अपठित गद्यांश

अपठित गद्यांश को अंग्रेजी भाषा में unseen passage कहते है। अपठित का अर्थ जो पढ़ा नहीं गया हो के रूप में लिया जाता है। यह ऐसा गद्यांश होता है जो पहले पढ़ा नहीं गया हो। यह गद्यांश किसी भी विषय से संबंधित हो सकता है। इसमें कला, विज्ञान, राजनीति, साहित्य या अर्थशास्त्र कोई भी विषय शामिल हो सकता है।

यह गद्यांश किसी भी पाठयपुस्तक से संबंधित नही होता है। यह किसी भी गद्य का कोई छोटा सा अंश होता है। इसमें गद्यांश से संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। जिससे विद्यार्थियों की तर्क शक्ति में वृद्धि होती है। उनका सामान्य ज्ञान पढ़ता है। उनमें सोचने की क्षमता विकसित होती है। उनकी व्यक्तिगत योग्यता में वृद्धि होती है।

अपठित गद्यांश

अपठित गद्यांश में कोई कहानी, कविता, लेख, निबंध, समाचार, विज्ञापन आदि प्रकार के कुछ अंश शामिल होते हैं। जिनको अपठित सामग्री के रूप में शामिल किया जाता है। इसमें जिस भी गद्यांश को शामिल किया जाता है वह पहले पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होता है।  

अपठित गद्यांश को हल करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।गद्यांश को हल करते समय इसकी दो से तीन बार पढ़ना चाहिए जिससे आप उसे अच्छे तरह से समझ सके। 

गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने चाहिए। जिससे उनको पढ़ने में कोई कठिनाई न आए। इनके उत्तर अपनी भाषा में देने चाहिए। जिस भाषा में आप प्रश्न को समझते हैं या जिस सरल भाषा का प्रयोग आप अपने समझने के लिए करते हैं, उसी भाषा का प्रयोग गद्यांश के उत्तर देने में करना चाहिए।

उत्तर कम से कम शब्दों में देने चाहिए या जितने शब्दों में देने के लिए कहा जाए उतने ही शब्दों में देना चाहिए। जितना प्रश्न में पूछा जाए उतना ही उत्तर देना चाहिए। अधिक लंबा उत्तर देने से प्रश्न और उत्तर दोनों  का अर्थ गद्यांश में लगभग खत्म हो जाता हैं। क्योंकि अपठित गद्यांश किसी कहानी, कविता, निबंध का एक अंश होता है, पूर्ण रूप नहीं होता है। इसलिए इनके जवाब छोटे रूप में देने चाहिए।

गद्यांश का शीर्षक गद्यांश का मूल भाव होता है। कभी कभी गद्यांश का शीर्षक शुरुआत या अंत में छुपा होता है। जिस मूल भाव को केंद्रित रख कर गद्यांश का विषय लिया जाता है, जिस गद्यांश पर आधारित होता है। उसी को आधार मानकर शीर्षक लिखा जाता है।

अपठित गद्यांश की भाषा शैली सरल, सुबोध और प्रभावमयी होनी चाहिए। जिससे उसको समझने में कोई भी कठिनाई न आए। गद्यांश की भाषा शैली ऐसी होनी चाहिए जो प्रत्येक विद्यार्थी को आसानी से समझ में आ जाए। किसी कलिष्ठ शब्द या भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

अपठित गद्यांश का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की तर्क क्षमता को बढ़ाना है। जिससे वह अपनी मानसिक शक्ति का विकास कर सके। खुद को प्रत्येक परिस्थिति के लिए तैयार कर सके। किसी भी अनभिज्ञ प्रश्न को देखकर भयभीत न हो, कुशलता के साथ उनका जवाब दे सके।

इस प्रकार अपठित गद्यांश का प्रयोग विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में ऐसे गद्यांश के रूप में किया जाता है जिसको पहले पढ़ा न जा सका गया है। जो पाठ्यक्रम में नया हो। जिसे पढ़कर वे सवालों के जवाब दे सके। उनकी तर्कशक्ति का विकास हो सके।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1)अपठित गद्यांश किसे कहते है?

उत्तर-अपठित गद्यांश को अंग्रेजी भाषा में unseen passage कहते है। अपठित का अर्थ जो पढ़ा नहीं गया हो के रूप में लिया जाता है। यह ऐसा गद्यांश होता है जो पहले पढ़ा नहीं गया हो। यह गद्यांश किसी भी विषय से संबंधित हो सकता है। इसमें कला, विज्ञान, राजनीति, साहित्य या अर्थशास्त्र कोई भी विषय शामिल हो सकता है।

2)अपठित गद्यांश के कितने प्रकार शामिल होते हैं।

उत्तर-अपठित गद्यांश में कोई कहानी, कविता, लेख, निबंध, समाचार, विज्ञापन आदि प्रकार के कुछ अंश शामिल होते हैं। जिनको अपठित सामग्री के रूप में शामिल किया जाता है। इसमें जिस भी गद्यांश को शामिल किया जाता है वह पहले पाठ्यक्रम में शामिल नहीं होता है।  

3) अपठित गद्यांश का उद्देश्य क्या होता है?

उत्तर-अपठित गद्यांश का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की तर्क क्षमता को बढ़ाना है। जिससे वह अपनी मानसिक शक्ति का विकास कर सके। खुद को प्रत्येक परिस्थिति के लिए तैयार कर सके। किसी भी अनभिज्ञ प्रश्न को देखकर भयभीत न हो, कुशलता के साथ उनका जवाब दे सके।

4)अपठित गद्यांश की भाषा शैली कैसी होती है।

उत्तर-अपठित गद्यांश की भाषा शैली सरल, सुबोध और प्रभावमयी होनी चाहिए। जिससे उसको समझने में कोई भी कठिनाई न आए। गद्यांश की भाषा शैली ऐसी होनी चाहिए जो प्रत्येक विद्यार्थी को आसानी से समझ में आ जाए। किसी कलिष्ठ शब्द या भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

5)अपठित गद्यांश के शीर्षक किस प्रकार बनाए जाते हैं?

उत्तर- अपठित गद्यांश का शीर्षक गद्यांश का मूल भाव होता है। कभी कभी गद्यांश का शीर्षक शुरुआत या अंत में छुपा होता है। जिस मूल भाव को केंद्रित रख कर   गद्यांश का विषय लिया जाता है, जिस गद्यांश पर आधारित होता है। उसी को आधार मानकर शीर्षक लिखा जाता है।