समुच्चयबोधक

वे शब्द जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।

जैसे: और, बल्कि, तथा, अथवा, यदि, किंतु, अन्यथा, हालांकि, लेकिन, इसलिए आदि|      

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 उदाहरण: 

  1. ‘अमित और देव सो रहे हैं।’

इस वाक्य में अमित, देव को एक दूसरे से जोड़ा गया है। इन्हे जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया गया है।            

  1. ‘वह प्यासा था, इसलिए उसने पानी पिया।’

इस वाक्य में दो वाक्यों को इसलिए शब्द से जोड़ा गया है। यह समुच्चय बोधक शब्द है।

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  2. व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक

जो समुच्चयबोधक अव्यय दो स्वतंत्र वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण सममुच्चबोधक अव्यय कहा जाता है। 

जैसे: परंतु, अन्यथा, अत:, किंतु, और, या, बल्कि, इसलिए, व, एवं, लेकिन आदि।

उदाहरण:-  ‘विराट और रोहित भाई है।’

इस वाक्य में विराट, रोहित दो स्वतंत्र शब्दों को और शब्द से जोड़ा गया है, जो समानाधिकरण समुच्चय बोधक शब्द है।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं-

क) संयोजक

ख) विकल्पसूचक

ग) विरोधसूचक

घ) परिमाणसूचक

1. संयोजक:– जिन शब्दों से दो शब्दों या दो वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं तथा इसमें शब्दों के द्वारा वाक्यों और वाक्यांशो को इकट्ठा करते हैं। उसे संयोजक सम्मुच्यबोधक कहते है।

 वे शब्द जिनके द्वारा शब्दों और वाक्यों को इक्कठा किया जाता है, वे है–: तथा, जोकि, अर्थात्, और, एवं शब्द संयोजक कहलाते हैं।

उदाहरण:-‘राहुल और अंजली वहां खड़े है|’

इस वाक्य में राहुल, अंजली को जोड़ने के लिए और शब्द का प्रयोग किया गया है, जोकि संयोजक शब्द है।

2. विकल्पसूचक: जिन शब्दों के द्वारा वाक्य में विकल्प, दो या दो अधिक का चयन दिया जाता है, उसे विकल्प सूचक कहते है। इन शब्दों से विकल्प का पता चलता है।

जैसे–: या, वरना, अथवा, वा, चाहे शब्द विकल्पसूचक कहलाते हैं।

उदाहरण:- “मोहन यहां सो सकता है अन्यथा श्याम सो जाएगा|’

इस वाक्य में मोहन के सोने के साथ साथ श्याम के सोने का भी विकल्प दिया गया है। इस अन्यथा शब्द से जोड़ा गया है जो विकल्पसूचक शब्द है।

3. विरोध सूचक: यह शब्द दो वाक्यों या दो विरोध करने वाले कथनों को आपस में जोड़ते है। इन वाक्यों में आपस में विरोध दिखाई देता है।

किंतु, लेकिन, परंतु, पर, बल्कि, अपितु शब्द विरोध सूचक कहलाते हैं।

उदाहरण:- ‘वह अमीर है परंतु बेईमान है।’

इस वाक्य में दो विरोधाभास वाक्य है। फला की वह अमीर है और दूसरा की वह बेईमान है। इन शब्दों की परंतु शब्द से जोड़ा गया है जो विरोध सूचक शब्द है।

4. परिमाणसूचक:- जिन शब्दों से वाक्य में किसी के परिमाण का पता चले तथा जो शब्द परिमाण दर्शाने वाले वाक्यों को जोड़ते हैं, उसे परिमाण सूचक कहते है।

जैसे: इसलिए, ताकि, अतः, अन्यथा, नहीं तो शब्द परिणामदर्शक कहलाते हैं।

उदाहरण:- ‘उसने अपना कार्य पूरा किया ताकि उसको डांट न पड़े।’

इस वाक्य में डांट न पड़े वाक्य को उसने कार्य पूरा किया से ताकि के द्वारा जोड़ा गया है। यह परिमाण सूचक शब्द है|

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2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक

 जो शब्द एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। इसमें एक प्रधान और दूसरा आश्रित वाक्य होता है।

जैसे: यदि तो, क्योंकि, ताकि, कि, यद्यपि तथापि आदि।

उदाहरण:- ‘मां ने कहा कि तुम अपना काम करो।’

इस वाक्य में मां ने कहा वाक्य तुम अपना काम करो पर आश्रित है, जिसे कि शब्द से जोड़ा गया है। यह व्यधि कारण बोधक शब्द है।

व्याधिकरण समुच्चयबोधक भी चार प्रकार के होते हैं

क)कारण बोधक

ख)संकेतबोधक

ग)स्वरूपबोधक

घ)उद्देश्यबोधक

(क) कारण बोधक

 जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य के कार्य करने के कारण का बोध होता है, उसे कारण बोधक कहते है।

जैसे :चूँकि, क्योंकि, कि, इसलिए, इस कारण शब्द हेतुबोधक हैं।

उदाहरण:- ‘वह सुंदर है इसलिए मुझे पसंद है।’

इस वाक्य में पसंद करने का कारण उसका सुंदर होना है। जिसे इसलिए शब्द से जोड़ा गया है, जो कारण बोधक शब्द है।

(ख) संकेतबोधक:- जिन वाक्यों में किसी घटना या कार्य के बारे में संकेत मिलते हैं, उसे ‘संकेतवाचक’ कहते हैं। इसमें पहले वाक्य का दूसरे वाक्य की शुरुआत में संकेत मिलते है।

जैसे: यदि, तो, चाहे भी, यद्यपि, तथापि शब्द संकेतबोधक है।

उदाहरण:– ‘यदि तुम कामयाब होना चाहते हो तो तुम्हें मेहनत करनी पड़ेगी।’

 इस वाक्य में कामयाब होने के लिए मेहनत करना का संकेत किया है जिसे इसने यदि और तो से जोड़ा है, को संकेतबोधक शब्द है।

(ग) स्वरूपबोधक:- जिन वाक्यों में किसी उपवाक्य का अर्थ पूर्ण रूप से स्पष्ट होता है। उन्हें ‘स्वरूपबोधक’ कहते हैं। इन शब्दों में स्पष्टीकरण आता है।

जैसे: अर्थात, यानि, मानो, यहाँ, तक, शब्द स्वरूपबोधक हैं।

उदाहरण:- ‘पंछी उन्मुक्त है अर्थात स्वतंत्र हैं।’

इस वाक्य में उन्मुक्त शब्द को स्पष्ट करने के लिए अर्थात शब्द का प्रयोग किया गया है, जोकि स्वरूपबोधक शब्द है।

(घ) उद्देश्यबोधक: जिन दो शब्दों को जोड़ने से उसका उद्देश्य स्पष्ट होता है, उसे उद्देश्यबोधक कहते हैं।इन अव्यय शब्दों से उद्देश्य का पता चलता है।

जैसे: ताकि, जिससे कि शब्द ‘उद्देश्यबोधक’ हैं।

उदाहरण:– ‘खाना खा लो ताकि भूख न लगे।’

इस वाक्य में पहला वाक्य खाना खा लो का उद्देश्य भूख न लगने से बताया जा रहा है। उद्देश्य को जोड़ने के लिए ताकि शब्द का प्रयोग किया गया है जोकि उद्देश्य बोधक शब्द है।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

1.समुच्चय बोधक किसे कहते है।

उत्तर:वे शब्द जो दो शब्दों अर्थात एक शब्द को दूसरे शब्द से वाक्यांशों या वाक्यों, एक वाक्य को दूसरे वाक्य से जोड़ते हैं समुच्चयबोधक कहते हैं।

2.समुच्चय बोधक के कितने भेद है।

उत्तर:समुच्चयबोधक के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  2. व्यधिकरणसमुच्चयबोधक

3.व्याधिकरण समुच्चयबोधक के कितने भेद है।

उत्तर:

व्याधिकरण समुच्चयबोधक भी चार प्रकार के होते हैं-

क)कारण बोधक

ख)संकेतबोधक

ग)स्वरूपबोधक

घ)उद्देश्यबोधक

4. तुम जाना चाहो तो जाओ वरना रोहन चला जायेगा।

इस वाक्य में कौनसा का समुच्चय बोधक है।

उत्तर: इस वाक्य में विकल्प समुच्चय बोधक है। क्योंकि उसके जाने के साथ साथ रोहन के जाने का भी विकल्प दिया गया है और वरना शब्द का बोध किया गया है को विकल्प बोधक शब्द है।

5.समानाधिकरण समुच्चयबोधक के कितने भेद है।

उत्तर: समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय चार प्रकार के होते हैं-

क)संयोजक

ख)विकल्पसूचक

ग)विरोधसूचक

घ)परिमाणसूचक

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वाक्य विचारसमास
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विराम चिन्हशब्द विचार
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