। इसमें क्रिया का प्रभाव सीधे कर्ता पर पड़ता है। 

जैसे-(क) राकेश खेलता है।

      (ख) अमन दौड़ता है।

उपर्युक्त वाक्यों में “खेलता है”, “दौड़ता है” क्रिया पदों के साथ कर्म नहीं है। क्रिया का फल अथवा प्रभाव कर्ता पर पड़ता है। 

2. सकर्मक क्रिया

वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की आवश्यकता होती है, सकर्मक क्रिया कहलाती है। सकर्मक क्रिया कर्म के बिना अपना भाव पूर्ण रूप से प्रकट नहीं कर पाती।

जैसे-(क) मामा जी बाजार जाते हैं।

      (ख) सोनिया खाना खाती है।

उपर्युक्त वाक्यों में जाते हैं, खाती है क्रियाओं का फल क्रमशः सोनिया, मामा जी, पर न पड़कर बाजार, खाना पर पड़ रहा है। बाजार, खाना कर्म हैं। ये सभी सकर्मक क्रियाएँ हैं।

क्रिया से क्या और किसको लगाकर प्रश्न पूछा जाता है और फिर जो उसका उत्तर मिलता है उसे कर्म कहते हैं। जैसे सोनिया क्या खाती है। खाना इसके जवाब के रूप में मिलता है। इसलिए यह सकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया के भेद

सकर्मक क्रिया के निम्नलिखित दो भेद हैं:

(क) एककर्मक क्रिया

(ख) द्विकर्मक क्रिया

एककर्मक क्रिया

जिन क्रियाओं का एक ही कर्म होता है, एककर्मक क्रिया कहलाती है। 

जैसे- वह अखबार पढ़ता है।

यहाँ ‘अखबार’ एक ही कर्म है। इसलिए यह एककर्मक क्रिया है।

द्विकर्मक क्रिया

जिन सकर्मक क्रियाओं के दो कर्म हों, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे- पिता ने पुत्र को पुस्तक पढ़ाई।

यहाँ “पुत्र” और “पुस्तक” दो कर्म हैं। इसलिए यह द्विकर्मक क्रिया है।

 

2)प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार भेद है

1)संयुक्त क्रिया

2)सहायक क्रिया

3)प्रेरणार्थक क्रिया

4)पूर्वकालिक क्रिया

1. संयुक्त क्रिया

वाक्य में जब क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनी हो तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है।

जैसे- मेने पत्र लिख दिया है।

इस वाक्य में क्रिया लिख दिया दो धातुओं से मिलकर बनी है इसलिए इस वाक्य में संयुक्त क्रिया है।

2. सहायक क्रिया

 सहायक क्रियाएं मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट करने में और उसे पूरा करने में सहायक होती है। वाक्य में एक या एक से अधिक क्रिया सहायक होती है। इसके प्रयोग से क्रिया में काल को बदला जा सकता है।

 जैसे- तुम खेल रहे थे।

 इस वाक्य में खेल मुख्य क्रिया है और रहे थे सहायक क्रिया के रूप में कार्य कर रही है  जो वाक्य के अर्थ को पूरा कर रही है, और इसके कारण काल में बदल गया है।

-वह नाचता है।

इस वाक्य में नाचना मुख्य क्रिया है और है सहायक क्रिया है जो वाक्य के अर्थ को पूरा करती है।

3.प्रेरणार्थक क्रिया

वाक्य में जिन शब्द के माध्यम से पता चलता है कि करता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने को प्रेरित कर रहा है या किसी अन्य से कार्य करवा रहा है तो उसे प्रेणार्थक क्रिया कहते है। 

जैसे- मोहन नौकर से काम करवाया।

इस वाक्य में मोहन ने नौकर से काम करवाया है खुद काम नहीं किया है। इसलिए काम प्रेरणार्थक क्रिया है।

-राधा ने सीता को पढ़ने के लिए कहा।

इस वाक्य में राधा सीता को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है, इसलिए पढ़ना एक प्रेरणार्थक क्रिया है।

4. पूर्वकालिक क्रिया 

वाक्य में जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी समय दूसरी समय दूसरी क्रिया में बदल जाता है तो पहले वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हो।

जैसे-  मोहन पढ़कर खेलने चला गया।

इस वाक्य में पढ़कर क्रिया पूर्वकालिक क्रिया है। क्योंकि इस क्रिया को छोड़कर कर्ता दूसरी क्रिया खेलने में परिवर्तित हो गया है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1. क्रिया के भेद कितने आधार पर किया गए है?

उत्तर: क्रिया के भेद दो आधारों पर किए गए है।

1) कर्म के आधार पर 

2) प्रयोग के आधार पर

2. बच्चे खेल रहे थे। इस वाक्य में कौन की क्रिया है

उत्तर: दिए गए वाक्य में खेलना मुख्य क्रिया है और रहे थे सहायक क्रिया है जो वाक्य के अर्थ को पूरा करती है। इसलिए वाक्य में सहायक क्रिया है।

3. प्रयोग के आधार पर क्रिया के कितने भेद है?

उत्तर: प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार भेद है–: 

1)संयुक्त क्रिया

2)सहायक क्रिया

3)प्रेरणार्थक क्रिया

4)पूर्वकालिक क्रिया

4. अमित ने अन्नू से खाना बनवाया। दिए गए वाक्य में कौन सी क्रिया है

उत्तर: दिए गया वाक्य में अमित ने खाना स्वयं नहीं बना कर अन्नू से बनवाया है इसलिए इस वाक्य में प्रेरणार्थक क्रिया है।

5. कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद है?

उत्तर: कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद है

1)अकर्मक क्रिया

2) सकर्मक क्रिया।

इन्हे भी पढ़िये

सर्वनामसंज्ञा
प्रत्ययअलंकार
वर्तनीपद परिचय
वाक्य विचारसमास
लिंगसंधि
विराम चिन्हशब्द विचार
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