अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है, जिनमें लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम के कारण कोई भी बदलाव या परिवर्तन नहीं होता है। उनमें कोई भी विकार उत्पन्न नहीं होता है, इसलिए उनके अविकारी शब्द भी कहा जाता है।
जैसे: कब, कहाँ, क्यों, कैसे, किसने, उधर, ऊपर, इधर, अरे, तथा, और, लेकिन, क्योंकि, परंतु, केवल, अतएव, अर्थात आदि।
अव्यय के प्रमुख पाँच भेद होते है–:
- क्रिया विशेषण
- निपात
- संबंध बोधक
- समुच्चय बोधक
- विस्मयादि बोधक
1.क्रिया विशेषण
जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है।
इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।
उदाहरण
1)शेर तेज भागता है।
इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।
2) मैं वहाँ नहीं आऊँगा।
इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।
क्रिया विशेषण के चार भेद हैं
1.कालवाचक क्रियाविशेषण
2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण
3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण
4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
1.कालवाचक क्रिया विशेषण
जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
उदाहरण
वह अब पानी पी रहा है।
इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।
2.रीतिवाचक क्रिया विशेषण
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
उदाहरण
अमित ध्यान से चलता है।
इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।
3.स्थानवाचक क्रिया विशेषण
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
उदाहरण
गेंद ऊपर उछल रही है।
इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।
4)परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
तुम बहुत दौड़े।
इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।
2) निपात
जब किसी भी बात पर अधिक बल दिया जाता है या उस बात पर अतिरिक्त जोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे निपात कहते है। यह ऐसे शब्द है जिनका खुद का कोई अर्थ नहीं होता है।
उदाहरण
कल मैं भी आपके साथ चलूँगा।
इस वाक्य में मैं शब्द पर बल देने के लिए भी शब्द का प्रयोग किया गया है, जोकि निपात शब्द है।
निपात नौ प्रकार के होते हैं
(1)स्वीकारात्मक निपात
(2) नकारात्मक निपात
(3) निषेधात्मक निपात
(4) आदरार्थक निपात
(5) तुलनात्मक निपात
(6) विस्मयार्थक निपात
(7) बल बोधक निपात
(8) अवधारणबोधक निपात
(9) आदरसूचक निपात
1) स्वीकारात्मक निपात
इन वाक्यों में किसी बात को स्वीकारने का अर्थ प्रकट होता है।ऐसे वाक्यों में पूछे गए प्रश्न का उत्तर स्वीकार्य रूप अर्थात हां में ही होता है। ऐसे वाक्यों में हाँ, जी, जी हाँ आदि शब्दों का प्रयोग उत्तर के रूप में होता है।
उदाहरण
प्रश्न- आप बाजार जा रहे हैं ?
उत्तर- जी हाँ।
2) नकारात्मक निपात
ऐसे वाक्यों में प्रश्न का जवाब नहीं के रूप में होता है। इसके लिए नहीं, जी नहीं आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण: प्रश्न: तुम्हारे पास यह कलम है ?
उत्तर- नहीं।
(3) निषेधात्मक निपात
इस प्रकार के वाक्यों में किसी को किसी कार्य के लिए मना या किसी को इनकार करने का बोध होता है।
उदाहरण : आज आप मत जाइए।
मुझे अपना मुँह मत दिखाना।
(4) प्रश्नात्मक निपात
इस प्रकार के वाक्यों में प्रश्न पूछा जाता है।
उदाहरण: क्या तुम अंग्रेजी पढ़ना जानते है?
(5) तुलनात्मक
इन वाक्यों में किसी की तुलना की जाती है। यह तुलना किसी से भी की जा सकती है।
उदाहरण:इस लड़के सा पढ़ना कठिन है।
(6) विस्मयबोधक निपात-
इन वाक्य में विस्मय बोधक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण: काश ! वह न गया होता !
(7) बल बोधक निपात
इन वाक्यों में बल का प्रयोग किया जाता है। किसी बात पर जोर देकर कहा जाता है।
उदाहरण:
हमने उसका, नाम तक नहीं सुना।
वह केवल सजाकर रखने की वस्तु है।
(8) अवधारणबोधक निपात-
इन वाक्यों में किसी बात के बारे में निश्चित ज्ञान नहीं होता है। केवल उसके बारे में अनुमान लगाया जाता है।
उदाहरण: उसने करीब पाँच हजार रुपये दिये।
लगभग पाँच लाख विद्यार्थी इस वर्ष परीक्षा दे चुके हैं।
(9) आदरसूचक निपात-
इन वाक्यों में किसी के लिए आदर की भावना को व्यक्त किया जाता है। किसी के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।
उदाहरण: इन्दिरा जी गांव गई हुई है।
गुरु जी आश्रम में है।
वर्माजी घर आ गए है।
3)संबंध बोधक
जो शब्द किसी एक शब्द का संबंध किसी दूसरे शब्द से बताते है उसे संबंध बोधक कहते है।
संबंध बोधक में संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से दर्शाया जाता है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है।
उदाहरण: पेड़ पर बिल्ली बैठी है।
मोहन गीता के साथ घूमने गया।
सम्बन्ध बोधक अव्यय के भेद –
प्रयोग के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते
संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय
अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय
1.संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय –
किसी वाक्य में संज्ञा शब्दों की विभक्तियों के पीछे इन अव्यय पदों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं।
सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग किसी कारक चिन्ह के बाद किया जाता है।
उदाहरण: धन के बिना जीवन मुश्किल है।
इन शब्दों में के बिना बोधक शब्द का प्रयोग किया गया है।
2.अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय –
इन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के विकृत रूप के साथ किया जाता है उन्हें अनुबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं।
उदाहरण: नहर का पानी किनारे तक आ गया।
अवनी मित्रों सहित शिमला घूमने गई है।
इन शब्दों में किनारे तक, सहित आदि बोधक शब्दों का प्रयोग किया गया है।
हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंध बोधक शब्द दस प्रकार के होते हैं।
1.कालवाचक संबंधबोधक अव्यय
2.स्थानवाचक संबंधबोधक अव्यय।
3.दिशावाचक संबंधबोधक अव्यय।
4.साधनवाचक संबंधबोधक अव्यय।
5.हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय।
6.समतावाचक संबंधबोधक अव्यय।
7.पृथकवाचक संबंधबोधक अव्यय।
8.विरोधवाचक संबंधबोधक अव्यय।
9.संगवाचक संबंधबोधक अव्यय।
10.तुलनवाचक संबंधबोधक अव्यय।
4) समुच्चय बोधक
जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।
उदाहरण: 1अमित और देव सो रहे हैं।
इस वाक्य में अमित, देव को एक दूसरे से जोड़ा गया है। इन्हे जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया गया है।
समुच्चयबोधक के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- व्यधिकरणसमुच्चयबोधक
समानाधिकरण समुच्चयबोधक–:
जो समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण सममुच्चबोधक अव्यय कहा जाता है।
उदाहरण:- विराट और रोहित भाई है।
इस वाक्य में विराट, रोहित दो स्वतंत्र शब्दों को और शब्द से जोड़ा गया है, जो समानाधिकरण समुच्चय बोधक शब्द है।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं-
क)संयोजक
ख)विकल्पसूचक
ग)विरोधसूचक
घ)परिमाणसूचक
संयोजक:- जिन शब्दों से दो शब्दों या दो वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं तथा इसमें शब्दों के द्वारा वाक्यों और वाक्यांशो को इकट्ठा करते हैं।
उदाहरण:- राहुल और अंजली वहां खड़े है
ख)विकल्पसूचक: जिन शब्दों के द्वारा वाक्य में विकल्प, दो या दो अधिक का चयन दिया जाता है, उसे विकल्प सूचक कहते है।
उदाहरण:- मोहन यहां सो सकता है अन्यथा श्याम सो जाएगा
ग)विरोध सूचक: यह शब्द दो वाक्यों या दो विरोध करने वाले कथनों को आपस में जोड़ते है। इन वाक्यों में आपस में विरोध दिखाई देता है।
उदाहरण:- वह अमीर है परंतु बेईमान है।
(घ) परिमाणसूचक:- जिन शब्दों से वाक्य में किसी के परिमाण का पता चले तथा जो शब्द परिमाण दर्शाने वाले वाक्यों को जोड़ते हैं, उसे परिमाण सूचक कहते है।
उदाहरण:- उसने अपना कार्य पूरा किया ताकि उसको
डांट न पड़े।
व्यधिकरण समुच्चयबोधक:-
जो शब्द एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
उदाहरण:– मां ने कहा कि तुम अपना काम करो।
व्याधिकरण समुच्चयबोधक भी चार प्रकार के होते हैं–
क)कारण बोधक
ख)संकेतबोधक
ग)स्वरूपबोधक
घ)उद्देश्यबोधक
(क) कारण बोधक:– जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य के कार्य करने के कारण का बोध होता है, उसे कारण बोधक कहते है।
उदाहरण:- वह सुंदर है इसलिए मुझे पसंद है।
ख) संकेतबोधक:- जिन वाक्यों में किसी घटना या कार्य के बारे में संकेत मिलते हैं, उसे ‘संकेतवाचक’ कहते हैं। इसमें पहले वाक्य का दूसरे वाक्य की शुरुआत में संकेत मिलते है।
उदाहरण:- यदि तुम कामयाब होना चाहते हो तो तुम्हें मेहनत करनी पड़ेगी।
(ग) स्वरूपबोधक:- जिन वाक्यों में किसी उपवाक्य का अर्थ पूर्ण रूप से स्पष्ट होता है। उन्हें ‘स्वरूपबोधक’ कहते हैं।
उदाहरण:- पंछी उन्मुक्त है अर्थात स्वतंत्र हैं।
(घ) उद्देश्यबोधक: जिन दो शब्दों को जोड़ने से उसका उद्देश्य स्पष्ट होता है, उसे उद्देश्यबोधक कहते हैं।
इन अव्यय शब्दों से उद्देश्य का पता चलता है।
उदाहरण:- खाना खा लो ताकि भूख न लगे।
5)विस्मयादिबोधक
जिन वाक्यों में किसी विशेष शब्द के द्वारा खुशी, दुख, घृणा, आश्चर्य आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं। विस्मयादिबोधक को एक चिन्ह (!) से भी प्रकट करते है। जिसे विस्मयादिबोधक चिन्ह कहते है।
उदाहरण
अरे! इतनी मोटी पुस्तक।
ओह! सुनकर दुख हुआ।
शाबाश! बहुत बढ़िया
विस्म्यादिवाचक वाक्यों में किसी तीव्र भावना को जताने के लिए जो शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं उन्हें विस्मय बोधक शब्द कहते हैं।
इन विस्मयादिबोधक को प्रकट करने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है।
अरे! (आश्चर्य व्यक्त करने के लिए)
अरे! तुम कब आए।
अरे यार! ( दुख प्रकट करने के लिए)
अरे यार! मेरा काम तो पूरा ही नहीं हुआ।
ओह! ( शोक व्यक्त करने के लिए)
ओह! उसके साथ बहुत बुरा हुआ।
ओह! मेरे हाथ में दर्द है।
छिः! ( घृणा व्यक्त करने के लिए)
छी! अमित के कपड़े कितने गंदे है।
शाबाश! ( खुशी व्यक्त करने के लिए)
शाबाश! तुमने अच्छा काम किया है।
ये क्या! ( आश्चर्य व्यक्त करने के लिए)
ये क्या! राम अभी तक गया नहीं।
हाय! ( दुख व्यक्त करने के लिए)
हाय! मीरा को बहुत चोट आई है।
है।
हे भगवान! ( शुक्रिया, दुख व्यक्त करने के लिए)
हे भगवान! तुमने बचा लिया
काश! ( इच्छा व्यक्त करने के लिए)
काश! मैं भी घूमने जाती।
क्या ! (प्रश्न पूछने के लिए)
क्या! तुमने खाना नही खाया।
अधिकतर पूछे गए प्रश्न
1.अव्यय किसे कहते है?
उत्तर:अव्यय उन शब्दों को कहा जाता है, जिनमें लिंग, वचन, कारक, संज्ञा, सर्वनाम के कारण कोई भी बदलाव या परिवर्तन नहीं होता है।
2.अव्यय के कितने भेद है।
उत्तर:अव्यय के प्रमुख पांच भेद होते है–:
1क्रिया विशेषण
2निपात
3संबंध बोधक
4समुच्चय बोधक
5विस्मयादि बोधक
3.निपात अव्यय किसे कहते है?
उत्तर:जब किसी भी बात पर अधिक बल दिया जाता है या उस बात पर अतिरिक्त जोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे निपात कहते है। यह ऐसे शब्द है जिनका खुद का कोई अर्थ नहीं होता है।
4.विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते है?
उत्तर:जिन वाक्यों में किसी विशेष शब्द के द्वारा खुशी, दुख, घृणा, आश्चर्य आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं। विस्मयादिबोधक को एक चिन्ह (!) से भी प्रकट करते है।
5.समुच्चय बोधक अव्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।
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