क्रिया विशेषण

जिस शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति, क्रिया, संज्ञा, और सर्वनाम की विशेषता का पता चलता है, उसे विशेषण कहते हैं। 

जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। 

इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

इन वाक्यों में केवल क्रिया की विशेषता बताई जाती है। इसमें संज्ञा, सर्वनाम, व्यक्ति आदि की विशेषता नहीं बताई जाती बल्कि इनके द्वारा की गई क्रियाओं की विशेषता बताई जाती है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, अभी, वहां, थोड़ा, अवश्य, उधर, ऊपर, नीचे, ऊँचा, केवल, यहीं, फिलहाल, कल, पीछे, आज आदि|

उदाहरण–:

शेर तेज भागता है।

इस वाक्य में भागना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता तेज के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह तेज क्रिया विशेषण है।

मैं वहाँ  नहीं आऊँगा।

इस वाक्य में आना क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता नहीं के द्वारा बताई गई है। इसलिए नहीं क्रिया विशेषण है।      

वह अभी गया है।

इस वाक्य में गया क्रिया है। इस क्रिया की विशेषता “अभी” शब्द  के द्वारा बताई गई है। इसलिए अभी सहायक क्रिया है।               

क्रिया विशेषण के भेद (kriya visheshan ke bhed)

क्रिया विशेषण के चार भेद है-

  1. कालवाचक क्रियाविशेषण
  2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
  3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
  4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

1. कालवाचक क्रिया विशेषण

जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

उदाहरण–:

  मैं कल देव के घर जाऊंगा।

 इस वाक्य में जाना क्रिया है और कल विशेषण से जाने का समय पता चल रहा है, इसलिए कल शब्द काल वाचक विशेषण है।

वह अब पानी पी रहा है।

इस वाक्य में पीना क्रिया है और अब शब्द के माध्यम से पानी पीने के समय का पता चल रहा है। इसलिए अब काल वाचक विशेषण है।

वह बार-बार बैठ रहा है।

इस वाक्य में बैठना क्रिया है। बैठना क्रिया का समय बार बार शब्द के द्वारा बताया जा रहा है। इसलिए बार-बार शब्द काल वाचक क्रिया विशेषण है।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:, इसलिए, क्योंकि, नहीं, मत, कदापि, तो, हो, मात्र, भर आदि।

उदाहरण–:

अमित ध्यान से चलता है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है और चलने की विशेषता या तरीका ध्यान शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ध्यान शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

विधि हमेशा सच बोलती है।

 इस वाक्य में बोलना क्रिया है, और बोलने की विशेषता सच शब्द के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह सच शब्द रीति वाचक क्रिया विशेषण है।

 वह नहीं नाचेगा।

इस वाक्य में नाचना क्रिया है। नाचना क्रिया का तरीका नहीं शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए नहीं शब्द रीति वाचक विशेषण है।

स्थानवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।

उदाहरण-

 राधा आगे चल रही है।

 इस वाक्य में चलना क्रिया है। चलना क्रिया को विशेषता या स्थान आगे शब्द से बताया गया है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 कबीर बाहर जा रहा है।

इस वाक्य में जाना एक क्रिया है। जाना की विशेषता या स्थान बाहर के द्वारा बताई गई है। इसलिए यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण है।

 गेंद ऊपर उछल रही है।

इस वाक्य में उछलना क्रिया है। उछलने का स्थान ऊपर शब्द के द्वारा बताया गया है। इसलिए ऊपर शब्द स्थान वाचक विशेषण है।

परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

जो अविकारी शब्द जो क्रिया के परिमाण अथवा संख्या और मात्रा का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- बहुत, अधिक, अधिकाधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, पर्याप्त; आदि ,जितना कुछ ।

उदाहरण–:

नितिन अधिक खाना खाता है।

  इस वाक्य में क्रिया खाना है। खाना क्रिया की मात्रा अधिक शब्द से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।  

उसने थोड़ा थोड़ा लिखा।

  इस वाक्य में लिखना क्रिया है। लिखना क्रिया की मात्रा का बोध थोड़ा थोड़ा के माध्यम से बताई गई है। इसलिए यह परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है।

 तुम बहुत दौड़े।

इस वाक्य में दौड़ना क्रिया है। दौड़ना क्रिया की विशेषता या परिमाण बहुत शब्द से बताई गई है। इसलिए बहुत शब्द परिमाण वाचक विशेषण है।

अधिकतर पूछें गए प्रश्न

1. क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

उत्तर:जिस शब्द से किसी क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया विशेषण कहते है। यह विशेषण क्रिया से तुरंत पहले प्रयोग किए जाते है। इसमें लिंग, कारक, वचन, काल के कारण कोई भी बदलाव नहीं होता है। यह अपने मूल रूप में ही प्रयोग होते हैं। इसलिए इनको अविकारी शब्द कहते है।

जैसे: तेज, गरम, जल्दी, धीरे, नहीं, प्रतिदिन, आदि|

2. क्रिया विशेषण के कितने भेद है?

उत्तर:क्रिया विशेषण के चार भेद हैं।

1.कालवाचक क्रियाविशेषण

2.रीतिवाचक क्रियाविशेषण

3.स्थानवाचक क्रियाविशेषण

4.परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

3.घर में एक बच्चा रो रहा है? इस वाक्य में कौन सा क्रिया विशेषण है?

उत्तर: इस वाक्य में परिमाण वाचक क्रिया विशेषण है क्योंकि रोना क्रिया है और एक बच्चे के द्वारा इसकी संख्या का बोध करवाया गया है।

4.रीति वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:रीतिवाचक क्रिया विशेषण-जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने या करने के तरीके का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

जैसे- गलत, ध्यान से, सचमुच, ठीक, अवश्य, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, सच, अत:,

5.काल वाचक क्रिया विशेषण किसे कहते है?

उत्तर:कालवाचक क्रिया विशेषण–:जिस क्रिया विशेषण से क्रिया के होने के समय का पता चलता है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। 

जैसे- अब, तब, जब, कब, परसों, कल, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

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